यादव सिंह की बोगस कंपनियों से कारोबारी रिश्ते रखने वाली फर्मों की भी कुंडली खंगालने में जुटी सीबीआई

तहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि, लखनऊ। काली कमाई के कुबेर व भ्रष्टाचार के पर्यायवाची बने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह की काली कमाई का पाई-पाई ढूंढने में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) लगी हुई है तभी तो इनकी कंपनियों पर सीबीआई ने नजरें गड़ा दी हैं| सीबीआई यादव सिंह और उनकी पत्नी कुसुमलता की मालिकाना हक वाली कंपनियों के कोलकाता में जिन फर्मों से कारोबारी रिश्ते रहे हैं उन कंपनियों से लेनदेन का भी ब्योरा खंगालने में जुट गई है| जाँच एजेंसी यह पता लगा रही है कि कहीं इन कंपनियों से जुटाया गया धन विदेशों में निवेश करने के लिए तो नहीं किया जा रहा था| इसके अलावा सीबीआई यादव सिंह की 40 बोगस कंपनियों का कार्यभार देखने वाले चार्टेड एकाउंटेंट की तलाश कर रही है|

सूत्रों की माने तो यादव सिंह और उनके सहयोगियों ने मिलकर 40 बोगस कंपनियां बनाई थीं। उन्होंने प्राधिकरण की जमीन सस्ते में इन कंपनियों को आवंटित करा दी। इसके बाद इन कंपनियों ने ऊंचे दामों पर बिल्डरों को जमीन बेच दी। वहीं, कुछ ऐसे बिल्डर भी हैं, जिनसे सांठगांठ कर यादव सिंह ने सस्ती दरों पर बिल्डरों को जमीन आवंटित की। यही नहीं एकमुश्त राशि लेकर इनकी बैंकों में ईएमआई बनवा दी, ताकि आगे भी सिंह उनसे बेनामी रकम वसूल की जा सके।

यादव सिंह ने नए या नौसिखिया बिल्डरों के साथ कभी हिस्सेदारी नहीं की। उन्होंने हमेशा देश के जाने माने बिल्डरों पर विश्वास किया, ताकि भविष्य में उन पर दबाव बनाया जा सके। यादव सिंह द्वारा साइन की गई फाइल को यदि उच्चाधिकारी रोक देते थे तो उन्हें उसका अंजाम भुगतना पड़ता था। रसूख के चलते तीन सीईओ का तबादला काफी समय तक चर्चा में रहा। बताया जा रहा है कि कमाई तो यादव सिंह ने की लेकिन प्राधिकरण में इस दौरान जो भी अधिकारी आया, उसे बदनामी झेलनी पड़ी।

बताया जा रहा है कि यादव सिंह ने जो 40 बोगस कम्पनियाँ बना रखी थी उनका कारोबार कोलकाता की एक दो नहीं बल्कि 35 से कंपनियों से होता था| इसलिए सीबीआई कारोबारी रिश्ते रखने वाली कोलकाता की उन कंपनियों से लेनदेन का भी ब्योरा खंगालने में जुट गई है| सीबीआई को अंदेशा है कि इन कंपनियों के जरिए कई सौ करोड़ रुपये विदेशों में निवेश किये गए हैं|

उधर नोएडा में सीबीआई को यादव सिंह एक एक सीक्रेट ऑफिस मिला है| सीबीआई ने गुरुवार को नोएडा अथॉरिटी के पूर्व मुख्य इंजिनियर यादव सिंह की पत्नी कुसुम लता, बेटी गरिमा भूषण और बेटे सन्नी यादव से पूछताछ की। एजेंसी को यादव सिंह के नोएडा के सेक्टर-51 स्थित ए-10 नंबर के बंगले की तलाशी के दौरान बेसमेंट में एक छुपा हुआ ऑफिस मिला। यादव सिंह को उत्तर प्रदेश में राजनैतिक पार्टियों, अफसरशाही और व्यापारिक घरानों के साथ संबंध के लिए जाना जाता है। आरोप है कि बेसमेंट के इसी ऑफिस में वह लोगों के साथ मुलाकात करता था। सूत्रों का कहना है कि बहुत कम लोग ही उसके इस ऑफिस के बारे में जानते थे।

एक सीबीआई अधिकारी ने बताया कि केवल वही व्यक्ति जिनकी सिफारिश कुछ राजनेताओं, अफसरों, बिल्डरों या फिर उसके भरोसेमंद लोगों द्वारा की जाती थी, यादव सिंह के उक्त ऑफिस में आ सकते थे। ऑफिस का इस्तेमाल ठेका देने और रिश्वत के पैसे के लेन-देन के लिए किया जाता था। ऐसी जानकारी मिली है कि यादव सिंह इस ऑफिस में ही जरूरी फाइल और कागजात लाया करता था। यहीं पर वह मिलने के लिए आए लोगों के साथ मुलाकात करता था।

सीबीआई को ऑफिस की तलाशी के दौरान फ्लाइओवर, यूइज पाइपलाइन, ड्रेनेज, अस्पताल, पार्क, हाउसिंग सोसायटी और मेट्रो के निर्माण संबंधी लगभग 30 फाइलें मिलीं। इन सभी परियोजनाओं को यादव सिंह द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान ही मंजूरी दी गई थी। आरोप है कि इन मंजूरियों के क्रम में कई लोगों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया गया।

यादव सिंह का बेटा सन्नी, जो कि फिलहाल नोएडा अथॉरिटी में काम करता है, से एजेंसी ने उसके पिता की घर पर मिलने आने वाले लोगों के साथ मुलाकात के बारे में पूछताछ की। एजेंसी ने उससे संपत्ति और बैंक खातों के बारे में भी पूछताछ की। सीबीआई को उम्मीद है कि यादव सिंह से पूछताछ के बाद इस मामले से जुड़ी जरूरी जानकारियां मिलेंगी। उसने अब तक एजेंसी के साथ मुलाकात को टाला है। उसकी पत्नी और बेटे ने सीबीआई को बताया कि वह देवप्रयाग में तीर्थयात्रा के लिए गया है। कुछ दिनों में उसके लौटकर आने और जांच में शामिल होने की उम्मीद की जा रही है।

 

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