मोदी अंकल ‘नमामि गंगे’ योजना के तहत 3,703 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे. उसका क्या हुआ ?

rtinamamigangeलखनऊ।  यूपी की राजधानी लखनऊ में रहने वाली एक हाईस्कूल की छात्रा ने RTI के जरिये पीएम से पूछा मोदी अंकल ‘नमामि गंगे’ योजना के तहत 3,703 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे. उसका क्या हुआ ? अंकल क्या गंगा की सफाई हो पायी. इसके जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से जो खुलासा किया गया, उससे यह बात साफ है कि बहुप्रचारित ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम ज्यादातर कागजों में ही सिमट कर रह गया है. यही हाल पिछले 30 वर्षों के दौरान घोषित हुईं अन्य योजनाओं का रहा है.

गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान एक नारा लगा था. गंगा मैय्यां करे पुकार अबकी बार मोदी सरकार इस भावनात्मक नारे के साथ वाराणसी से मोदी जी के चुनाव का शंखनाद किया गया. गंगा के नाम पर पहली बार वोट मांगे जा रहे थे. लोगों ने गंगा के नाम पर भाजपा को पूरा फायदा दिलाया और मोदी को भारी अंतर से चुनाव जिताया.

सरकार बनते ही मोदी जी ने गंगा की सफाई के लिए नमामि गंगे योजना की शुरुआत की जिसके लिए 3,703 करोड़ रुपये भी आवंटित कर दिए. आंकड़े गवाह हैं कि भाजपा ने पिछले दो वर्षों के शासनकाल में गंगा की सफाई के लिए आवंटित 3,703 करोड़ रुपये में से 2,958 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन इस पवित्र नदी की जैसी की तैसी बनी हुई है.

लखनऊ की 10वीं कक्षा की ऐश्वर्य शर्मा नामक विधार्थी ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी मांगी, जिसके जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से जो खुलासा किया गया है. उससे यह बात साफ हो जाती है कि बीजेपी ने ‘नमामि गंगे’ का प्रचार प्रसार तो खूब जमके किया, लेकिन काम सिर्फ फाइलों तक ही सिमट कर रह गया. यही नहीं घंघा कि सफाई के लिए पिछले 30 वर्षों के दौरान कई योजनाएं शुरू की गयीं. उनका भी यही हाल रहा.

14 वर्षीय इस लड़की ने 9 मई को भेजे अपने आरटीआई आवेदन में सात सवाल पूछे थे, जिसमें अब तक संवेदनशील मुद्दे, बजटीय प्रावधानों और खर्चों पर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठकों के विवरण शामिल हैं. पीएमओ के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी सुब्रतो हजारा ने इन सवालों को जवाब के लिए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार मंत्रालय के पास भेज दिया.

मंत्रालय केके सप्रा ने 4 जुलाई को भेजे जवाब में बताया कि राष्ट्रीय गंगा सफाई मिशन के लिए 2014-15 में 2,137 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. बाद में इसमें 84 करोड़ रुपये की कटौती कर इसे 2,053 करोड़ रुपये कर दिया गया. लेकिन केंद्र सरकार ने भारी प्रचार-प्रसार के बावजूद सिर्फ 326 करोड़ रुपये खर्च किए गए. शेष 1,700 करोड़ रुपये रह गए.

वर्ष 2015-16 में भी स्थिति कुछ खास नहीं बदली. अलबत्ता केंद्र सरकार ने प्रस्तावित 2,750 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन को घटाकर 1,650 करोड़ रुपये कर दिया. संशोधित बजट में से 18 करोड़ रुपये 2015-16 में बिना खर्चे के रह गया. इस स्थिति से खिन्न ऐश्वर्य ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गंगा सफाई पर चलाए गए भारी अभियान को देखते हुए यह स्थिति बिल्कुल चौंकाने वाली है.’

ऐश्वर्य ने कहा कि वह इस स्थिति से अत्यंत निराश है. उसने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष (2016-17) में आवंटित 2,500 करोड़ रुपये में से अब तक कितना खर्चा गया, केंद्र सरकार के पास उसका कोई विवरण मौजूद नहीं है. ऐश्वर्य ने ‘मोदी अंकल’ से यह भी जानना चाहा है कि वह इस महत्वपूर्ण परियोजना को लेकर गंभीर क्यों नहीं है ? जो इस बात से स्पष्ट है कि राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (एनजीआरबीए) की तीन बैठकों में से प्रधानमंत्री ने सिर्फ एक बैठक की अध्यक्षता 26 मार्च, 2014 को की थी.

इसके अलावा अन्य दो बैठकों की अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने की थी, जो 27 अक्टूबर, 2014 और चार जुलाई, 2016 को हुई थीं. जबकि मोदी के पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह ने इसके ठीक विपरीत अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान हुई एनजीआरबीए की सभी तीन बैठकों की अध्यक्षता की थी. ये बैठकें पांच अक्टूबर, 2009, पहली नवंबर, 2010, और 17 अप्रैल, 2012 को हुई थीं.

ऐश्वर्य ने एक कुटिल मुस्कान के साथ कहा, ‘मैं सिर्फ आशा कर सकती हूं कि मोदी अंकल इस मोर्चे पर अपने वादे पूरे करेंगे. क्योंकि हम सभी को उनसे बहुत उम्मीदें हैं.’ लेकिन यह तो समय ही बताएगा कि जिस मोदी सरकार ने अगले पांच वर्षों में गंगा पुनर्द्धार और सफाई पर 20,000 करोड़ रुपये खर्च करने का वादा किया है. वह अपने वादे पूरे कर पाएगी या नहीं.’

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button