यूपीए सरकार के एक और फैसले की जांच, एयर इंडिया-इंडियन एयरलाइंस विलय मामले में CBI ने दर्ज की FIR

नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय से जुड़े मामलों की पड़ताल के लिए एफआईआर दर्ज की है। सीबीआई का आरोप है कि दोनों एयरलाइंस के विलय की वजह से करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। सीबीआई ने 3 एफआईआर दर्ज की है, जिनमें 111 विमानों की खरीद, विमानों को पट्टे पर देना और एयर इंडिया द्वारा मुनाफे वाले हवाई मार्गों को छोड़ने की जांच शामिल है।

CBI has registered three separate cases in connection with the alleged Irregularities in 111 aircraft purchase

ANI

@ANI_news

CBI registers Preliminary Enquiry against official of MoCA & Air India official into merger of 2 national carrier causing loss of ovr 1000cr

सीबीआई के प्रवक्ता आर के गौड़ ने कहा कि एफआईआर नागर विमानन मंत्रालय और एयर इंडिया के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के मामले में दर्ज की गई है। प्रवक्ता ने कहा कि ये मामले यूपीए सरकार के कार्यकाल में मंत्रालय द्वारा लिए गए फैसलों से संबंधित हैं, जिससे सरकार को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

गौड ने कहा कि इंडियन एयरलाइंस ओर एयर इंडिया के विलय की जांच के लिए प्रारंभिक जांच दर्ज की गई है। प्रवक्ता ने कहा कि 111 विमानों की खरीद में अनियमितता, विमानों को लीज पर देने, जबकि खरीद की प्रक्रिया चल रही थी और एयर इंडिया द्वारा मुनाफे वाले मार्गों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस के लिए छोड़ने में बरती गई कथित अनियमितता की जांच के लिए तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं।

गौरतलब है कि मार्च 2007 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन्स के विलय को फाइनल मंजूरी दी थी। नई एयरलाइन में दोनों के करीब 120 विमान और 30 हजार से ज्यादा कर्मचारी एक हो गए। हालांकि एयरलाइन के सरकारी स्वरूप में बदलाव नहीं हुआ।

अनुमानों के मुताबिक एयर इंडिया पर 52,000 करोड़ रुपये की देनदारी है जिसमें से अकेले ब्याज ही 4,000 करोड़ रुपये सालाना है। बीते पांच सालों में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की इस एयरलाइन को 25,000 करोड़ रुपये दिए हैं और 2032 तक इतनी ही रकम और दिए जाने की बात है। इन सभी प्रयासों के बावजूद भी एयर इंडिया को सालाना 3,000 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। अधिकारियों का मानना है कि कंपनी की मौजूदा हालत के लिए एयर इंडिया-इंडियन एयरलाइंस का विलय भी जिम्मेदार है।

 

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