मुफ्ती का साथ, मुफ्त का विवाद, भाजपा का सत्यानाश

Page-1_1_2कुमार श्यामल
लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के बाद लगातार कई राज्यों में विधान सभा चुनाव भी बीजेपी ने खुद जीती और सरकार भी बनाई, लेकिन दिल्ली विधान सभा में भाजपा को एक तरफ जहां करारी शिकस्त झेलनी पड़ी वहीं जम्मू कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। जम्मू कश्मीर में उम्मीद से ज्यादा सीटें तो मिलीं लेकिन सरकार की बागडोर हाथ से फिसल गई। भाजपा ने इसी फिसली हुई बागडोर को कुछ हद तक अपने हाथ में लेने के लिए एक बड़ा कदम उठाया और टीडीपी के साथ जम्मू कश्मीर को साझा सरकार की सौगात दे डाली। जम्मू कश्मीर में चुनाव के दौरान नेशनल कान्फ्रेन्स, कांग्रेस, टीडीपी और भाजपा ने जमकर एक दूसरे के खिलाफ जहर उगला था, लेकिन स्पष्टï जनादेश न मिलने के कारण भारतीय जनता पार्टी ने टीडीपी के साथ शर्तों के आधार पर समर्थन देकर सरकार का गठन किया। टीडीपी शुरू से जम्मू कश्मीर में विवादों वाली पार्टी रही है। हद तो तब हो गई जब टीडीपी के मुखिया मुफ्ती मोहम्मद सईद ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और उसके तुरंत बाद निहायत ही बेहूदा बयान दे डाला। मुफ्ती मोहम्मद सईद की मानें तो जम्मू कश्मीर में शांतिपूर्ण मतदान के लिए न तो भारत की सेना जिम्मेदार थी न जम्मू कश्मीर की पुलिस व्यवस्था जिम्मेदार थी, न देश का चुनाव आयोग जिम्मेदार था और न ही केंद्र सरकार।
जम्मू कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव के लिए मुफ्ती मोहम्मद ने पाकिस्तान और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों को धन्यवाद दिया। मुफ्ती का यह बयान बेहद ही बेहूदाना और राष्टï्रविरोधी है। इस बयान के बाद सबकी निगाहें भाजपा के समर्थन की तरफ टिक गई थीं। सवाल तो तभी से उठने लगे थे जब भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू कश्मीर में टीडीपी को समर्थन देने का ऐलान किया था। राजनीतिकारों ने तभी से मान लिया था कि भाजपा का यह कदम खुद के लिए बड़ा आत्मघाती साबित होगा और ऐसा होता दिख भी रहा है। मुफ्ती मोहम्मद सईद के उस बयान से उठे तूफान को अभी थमने का भी मौका नहीं मिला था उसके पहले ही भाजपा शासित केंद्र सरकार के फैसले को ठेंगा दिखाते हुए मुफ्ती मोहम्मद सईद ने एक बेहद खौफनाक और राष्टï्रद्रोही अलगाववादी नेता को रिहा कर दिया। एक के बाद एक मुफ्ती का इस तरह का निर्णय लेना और बयान देना भाजपा के लिए सिर्फ जम्मू कश्मीर ही नहीं पूरे देश में भद पीटने के लिए काफी होगा और ऐसी स्थिति में अगर भाजपा टीडीपी से समर्थन वापस लेती है तो टीडीपी भाजपा के इस कदम को भी जम्मू कश्मीर विरोधी कदम बताते हुए उसका जमकर फायदा उठाएगी। कहने का अभिप्राय बस इतना है कि बिना सोचे-समझे सत्ता की आस में टीडीपी जैसे पार्टी से भाजपा का तालमेल जहां टीडीपी को फायदा पहुंचा रहा है वहीं भाजपा की स्थिति बेहद कमजोर कर रहा है। बावजूद इसके अगर भाजपा तत्काल टीडीपी से समर्थन वापस ले ले तो काफी हद तक अपना डैमेज कंट्रोल कर सकती है। भाजपा के समर्थन से चलने वाली टीडीपी सरकार जहां पाकिस्तान और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के लिए मुफीद जरिया बनेगी वहीं जम्मू कश्मीर और पूरे देश के लिए बेहद खतरनाक भी रहेगी। मुफ्ती का यह बयान कि शांतिपूर्ण चुनाव पाकिस्तान और उसके आतंकवादियों की देन है वह पाकिस्तान और उसके आतंकवादियों के हौसलों को जितना बढ़ाएगा उतना ही समर्थन भी पाएगा। भाजपा ने एक बड़ी गल्ती की है। बेहतर होगा इस गल्ती का तत्काल उपाय कर ले वरना पूरे देश को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

 

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