याद करो कुर्बानी: 16000 फीट की ऊंचाई पर थे ग्रेनेडियर, गर्दन पर 3 गोलियां और फिर…

अनूप कुमार मिश्र

नई दिल्‍ली। याद करो कुर्बानी की 16वीं कड़ी में हम ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव की वीरगाथा बताने जा रहे हैं. ग्रेनेडियर यादव महज 19 वर्ष की आयु में वीरता का सर्वोच्‍च पुरस्‍कार करने वाले जांबाज हैं. ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव का जन्‍म 10 मई 1980 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के अंतर्गत आने वाले अहीर गांव में हुआ था. उनके सैन्‍य जीवन की शुरुआत 27 दिसंबर 1996 को भारतीय सेना की 18 ग्रेनेडियर बटालियन के साथ हुआ था. ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव की यह वीरगाथा कारगिल युद्ध से जुड़ी है. इस युद्ध के दौरान उन्‍हें टाइगर हिल में मौजूद दुश्‍मन के तीन बंकरों को नष्‍ट कर दुश्‍मन को ठिकाने लगाने का लक्ष्‍य दिया गया था. आइए जाने, जांबाज ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव की पूरी वीरगाथा …

ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव कंमाडो टीम घटक का हिस्‍सा थे. 3 जुलाई 1999 की रात उन्‍हें टाइगर हिल स्थित तीन बंकरों पर मौजूद दुश्‍मन का काम तमाम कर भारतीय ध्‍वज फहराने की जिम्‍मेदारी दी गई थी. ग्रेनेडियर योगेद्र यादव के लिए लक्ष्‍य तक पहुंचना आसान नहीं था. उन्‍हें करीब 16500 फीट ऊंची बर्फ की दीवार को पार करना था. ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह ने अपने कमांडिंग ऑफिसर से अनुरोध किया कि वह अपनी टीम की अगुवाई करेगा. ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह के साहस को देख कमांडिंग ऑफीसर ने इसकी इजाजत दे दी. लक्ष्‍य पर पहुंचने के लिए ग्रेनेडियर ने बर्फ की दीवार पर चढ़ना शुरू किया.

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                                       ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव महज 19 वर्ष की आयु में वीरता का सर्वोच्‍च पुरस्‍कार परमवीर चक्र हासिल करने वाले जांबाज हैं. 

वह एक कुशल कमांडो की तरफ न केवल बर्फ की दीवार में चढ़ते जा रहे थे, बल्कि अपने साथियों की सहूलियत के लिए रस्‍सों को क्‍लाइंब क्लिप के सहारे फिक्‍स करते जा रहे थे. दुश्‍मन और ग्रेनेडियर योगेद्र के बीच अब सिर्फ 60 फिट की दूरी शेष थी. तभी, दुश्‍मन सेना की निगाह ग्रेनेडियर योगेंद्र पर पड़ गई. दुश्‍मन ने ग्रेनेडियर योगेंद्र पर रॉकेट और मशीन गन से हमला करना शुरू कर दिया. इस हमले में उनके गले और कंधे में तीन गोलियां लगी. गंभीर रूप से जख्‍मी होने के बावजूद वे 60 फिट की बची दूरी को पार करने में कामयाब रहे. ऊंचाई पर पहुंचते ही उन्‍होंने ग्रेनेड से दुश्‍मन पर हमला किया.

इस हमले में पाकिस्‍तानी सेना के चार सैनिक मौके पर ही खत्‍म हो गए. ग्रेनेडियर योगेंद्र के इस प्रयास के चलते उनकी टीम के अन्‍य सदस्‍य सुरक्षित लक्ष्‍य तक पहुंचने में कामयाब रहे. ग्रेनेडियर योगेंद्र की सफलता का कारवां यहीं रुकने वाला नहीं था. गंभीर रूप से जख्‍मी होने के बावजूद उन्‍होंने अपने साथियों के साथ दुश्‍मन के दूसरे बंकर पर हमला कर दिया. इस हमले के दौरान ग्रेनेडियर योगेंद्र और उनके दो साथियों की आतंकियों से सीधा मुकाबला हुआ. जिसमें उन्‍होंने पाकिस्‍तान सेना के तीन सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया. ग्रेनेडियर योगेंद्र की असाधारण बहादुरी ने उनके सभी साथियों के भीतर नई ऊर्जा प्रज्‍वलित कर दी.

इस नई ऊर्जा का असर था कि भारतीय सेना के जवान बिना किसी भय के दुश्‍मनों के गढ़ में घुस गए. ग्रेनेडियर योगेंद्र और उनके साथियों ने टाइगर हिल में मौजूद सभी आतंकियों को मार गिराया. ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव के अदम्य साहस, दृढ़ संकल्प और युद्ध कौशल के जरिए टाइगर हिल में जीत का सपना साकार हो सका. युद्ध के दौरान, ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव के अदम्‍य साहस और अद्भुत युद्ध कौशल के लिए उन्‍हें वीरता के सर्वोच्‍च पुरस्‍कार परमवीर चक्र से सम्‍मानित किया गया.

 

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