मुन्ना बजरंगी हत्याकांड में अफसरों की थी मिलीभगत, जेलर व डिप्टी जेलर सहित पांच दोषी

लखनऊ। बागपत जेल में माफिया डान मुन्ना बजरंगी की हत्या मामले में जेलर और डिप्टी जेलर समेत पांच कर्मियों को दोषी ठहराया गया है। कारागार मुख्यालय ने सभी को आरोप पत्र देकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। जवाब मिलने पर आगे की कार्रवाई होगी। हालांकि इनमें से कम से कम तीन जेल कर्मियों की बर्खास्तगी तय है।

एडीजी कारागार चंद्र प्रकाश ने बताया कि इस मामले में बागपत जिला कारागार के जेलर उदय प्रताप सिंह, डिप्टी जेलर शिवाजी यादव, एसपी सिंह के अलावा हेड वार्डर अरजिंदर सिंह व वार्डर माधव कुमार को दोषी माना गया है। इनमें से एसपी सिंह को छोड़ कर बाकी सभी को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।

इस मामले की जांच डीआईजी जेल आगरा ने की थी। जांच में सामने आया था कि जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के आरोपी सुनील राठी की मनमानी चलती थी। उससे मिलने आने वालों की कोई जांच नहीं होती थी और न ही उनकी कहीं एंट्री कराई जाती थी। पूरा जिला जेल प्रशासन सुनील राठी के आगे नतमस्तक था। बागपत के ही अन्य कैदी जो उसके करीबी थी, वह सब साथ में ही रहते थे।

शुरुआती जांच में हुए थे ये खुलासे

बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या से पहले उसकी जमकर पिटाई की गई थी। इसमें सुनील राठी, उसका भाई अरविंद राठी, एक लंबरदार समेत पांच लोगों के शामिल होने की बात कही जा रही है। यह खुलासा पुलिस की शुरुआती जांच में हुआ है।

जांच में पता चला कि पिटाई के बाद बजरंगी की पूर्वांचल के एक बाहुबली माफिया से व्हाट्स एप पर काल कराई गई थी। इसके बाद बाहुबली ने फोन पर ही उसकी हत्या का फरमान सुना दिया। हत्या के समय सुनील राठी के साथ उसका भाई अरविंद राठी और जेल के लंबरदार बब्लू, जेल में ही बंद परमिंदर और प्रधान मौजूद थे।

बजरंगी की हत्या से पहले एक महीने में तीन बार पूर्वांचल का यह बाहुबली बागपत जेल में सुनील राठी से मिला था। माना जा रहा है कि तभी मुन्ना बजरंगी के बागपत जेल पहुंचने की स्क्रिप्ट तैयार की जा चुकी थी।

 

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