उधर मोदी-शरीफ मिले, इधर जवान शहीद

फाइल फोटो: नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ।
फाइल फोटो: नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ।
तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली। रूस के उफा शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ की मुलाकात से पहले नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पड़ोसी देश ने सीजफायर तोड़ते हुए फायरिंग की है। नॉर्थ कश्मीर के बारामूला सेक्टर की लीपा घाटी में हुई फायरिंग में बीएसएफ का एक जवान शहीद हो गया है। बीती 5 जुलाई को भी नौगाम सेक्टर में पाकिस्तान की फायरिंग में बीएसएफ का एक जवान शहीद हुआ था।
रूस के उफा में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ के बीच बातचीत होगी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को बयान जारी करके कहा कि उफा में दोनों पीएम भारतीय समय के मुताबिक शुक्रवार सुबह नौ बजकर पंद्रह मिनट पर मिलेंगे। हालांकि, दोनों की अनौपचारिक मुलाकात अब से कुछ घंटे बाद ही डिनर के दौरान ही होनी है। बता दें कि दोनों नेता शंघाई कार्पोरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) के सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद दोनों के बीच यह तीसरी मुलाकात होगी। हालांकि, जब भी दोनों मिलते हैं, उससे पहले या बाद में सीमा पर पाक की तरफ फायरिंग शुरू हो जाती है। 1. 26 मई 2014 मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में उनकी शरीफ से पहली बार मुलाकात हुई थी। तब पाकिस्तान की आर्मी और वहां के कट्टरपंथियों ने शरीफ के दौरे का विरोध किया था। एक महीने बाद जुलाई में पाक फायरिंग में दो जवान शहीद हो गए थे। 2. 27 नवंबर 2014 नेपाल में सार्क समिट में मोदी और शरीफ के बीच मुलाकात हुई। इससे एक दिन पहले दोनों मिलने से कतराते रहे। इसकी वजह यह थी कि नवंबर में पाकिस्तान की ओर से फायरिंग के कारण दोनों देशों के बीच तनाव था। 8 नवंबर 2014 को जम्मू-कश्मीर के उड़ी में फायरिंग में एक महिला की मौत हुई थी। एक जवान शहीद भी हुआ था। 3. रूस के उफा में 10 जुलाई को मोदी-शरीफ के बीच 14 महीने के अंदर तीसरी बार मुलाकात होने जा रही है। लेकिन इसके पहले 5 जुलाई को नौगाम सेक्टर में गोलीबारी में एक बीएसएफ जवान शहीद हो गया। तीन अन्य इलाकों में पाकिस्तान ने फायरिंग की। इसके बाद 7 जुलाई को भी पाकिस्तान ने जम्मू से 20 किलोमीटर दूर अरनिया सेकटर में बीएसएफ की 6 पोस्ट पर फायरिंग की।
मोदी और शरीफ आखिरी बार बीते साल नवंबर में नेपाल के काठमांडू में हुए सार्क सम्मेलन में मिले थे। हालांकि, उस वक्त दोनों के बीच कोई दि्वपक्षीय बातचीत नहीं हुई थी। इस साल रमजान से पहले, मोदी ने शरीफ को फोन करके शुभकामनाएं दीं। मोदी ने नवाज शरीफ को भारत द्वारा पाकिस्तानी मछुआरों को छोड़ने के फैसले की जानकारी भी दी। इस कदम को मोदी द्वारा डैमेज कंट्रोल के कदम के तौर पर देखा गया, क्योंकि उनके बांग्लादेश दौरे पर उन्होंने पाकिस्तान को ‘सिरदर्द’ करार दिया था। इसके बाद, पाकिस्तान की ओर से भी तीखे बयान दिए गए, जिससे दोनों देशों के बीच रिश्ते तल्ख होते दिखे। म्यांमार में भारत द्वारा उग्रवादियों के खिलाफ किए गए मिलिट्री ऑपरेशन को लेकर भी दोनों देशों के बीच बयानबाजी हुई।
विदेश मामलों के जानकार जी. पार्थसारथी ने बताया कि मोदी-शरीफ की मुलाकात में पाकिस्तान के विदेश सचिव का भारत दौरा तय हो सकता है। इस मुलाकात से इससे ज्यादा उम्मीद लगाने से पहले पाकिस्तान की अंदरूनी स्थिति देखनी होगी। वहां की विदेश और सुरक्षा नीति सेना के हाथ में है। अफगानिस्तान, भारत, चीन और अमेरिका से रिश्तों पर सभी फैसले सेना ही लेती है। ऐसे में इस मुलाकात से उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। पाकिस्तान के मौजूदा आर्मी चीफ राहिल शरीफ भारत के प्रति सख्त भावनाएं रखते हैं। 1965 की जंग में शरीफ ने चाचा को खोया और 1971 की जंग में भाई को। भारत के खिलाफ उनके बयान नफरत भरे रहते हैं। उन्हीं की फौज के दबाव में पाकिस्तान ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। शरीफ के पास कुछ करने की पॉलिटिकल पावर भी तो नहीं है। भारत में भी कोई नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान को हम कुछ राजनीतिक फायदा दें और वह आतंकवाद के रास्ते पर चलता रहे। यह द्विपक्षीय मुलाकात नहीं है। एजेंडा नहीं होगा।
 

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