मोसुल में एक साल पहले हुई थी 39 भारतीयों की मौत, सिर में मारी गई गोलीः इराकी अधिकारी

नई दिल्ली। मोसुल शहर में मारे गए 39 भारतीयों की मौत करीब एक साल पहले ही हो गई थी और फोरेंसिक रिपोर्ट के अनुसार उनमें से ज्यादातर लोगों के सिर में गोली मारकर हत्या की गई थी.

इराकी फोरेंसिक विभाग ने मोसुल में मारे गए इन भारतीयों के शवों की फोरेंसिक जांच की, जिसके अनुसार इन लोगों की हत्या करीब एक साल पहले ही कर दी गई थी.

सिर में मारी गई गोली

इराक के स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत काम करने वाले फोरेंसिक मेडिसिन विभाग ने इन भारतीयों के शवों का डीएनए टेस्ट कराया. इन शवों को मार्टर्स फाउंडेशन ने मोसुल के निकट बादुश में एक पहाड़ी से खोद कर निकाला.
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉक्टर जैद अली अब्बास ने बताया कि मारे गए ज्यादातर लोगों की मौत सिर में गोली मारे जाने से हुई थी. इन शवों के सिर्फ कंकाल (हड्डी) ही बचे हैं. इसमें किसी भी तरह मांसपेशी या टिशू नहीं बचे हैं. फोरेंसिक रिपोर्ट के अनुसार कहा जा सकता है कि इन लोगों की मौत करीब एक साल पहले हो गई थी.

इससे पहले मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में 39 फैक्टरी मजदूरों की मौत की जानकारी दी थी. उस दौरान उन्होंने कहा था कि इन लोगों की मौत 6 महीने पहले और 2 साल के बीच में हुई थी. उन्होंने कहा कि 4 साल पहले अगवा हुए 39 भारतीय के शवों की शिनाख्त इराक में डीएनए के आधार पर की गई है.

आतंकियों के कब्जे में था मोसुल

उन्होंने बताया कि इस दौरान वहां पर किसी भी तरह का सर्च ऑपरेशन संभव नहीं था क्योंकि मोसुल आईएसआईएस के कब्जे में था. मोसुल 9 जुलाई को आंतकियों से मुक्त हुआ और 10 जुलाई को विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह को वहां भेज दिया गया.

इन शवों को अगले हफ्ते बगदाद में भारतीय दूतावास को सौंपा जाएगा.

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अक्टूबर में लिया परिजनों का डीएनए

39 भारतीयों में से एक मनजिंदर की बहन ने बीते वर्ष अक्टूबर में इस बात की जानकारी दी थी कि सरकार की ओर से उनके डीएनए टेस्ट की बात कही गई थी. 21 अक्टूबर, 2017 को मनजिंदर की बहन गुरपिंदर ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया था कि हम सभी का डीएनए टेस्ट करने की बात कही गई है, कारण नहीं बताया गया. हम काफी नर्वस थे.

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार को अक्टूबर में ही इस बात की आशंका थी कि सभी 39 भारतीयों की मौत हो गई है. इसी कारण उन्होंने अक्टूबर से ही जांच प्रक्रिया को शुरू कर दिया था.

विदेश मंत्री ने मंगलवार को पूरे घटनाक्रम की जानकारी तो दी, लेकिन ये नहीं बताया कि आखिर इनकी मौत कब और कैसे हुई. हालांकि, उन्होंने कहा कि इन सभी भारतीयों को ISIS ने ही मारा है.

नाराज हैं परिजन

सुषमा स्वराज के बयान के बाद परिवारवालों के बयान भी आए. कई परिवारवालों का कहना है कि सरकार की ओर से उन्हें लगातार कहा जा रहा था कि वह जिंदा हैं. पंजाब के जालंधर के देविंदर सिंह की पत्नी ने कहा कि उनके पति 2011 में इराक गए थे, 15 जून 2014 को आखिरी बार उन्होंने अपने पति से बात की थी. हमें सरकार की ओर से कहा गया था कि वे जिंदा हैं, हम सरकार से कुछ नहीं चाहते.

सुषमा के सदन में बताया था कि हरजीत मसीह की कहानी सच्ची नहीं थी. जो 39 शव मिले हैं, उनमें से 38 के डीएनए मैच कर गए हैं और 39वें की जांच चल रही है. हमने पहाड़ की खुदाई करने के बाद शवों को निकाला था, जनरल वीके सिंह वहां पर गए और सबूतों को खोजने में मेहनत की. उन्होंने बताया कि सबसे पहले संदीप नाम के शख्स का डीएनए मैच किया गया था.

 

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