यदि BJP कर्नाटक चुनाव जीती तो 2019 में विपक्ष का नेता कौन होगा?
नई दिल्ली। कर्नाटक में चुनावी बिगुल बजते ही बीजेपी और कांग्रेस ने एक-दूसरे पर सियासी हमले तेज कर दिए हैं. कांग्रेस के लिए कर्नाटक की लड़ाई जहां अस्तित्व के सवाल से जुड़ी है वहीं बीजेपी के लिए भी यह चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि हाल में यूपी उपचुनावों में गोरखपुर और फूलपुर में करारी हार के बाद बीजेपी पर दबाव बढ़ गया है. ऐसे में बीजेपी इस दबाव से उबरने के लिए किसी भी सूरत में चुनाव को जीतने का प्रयास करेगी क्योंकि अगले एक साल के भीतर 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं. सिर्फ इतना ही नहीं इस साल के अंत में मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में चुनाव होने हैं. लिहाजा इन चुनावों से ऐन पहले कर्नाटक जैसे बड़े राज्य में बीजेपी की जीत से पार्टी का मनोबल बढ़ेगा. उसके बाद बीजेपी यह कहने की स्थिति में भी होगी कि मोदी लहर का जादू बरकरार है.
कांग्रेस की दिक्कत
पंजाब के बाद कर्नाटक ऐसा बड़ा राज्य है जहां कांग्रेस की सरकार है. कर्नाटक समेत कुल चार राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं. ऐसे में यदि कांग्रेस के हाथ से कर्नाटक निकल जाता है तो 2019 के आम चुनावों में विपक्ष की तरफ से सबसे बड़े दल के रूप में उसकी बीजेपी से मुकाबले की मुख्य दावेदारी पर सवालिया निशान खड़ा हो जाएगा. ऐसे में विपक्ष की अगुआई के मसले का सवाल खड़ा होगा. इस हालत में कई क्षेत्रीय दल विपक्षी एकजुटता के नाम पर कांग्रेस के पीछे शायद नहीं खड़े हों.
फेडरल फ्रंट
मसलन उत्तर प्रदेश में यदि सपा-बसपा गठबंधन अगले आम चुनावों के लिहाज से होता है तो क्या ये कांग्रेस को अपना अगुआ मानेंगे? इसी कड़ी में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने गैर-कांग्रेसी, गैर-बीजेपी, फेडरल फ्रंट बनाने की बात कही है. राव ने कांग्रेस और बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि ये दोनों ही दल जनता को सक्षम सरकारें देने में नाकाम रहे हैं. ऐसे में इन दोनों दलों को छोड़कर एक फेडरल फ्रंट बनाया जाना चाहिए. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि यह थर्ड फ्रंट नहीं होगा. उनके इस विचार का पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने समर्थन किया है. के चंद्रशेखर राव को फेडरल फ्रंट का अगुआ माना जा रहा है.
ममता बनर्जी
यदि कर्नाटक के साथ राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहता तो खासतौर पर ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ खड़े होने से इनकार कर सकती हैं. विपक्षी दलों के नेताओं के साथ मंगलवार को ममता बनर्जी की मुलाकात को इसी संदर्भ में जोड़कर देखा जा रहा है. इस कड़ी में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी शिवसेना के सांसदों और साथ ही कई विपक्षी दलों के सांसदों से मुलाकात की.
ममता बनर्जी मंगलवार को संसद पहुंचीं, जहां उन्होंने शिवसेना के सांसद संजय राउत व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की. उन्होंने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की सांसद के.कविता से भी मुलाकात की. कविता तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी हैं. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इन मुलाकातों से यह तो स्पष्ट है कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले गैर-बीजेपी राजनीतिक दलों के संभावित गठबंधन में ममता बनर्जी की भूमिका को प्रमुखता से देखा जा रहा है.
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