मोदीकेयर से राजस्थान-महाराष्ट्र के अलग रहने की बात अफवाह: स्वास्थ्य मंत्रालय

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक आयुष्मान भारत योजना को सरकार से मंजूरी मिल गई है. अब इसे लोगों तक पहुंचाने का काम शुरू होगा. इस बीच ऐसी खबरें आईं कि राजस्थान और महाराष्ट्र इस प्रोजेक्ट में खास रुचि नहीं दिखा रहे हैं और इससे अलग रहना चाहते हैं. लेकिन अब सरकार की ओर से इस पर सफाई पेश की गई है.

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि राजस्थान और महाराष्ट्र स्वास्थ्य के क्षेत्र में चल रहे अपने कार्यक्रमों को केन्द्र के आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन के साथ जोड़ने को तैयार हैं, ताकि किसी तरह की बाधा से बचा जा सके.

राजस्थान और महाराष्ट्र आयुष्मान भारत योजना से नहीं जुड़ना चाहते हैं, इस संबंध में खबरें आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि दोनों राज्य योजना का पूरा समर्थन करते हैं.

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों राज्यों में स्वास्थ्य बीमा योजनाएं काफी प्रभावी हैं. योजनाएं आयुष्मान भारत के तहत प्रस्तावित संख्या से ज्यादा लोगों को सुविधा मुहैया करा रही हैं.

महाराष्ट्र में महात्मा ज्योतिबा फुले आरोग्य योजना के तहत 2012 से करीब 2.24 करोड़ लोगों को बीमा कवरेज मिला है. वहीं, राजस्थान में भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 2015 से करीब 92 लाख परिवारों को कवरेज मिला है.

आपको बता दें कि आयुष्मान भारत के तहत देश के 10 करोड़ गरीब और असहाय परिवारों (अनुमानतः 50 करोड़ लाभार्थी) को जोड़ा जाना है. प्रति परिवार और प्रति साल पांच लाख रुपये के स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलेगा.

पहले से चली आ रही दो स्वास्थ्य योजनाओं- राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना और वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना- का आयुष्मान भारत में विलय हो जाएगा. योजना के मुताबिक देश की 40 फीसदी आबादी बीमा लाभ के दायरे में आ जाएगी. देश के 20 राज्यों ने केंद्रीय योजना को अपने यहां लागू करने की सहमति दे दी है.

 

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