माया के ब्राह्मïण प्रेम से पार्टी का अस्तित्व खतरे में

Page-1_1_3-300x182श्यामल कुमार त्रिपाठी
लखनऊ। प्रदेश की राजनीति में जाति की व्यवस्था बहुत गहरी जड़ बना चुकी है, लेकिन कभी-कभी जब कोई पार्टी इस जाति की राजनीति से हटकर राजनीति करने की सोचती है तो दूध के उफान की तेजी से वह प्रदेश की राजनीति के चरम पर पहुंचती है लेकिन जाति की जड़ें उसे पुन: नीचे खींच लाती हैं।
गत्ï दिनों जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी का ग्राफ घिरा है उससे इतना तो साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश में अगर कुछ चलेगी तो वह जाति की राजनीति और कुछ नहीं। बहुजन समाज पार्टी दलितों को लेकर चलने वाली और दलितों के हितों के लिए लडऩे वाली पार्टी थी और इस पार्टी की पहचान भी यही थी। लेकिन मायावती ने प्रदेश की राजनीति में अपने आपको काबिज करने के लिए जिस तरह से सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर ब्राह्मïणों को जोड़कर प्रदेश की सत्ता के सिंघासन पर बैठी थीं उससे एक बार हर कोई यह सोचने को मजबूर हो गया था कि अब प्रदेश की राजनीति भी जातिगत समीकरणों से ऊपर उठ चुकी है। लेकिन जिस तेजी से मायावती धराशायी हुईं उससे सबकी सोच फिर जातिगत समीकरणों पर आकर सिमट गई। ऐसा नहीं था कि बहन जी को हर चुनाव में हार का मुंह सिर्फ इसलिए देखना पड़ा कि उन्होंने ब्राह्मïण और दलितों को एक साथ किया बल्कि चुनावी परिदृश्य से उनके गायब होने का असल कारण उनसे जुडऩे वाले यह ब्राह्मïण बने। इन ब्राह्मïणों ने बहुजन समाज पार्टी में सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर अपनी पैठ भी बनाई और बहन जी से उनके मुख्य वोटरों को अलग भी कर दिया। नतीजा लोकसभा चुनाव में एक भी सीट न मिलना और तो और बाकी किसी राज्य में भी बहुजन समाज पार्टी का खाता नहीं खुला। ब्राह्मïणों के साथ आने और उनकी लूटने की सोच ने बहुजन समाज पार्टी से दलितों को बहुत दूर कर दिया। पूरा दलित समाज बहन जी से खासा नाराज दिखा इस बात पर कि जिन लोगों की वजह से हम दलित समाज में उपेक्षित हैं। बहन जी ने उन्हें ही सिंहासन नवाज कर हमें फिर से पूरे समाज में उपेक्षित कर दिया। दलित समाज का नाराज होना तो अलग बात था। पार्टी के कुछ बड़े ब्राह्मïण नेता मानसिक तौर पर बहुजन समाज पार्टी को खोखला करते चले गए। उनका मकसद भी सिर्फ यही था कि बहन जी के साथ जुड़ो, प्रदेश को लूटो, अपनी तिजोरी भरो और किसी भी दलित को आगे मत बढऩे दो। इसी सोच ने बहुजन समाज पार्टी को देश और प्रदेश की राजनीति में एक दम से धराशाई कर दिया। बहन जी अगर अभी भी नहीं चेतीं तो यह कुछ ब्राह्मïण उनको इस कदर खोखला कर जाएंगे कि हवा का एक हल्का झोंका भी उन्हें छिन्न-भिन्न कर देगा और शायद उस समय वह पछताने लायक भी नहीं होंगी क्योंकि राजनीति में एक बार अगर पतन हो गया तो फिर उत्थान के बारे में सोचना एक दिवा स्वप्न हो जाता है।
9984999919 and 9956643333

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button