मुंबई: उत्तर भारतीय वोट पर कांग्रेस की नजर

tahalka3_1_2मुंबई । उत्तर भारत में बैकवर्ड वोट आम तौर पर कांग्रेस से छिटका-छिटका रहा है। मुंबई में इसी वोट-बैंक को साधने और बांधने की कोशिश अंजाम दी जा रही है। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने ‘बैकवर्ड रिजर्वेशन’ को मुद्दा बनाकर कांग्रेस की उत्तरभारतीय रणनीति में आमूल परिवर्तन का संकल्प लिया है।
रविवार को अंधेरी में पिछड़ी जाति का सम्मेलन आयोजित करके बैकवर्ड जातीय संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों को कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय सहभाग का न्योता दिया। उन्होंने युवाओं से ‘कास्ट वैलिडिटी सर्टिफिकेट’ तैयार रखने का आग्रह किया, ताकि उन्हें कांग्रेस के टिकट पर बीएमसी चुनाव लड़वाया जा सके। इसे ठाकुरों और ब्राह्मणों को टिकटों में वरीयता देने की पुरानी लीक को तोड़कर ‘नया ढर्रा’ बनाने के प्रयास के तौर पर भी देखा जा रहा है।

अंधेरी स्टेशन से लगे ‘सिंफनी बैंक्वेट हॉल’ का नजारा कांग्रेस का पारंपरिक कार्यक्रमों से हटकर दिखाई दिया। पहली बार जैसवाल, बिंद, वैश्य, नाई, पाल, यादव, धोबी, प्रजापति, तैलीय-साहू, कुर्मी, चौरसिया, मौर्या, राजभर, चौहान, विश्वकर्मा समुदायों के प्रतिनिधि मुंबई कांग्रेस के मंच पर एकसाथ दिखाई दिए। एक के बाद एक जातिगत संगठनों और उनके प्रतिनिधियों के नाम पुकारे गए। कई वक्ताओं ने कांग्रेस की पुरानी बेरुखी पर नाराजगी व्यक्त की। जातियों के उल्लेख पर कुछ गरमागरम टीका-टिप्पणी भी हुई। मगर लगभग सभी प्रतिनिधियों ने महाराष्ट्र में जातिगत आरक्षण की लड़ाई में निरुपम का साथ देने की खुली घोषणा की।

निरुपम ने कहा कि वे उत्तर-भारत में आरक्षण का लाभ पाने वाली जातियों को मुंबई और महाराष्ट्र में आरक्षण दिलाने के लिए जद्दो-जहद करेंगे। मंडल कमिशन की महाराष्ट्र की सूची में अधिकांश उत्तरभारतीय जातियों के नाम गायब हैं। कुछ ने प्रयास करके अपनी जाति के नाम सूची में डलवाए, तो 1957 से महाराष्ट्र की रहिवासी होने की शर्त लगाकर उन्हें इससे भी वंचित कर दिया गया। यह मांग की गई कि 15 साल महाराष्ट्र का ‘डोमिसाइल’ होने की शर्त काफी होनी चाहिए। निरुपम ने बताया कि गर्मी की छुट्टी में उत्तरभारत गए प्रवासियों के लौटने का बाद मुंबई कांग्रेस इस पहल के आगे बढ़ाएगी।

 

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