मोदी ने दिया चीन को 30000000000 रुपयों का झटका, एक ही वार से उजाड़ दी जिनपिंग की हसीन दुनिया

नई दिल्ली। कांग्रेस राज में 1962 में भारत पर हमला करके भारत की हजारों वर्ग मीटर जमीन पर कब्जा करने वाले चीन से अपनी जमीन वापस हासिल करने की जगह कांग्रेस ने चीनी कंपनियों को ही भारत में निवेश के लिए बुला लिया था. चीन ने भारत में निवेश करना शुरू किया और यहाँ से अरबों रुपये की कमाई शुरू कर दी. वहीँ भारतीय व्यापार व् कंपनियां पिछड़ती चली गयीं. लेकिन अब पीएम मोदी ने कांग्रेस की गलती को सुधारते हुए चीन को पहला सबसे बड़ा झटका दे दिया है.

दरअसल पीएम मोदी ने चीन को ये झटका अपनी ‘इंडिया फर्स्ट‘ पॉलिसी द्वारा दिया है. इसके तहत गेल इंडिया के द्वारा बनाई जा रही पाइपलाइन प्रॉजेक्ट्स में भारतीय कंपनियों को प्राथमिकता दे गयी है, लिहाजा 3,000 करोड़ रुपये के पाइपलाइन प्रॉजेक्ट्स की दौड़ से चीन की कंपनियों को बाहर कर दिया गया है.

ये चीन के लिए पहला सबसे बड़ा झटका है. ज़रा सोचिये, कभी भारत से पीछे रहने वाला चीन पिछले तीन दशकों में कांग्रेस की नाकाम व् महाभ्रष्ट सरकारों के कारण आसानी से भारत से आगे निकल गया. प्रतिवर्ष चीनी कंपनियां भारत से अरबों रुपयों की कमाई करती है और ये सारा पैसा चीन चला जाता है. भारत से कमाई करने वाला चीन कृतज्ञ होने की जगह उलटा भारत को ही आँखें भी दिखाता है. चाहे पाक आतंकियों का मसला हो या एनएसजी का मुद्दा, अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अक्सर ही चीन भारत का विरोध करता नज़र आता है.

लेकिन अब चीन के भूखों मरने के दिन आने वाले हैं. पीएम मोदी की ‘इंडिया फर्स्ट’ पॉलिसी से भारतीय स्टील कंपनियों को जबरदस्त फायदा होगा और पीएम मोदी के ‘मेक इन इंडिया‘ मिशन को भी पंख लगेंगे. इस नीति के चलते भारतीय स्टील कंपनियों को अरबों डॉलर का बिजनेस चीन की कंपनियों के हाथों नहीं गंवाना पड़ेगा, जो सस्ता स्टील बेचती हैं.

केवल इतना ही नहीं बल्कि अब स्टील और पावर सेक्टर के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी भारतीय कंपनियों को प्राथमिकता दी जायेगी. हालांकि ये इतना आसान भी नहीं होगा, क्योंकि निकम्मी कांग्रेस ने ऊट-पटांग अंतरराष्ट्रीय संधियां की हुई हैं. ऐसे में पीएम मोदी अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन किए बिना भारतीय कंपनियों को प्राथमिकता देने के उपाय तलाश रहे हैं.

चीनी कंपनियों में हड़कंप

बताया जा रहा है कि मोदी सरकार ने फैसला लिया है कि 50 करोड़ रुपये से अधिक के केंद्र-राज्य सरकारों और सरकारी कंपनियों के सभी टेंडर में भारतीय कंपनियों को प्राथमिकता दी जाएगी, मतलब यहाँ से चीनी कंपनियों का पत्ता साफ़. हालांकि भारतीय कंपनियों को इसके लिए क्वॉलिटी व् मात्रा संबंधी शर्तों को पूरा करना होगा. इसी के साथ यदि कोई देश में प्लांट लगाना चाहता है तो उसका भी स्वागत किया जाएगा.

जैसे-जैसे एक-एक करके सभी क्षेत्रों से चीनी कंपनियों का सफाया होगा, वैसे-वैसे भारतीय कमाई से हवा में उड़ता चीन भी जमीन पर आ जाएगा. कश्मीर मुद्दा भी तब तक पूरी तरह से सुलझाया नहीं जा सकता जबतक चीन पाकिस्तान का समर्थन करता रहता है. ऐसी में चीन को पछाड़ना, पाकिस्तान को पछाड़ने से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है. चीन के पस्त होते ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खुद-ब-खुद पस्त हो जायेगी और भारत पाकिस्तान के साथ बिना जंग लड़े ही जीत जाएगा.

 

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