‘मिनी विधानसभा’ है राजस्थान की यह यूनिवर्सिटी, जिस छात्रसंघ ने जीता चुनाव, उसी का बना CM!

जयपुर। राजस्थान में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां अपने-अपने स्तर पर चुनाव प्रचार में जुट गई हैं. राजस्थान की एक यूनिवर्सिटी ऐसी है जिसके छात्रसंघ चुनाव का विधानसभा चुनाव की तस्वीर साफ कर देता है. यह यूनिवर्सिटी है: राजस्थान यूनिवर्सिटी. पिछले 25 साल में विधानसभा में किसी भी पार्टी के जीत-हार के परिणामों और इस यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव परिणामों के बीच अजीब संयोग चल रहा है. 1993 से अब तक विधानसभा चुनावों से पहले जिस पार्टी के छात्र संगठन ने इस यूनिवर्सिटी के चुनाव में जीत हासिल की, बाद में विधानसभा में उसी संगठन से जुड़ी पार्टी के मुख्यमंत्री ने राज्य की सत्ता संभाली. हालांकि एक बार ऐसा हुआ जब निर्दलीय जीता तो सरकार बदलकर कांग्रेस की चुनी गई. इस बार 31 अगस्त को छात्रसंघ का चुनाव होना है.

प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी में शामिल राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव को मिनी विधानसभा का चुनाव माना जाता है. अब तक के आंकड़ें यही दर्शाते हैं कि चुनावी साल में यूनिवर्सिटी में जिस छात्रसंघ का कब्जा होगा, अगली सरकार उसी पार्टी की बनेगी. उसका एक संकेत मिल जाता है.

2014 के बाद नहीं एबीवीपी को नहीं मिली जीत
वसुंधरा सरकार में राजस्थान यूनिवर्सिटी में बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी का प्रत्याशी अध्यक्ष पद पर एक बार भी जीत दर्ज नहीं कर सका है. एबीवीपी के प्रत्याशी 2014 और 2015 में कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई से हार गए जबकि दो बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने एबीवीपी के प्रत्याशियों को शिकस्त दी. 2014 में एनएसयूआई के अनिल चौपड़ा ने एबीवीपी के शंकर गौरा को हराया था. 2015 में भी एनएसयूआई के सतवीर चौधरी ने राजकुमार बिवाल को हराया. 2016 में निर्दलीय अंकित धायल ने एबीवीपी के अखिलेश पारीक को हराया और 2017 में निर्दलीय पवन यादव ने एबीवीपी के संजय माचेड़ी को हराया. ये निर्दलीय एबीवीपी से बगावत करके छात्रसंघ चुनाव में उतरे थे.

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राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गौरव यात्रा निकाल रही हैं..

गहलोत सरकार में भी दिखा ये ट्रेंड 
जब गहलोत सरकार सत्ता में थी तब भी कुछ इसी तरह का ट्रेंड देखने को मिला था. छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर पिछली गहलोत सरकार में एबीवीपी प्रत्याशियों ने पिछले चार चुनावों में से तीन चुनावों में जीत हासिल की थी. शेष एक में निर्दलीय प्रत्याशी जीता. पिछली कांग्रेस सरकार में एक बार भी ऐसा मौका नहीं आया जब कांग्रेस समर्थित एनएसयूआई के प्रत्याशी को जीत मिली हो. एनएसयूआई के प्रत्याशी दूसरे, तीसरे या चौथे नंबर पर रहे. बात 2010 की करें तो एबीवीपी के मनीष यादव ने निर्दलीय मुकेश भाकर को हराया. 2011 में निर्दलीय प्रभा चौधरी ने निर्दलीय महेंद्र सिंह शेखावत को शिकस्त दी. 2012 में एबीवीपी के राजेश मीणा ने एनएसयूआई के विद्याधर मील को हराया. 2013 में एबीवीपी के कानाराम जाट ने एनएसयूआई की शेफाली मीणा को हराया था.

एबीवीपी और एनएसयूआई ने की पैनल की घोषणा
राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव 2018 को लेकर अखिल एबीवीपी और एनएसयूआई ने अपने पैनल की घोषणा कर दी है. एबीवीपी ने राजपाल चौधरी को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार घोषित किया.वहीं महासचिव पद का उम्मीदवार दिनेश चौधरी को चुना गया. उपाध्यक्ष पद पर अनुराधा मीणा और संयुक्त सचिव पद पर मीनल शर्मा को टिकट दिया है. महासचिव पद का उम्मीदवार दिनेश चौधरी को बनाया गया है. वहीं एनएसयूआई ने भी छात्रसंघ चुनावों को लेकर अपने पैनल की घोषणा कर दी है. अध्यक्ष पद के लिए रनवीर सिंधानिया, महासचिव पद के लिए चेतन यादव, उपाध्यक्ष पद के लिए सोनम गुर्जर और संयुक्त सचिव पद को लिए नुमन खान के नाम की घोषणा की है. सभी यूनिवर्सिटी और संघटक कॉलेजों में चुनावों के परिणाम 11 सितम्बर को एक साथ जारी किए जाएंगे.

 

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