मुस्लिम धर्म गुरु कल्‍बे सादिक का हाहाकारी बयान, हिंदुओं से नहीं मुसलमानों से दिक्‍कत

लखनऊ। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डॉ. कल्बे सादिक को हमेशा से उनकी साफगोई के लिए जाना है। मुस्लिम समुदाय में उनकी बहुत इज्‍जत है। वो मुसलमानों के धर्म गुरु भी है। लेकिन, कल्‍बे सादिक के एक बयान पर बवाल खड़ा हो सकता है। उनका कहना है कि मुझे हिंदुओं से नहीं बल्कि मुसलमानों से प्रॉब्‍लम है। बाराबंकी पहुंचे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डॉ. कल्बे सादिक ने कहा कि मुसलमान मस्जिद बनाएं लेकिन, यहूदियों की तरह। जिस तरह से चर्च के बगल में शैक्षणिक संस्‍थान होते हैं उसी तरह मस्जिदों के बगल में भी शैक्षिणक संस्‍थान होने चाहिए। उनका कहना है कि अगर ऐसा होगा तो हिंदु समुदाय के लोग भी मुसलमानों को सपोर्ट करेंगे। डॉ कल्‍बे सादिक कहते हैं कि मस्जिद से कुछ नहीं मिलेगा। लेकिन, अगर शैक्षणिक संस्‍थान होगा तो सभी को बेहतर एजूकेशन मिल सकेगी।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डॉ. कल्बे सादिक का कहना है कि एजूकेशन मार्डन होनी चाहिए। इसी से आपको इज्‍जत मिलेगी। कल्‍बे सादिक का कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो आप देश के मोहताज नहीं होंगे बल्कि देश आपका मोहताज होगा। उनका कहना है कि जो नेत्रहीन है उसे भी एजूकेशन सपोर्ट करती है। उसी भी नया मुकाल हासिल कराती है। कल्‍बे सादिक ने ये बातें बाराबंकी के जहांगीराबाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के तीसरे दीक्षांत समारोह में कहीं। इसी कार्यक्रम में उन्‍होंने कहा कि मुझे कभी भी हिंदुओं से कोई प्रॉब्‍लम नहीं हुई। लेकिन, मुस्लिमों से दिक्‍कतें जरुर हुईं। उनका कहना है कि मुसलमानों को दीन धर्म की कोई जानकारी नहीं है। कल्‍बे सादिक का कहना है कि सिर्फ नमाज पढ़ लेने से कोई मुसलमान नहीं हो सकता है। उसे कुरान की भी जानकारी होनी चाहिए। कुरान में साफ तौर पर कहा गया है कि अपराध करने वाले कभी मुसलमान नहीं हो सकता।

दरसअल, कल्‍बे सादिक की तरह उत्‍तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी भी मुसलमानों के लिए मार्डर एजुकेशन की वकालत करते हैं। वसीम रिजवी का तो यहां तक मानना है कि देश के मदरसों को ही बंद कर देना चाहिए। हालांकि कल्‍बे सादिक ने ऐसी कोई बात नहीं की लेकिन, मार्डर एजूकेशन पर उनका पूरा जोर रहा। वो भी चाहते हैं कि मुस्लिम समुदाय के बच्‍चे मार्डन एजूकेशन हासिल कर अपना और अपने परिवार का नाम रोशन करें। जबकि मदरसा एजूकेशन में ऐसा कुछ भी नहीं हो पाता है। अभी हाल ही में उत्‍तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को एक खत भी लिखा था। जिसमें मदरसों को बंद करने या फिर उनकी पढ़ाई को सीबीएसई बोर्ड से अटैक करने की मांग की गई थी। उस वक्‍त वसीम रिजवी ने इस मसले पर खुलकर अपना पक्ष रखा था।

वसीम रिजवी का कहना था कि आज तक मदरसा में पढ़ने वाला एक भी छात्र ना तो डॉक्‍टर बना है और ना ही इंजीनियर, आईएएस-पीसीएस तो बहुत दूर की बात है। वसीम रिजवी का कहना था कि मरदसों से पढ़कर मुस्लिम बच्‍चे आतंकवादी बन रहे हैं। इसके साथ ही उन्‍होंने आरोप लगाया था कि देश के कई मरदसों में आतंकवादी फंडिंग कर रहे हैं। सारा खेल फंडिंग का है। उनके इस आरोप के बाद वसीम रिजवी को अंडरवर्ल्‍ड दाऊद इब्राहिम से जान से मारने की धमकी भी मिली थी। वसीम रिजवी का कहना था कि मदरसों में चंदे के तार बहुत दूर तक जुड़े हुए हैं। ऐसे लोग उन्‍हें मारना चाहते हैं। कल्‍बे सादिक ने मदरसों की बात तो नहीं की। लेकिन, माना जा रहा है कि उनका निशाना इसी ओर था। शायद यही वजह है‍ कि मुस्लिम धर्म गुरु कल्‍बे सादिक भी चाहते हैं कि मुसलमानों के बच्‍चों को मार्डन एजूकेशन हासिल हो। ताकि वो जिदंगी में कुछ कर सकें कुछ बन पाएं।

 

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