माफिया के शरीर को छेदकर निकल गई गोलियां, बेहद नजदीक से की गई फायरिंग, पीएम रिपोर्ट में खुलासा
मुन्ना बजरंगी और मौत का यह पहली बार सामना नहीं हुआ। इसी साल मार्च 2018 में झांसी जेल में एसटीएफ के एक दरोगा पर बंदी के माध्यम से जहर देकर मारने के प्रयास का आरोप भी बजरंगी ने लगाया था। मामले की जांच चल रही है। इससे पहले 1998 में करनाल हाइवे पर पुलिस के साथ एनकाउंटर हुआ। बजरंगी को आठ गोलियां लगी थी। पुलिस उसे अस्पताल में भर्ती कराने के बजाय मोर्चरी पर ले गई थी, जबकि वह जिंदा था।
चिकित्सकों ने शरीर से सात गोलियां तो निकाल दी थी, लेकिन एक गोली उसके पेट में फंसी हुई है। हत्या के बाद पोस्टमार्टम हुआ तो तीन डॉक्टरों के पैनल को एक भी गोली उसके शरीर में नहीं मिली। सिर्फ 20 साल पुराने एनकाउंटर की गोली ही लगी मिली। उधर, एसपी जयप्रकाश का कहना है कि फोरेंसिक टीम ने 10 खोखे बरामद कर लिए हैं। सभी बिंदुओं पर जांच चल रही है।
विदेशी पिस्टल से तो नहीं चलाई गोलियां
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