‘मैं गद्दार नहीं, प्रेम में हिन्दुस्तान से खिंचा चला आया पाकिस्तान’

लाहौर। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर भावुक बयान दिया है. नवाज शरीफ ने कहा, ‘मैं देशद्रोही नहीं हूं. मैं और मेरा परिवार पाकिस्तान की जमीन से प्यार करता है.’ उन्होंने कहा कि वे और उनका परिवार पाकिस्तान से प्रेम करते हैं. यही वजह है कि 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ तो उनका परिवार हिन्दुस्तान छोड़कर पाकिस्तान आ गया था.

नवाज शरीफ पर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है. इसी मामले में सोमवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान नवाज शरीफ ने अपने बचाव में कहा कि उनकी देशभक्ति पर सवाल न उठाया जाए. वे पाकिस्तान से बेइंतहा प्रेम करते हैं.

नवाज शरीफ ने एक इंटरव्यू में कबूल किया था कि 2008 के मुंबई आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ था. उनके इस बयान को देश के खिलाफ गद्दारी बताया जा रहा है. इसी मामले में सिविल सोसायटी की सदस्य अमीना मलिक ने नवाज शरीफ और उनका इंटरव्यू लेने वाले पत्रकार सिरिल अलमीडा पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए याचिका दायर की थी.

नवाज के इस बयान पर विवाद के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक भी बुलाई थी. बाद में अब्बासी ने नवाज से मिलकर उन्हें इस बैठक में हुई चर्चा से अवगत कराया था. इसके लिए मलिक ने अब्बासी पर भी केस किया है.

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लाहौर हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए नवाज ने कहा, ‘जिस व्यक्ति ने देश को परमाणु राष्ट्र बनाया वह देशद्रोही कैसे हो सकता है. हाल में हुए उपचुनाव में जिस व्यक्ति की पार्टी को सबसे ज्यादा वोट मिले वह देशद्रोही कैसे हो सकता है? मैं लाखों देशवासियों का प्रतिनिधित्व करता हूं, क्या वे देशद्रोही हो सकते हैं?’

अदालत में दाखिल अपने जवाब में शरीफ ने कहा, ‘जिस व्यक्ति ने इस मुल्क को परमाणु शक्ति संपन्न बनाया वह कैसे गद्दार हो सकता है? इस महीने हुए उप चुनाव में जिसकी पार्टी को किसी अन्य दल की तुलना में सबसे अधिक मत मिले हों क्या वह गद्दार हो सकता है? मैं लाखों पाकिस्तानियों का प्रतिनिधित्व करता हूं……..क्या वह गद्दार हो सकते हैं ?’ उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान के प्रति मोहब्बत के लिए ही उनका परिवार भारत से यहां आया था.

शरीफ ने गद्दारी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘मुझे और मेरे परिवार को इस मिट्टी (पाकिस्तान) के जर्रे जर्रे से मोहब्बत है. शरीफ के पिता मियां मोहम्मद शरीफ पंजाब के तरन तारन जिले के जट्टी उमरा में रहते थे. 1947 में विभाजन के पश्चात वह लाहौर चले गए थे.

मामले में अपने जवाब में एक अन्य पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने इस बात से इंकार कर दिया कि उन्होंने मुंबई आतंकवादी हमलों में शामिल होने वाले लोगों के बारे में शरीफ की टिप्पणी के संबंध में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक की जानकारी साझा की थी.

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पत्रकार अलमेडा ने कहा कि उन्होंने कोई गद्दारी नहीं की है क्योंकि उन्होंने शरीफ का साक्षात्कार किया और जो उन्होंने कहा वही उन्होंने लिखा. पाकिस्तान इलेक्ट्रानिक मीडिया रेग्यूलेटरी अथारिटी ने भी अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा कि यह मुद्दा पाकिस्तान प्रेस परिषद के पास भेज दिया गया है.

जस्टिस मजहर अली नकवी की अगुवाई वाली अदालत की पूर्ण पीठ अब मामले की सुनवाई 12 नवंबर को करेगी. अदालत अमिना मलिक की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही है. अमीना ने बताया कि पनामा पेपर मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा जुलाई 2017 में अयोग्य करार दिये गए शरीफ ने पिछले साल मई में कहा था कि मुंबई आतंकवादी हमले में शामिल लोग असल में पाकिस्तानी थे. याचिकाकर्ता ने कहा कि शरीफ तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं और उनके ‘राष्ट्र विरोधी’ बयान का इस्तेमाल देश के दुश्मन कर सकते हैं.

 

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