मुकुल रॉय अकेले नही हैं और कौन कौन हैं इनके साथ

कोलकाता। मुकुल रॉय फिलहाल अकेले पार्टी छोड़ने की घोषणा किये हैं, यहां तक कि इनके विधायक बेटे शुभ्रांशु रॉय ने भी पार्टी में बने रहने की बात कही है. हालांकि इसके तत्काल बाद मुकुल रॉय को 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया गया. निलंबन को राजनीतिक हलके में बेहद हल्के से लिया गया लेकिन इसके पीछे एक सोची समझी रणनीति है. दरअसल मुकुल रॉय ने घोषणा करते वक़्त कहा कि पांच दिन इंतजार करें सब बताऊंगा व पार्टी छोड़ने की वजह भी. तृणमूल कांग्रेस ऐसे में पार्टी के किसी भी नेता को मुकुल रॉय से इन पांच दिनों में मिलने का मौका नही देना चाहती. हालांकि इन पांच दिन में कुछ खास होने वाला भी नही है. तृणमूल कांग्रेस के चार सांसदों व दो विधायकों के साथ बैठक कर इसकी पूरी पटकथा मुकुल रॉय लिख चुके हैं. अब सिर्फ अमली जामा पहनाया जा रहा है. अब सवाल है कि मुकुल रॉय के साथ और कौन कौन हैं?

मुकुल रॉय आखिर जाएंगे कहां

मुकुल रॉय ने अपने हाथों से जिस तृणमूल कांग्रेस पार्टी की नींव रखी थी. अंततः उसे ही त्यागकर अलग हो गए, अब कहां व किसके साथ खड़े होंगे ? इसका खुलासा वह पांच दिन बाद करेंगे. यानी कि विजयादशमी या गांधी जयंती के दिन कर सकते हैं. मुकुल रॉय बीजेपी नेतृत्व के संपर्क में हैं. सूत्रों के मुताबिक इसी माह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के कोलकाता दौरा पर आने के बाद मुकुल रॉय को पार्टी में शामिल कराने को लेकर प्रदेश बीजेपी के नेताओं से उनकी चर्चा भी हुई थी.

अमित शाह को छोड़ सभी अंजान

बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष के अनुसार मुकल रॉय कहां जाएंगे ये तो पता नहीं लेकिन वो बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में हैं. बंगाल बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय कहते हैं कि हमें मुकुल रॉय से क्या मतलब. यह तृणमूल कांग्रेस का अंदरूनी मामला है वह समझे. उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और बंगाल के पूर्व सह प्रभारी सिद्धार्थनाथ सिंह ने सार्वजनिक मंच से कहा था – भाग मुकुल भाग. अब सिद्धार्थनाथ सिंह का कहना है कि मुझे मुकुल रॉय के संबंध में कोई जानकारी नही है. वैसे मुकुल रॉय अमित शाह के अलावा राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुरेश प्रभु और पीयूष गोयल से निरंतर संपर्क में हैं.

बीजेपी या फिर नया दल

मुकुल रॉय वैसे चाहते थे नया दल गठन करके बीजेपी से गठबंधन करना, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने हरी झंडी भी दे दी थी. लेकिन तीन दिवसीय बंगाल दौरे के बाद अमित शाह ने उनसे बीजेपी ही जॉइन करने को कहा है. दरअसल बंगाल बीजेपी में नेतृत्व का अभाव है और अमित शाह इनकी सांगठनिक क्षमता को देखते हुए पश्चिम बंगाल में इसका भरपूर लाभ उठाना चाहते हैं. बहरहाल, यह तय है कि मुकुल रॉय अब अमित शाह की टीम के नए लेकिन अनुभवी सदस्य होंगे. बीजेपी में शामिल होकर या फिर नया दल को एनडीए में शामिल करके.

देरी की फिर वजह क्या है

मुकुल रॉय की राज्यसभा की सदस्यता 2 अप्रैल’18 को समाप्त हो रही है. ऐसे में 6 महीने से भी कम वक्त के लिए राज्यसभा के सांसद की हैसियत से वह बीजेपी जॉइन नही करना चाहते. मुकुल रॉय ने यह इच्छा अमित शाह के सामने व्यक्त की थी जिसे अमित शाह स्वीकार कर लिए हैं. वह 2 अक्टूबर तक कभी भी राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे सकते हैं, ताकि वह स्वतंत्र होकर बीजेपी जॉइन कर सकें. इससे 6 महीने की अवधि भी कम हो जाएगी और उन्हें मिलने वाली सुख सुविधाओं पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नही पड़ेगा. मुकुल रॉय के लिए इसमें भी एक अड़चन आ रही है, राज्यसभा सांसद के रूप में उनका MPLAD  फंड का पूरा उपयोग व क्लियरेन्स नही मिला है. ऐसे में इस अवधि के दौरान उन्हें यह पूरा करने को कह दिया गया है. तेज गति से फाइल तैयारी की काम भी शुरू हो गया है.

 

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