यूपी के सरकारी डॉक्टर्स को जल्द ही मिलेगी प्राइवेट प्रैक्टिस करने की छूट, योगी सरकार बनाएगी नया क़ानून

इलाहाबाद। यूपी के सरकारी डॉक्टर्स भी अब जल्द ही प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए दिखाई देंगे. प्राइवेट प्रैक्टिस करने पर न तो उन्हें जेल होगी और न ही उन्हें सरकारी नौकरी से सस्पेंड किया जाएगा. यह ज़रूर है कि प्राइवेट प्रैक्टिस करने पर उन्हें मिलने वाले एलाउंस यानी भत्ते में कुछ कमी ज़रूर कर दी जाएगी. सरकारी डॉक्टर्स को प्राइवेट प्रैक्टिस करने की छूट दिए जाने को लेकर योगी सरकार गंभीरता से विचार कर रही है. सूबे के हेल्थ मिनिस्टर सिद्धार्थनाथ सिंह ने इसका खाका भी तैयार कर लिया है और जल्द ही अपने इस प्रस्ताव को वह कैबिनेट की बैठक में पेश भी करने वाले हैं.

प्राइवेट प्रैक्टिस के नियम को आसान करने की तैयारी में सरकार
सरकार यह फैसला सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स की कमी को देखते हुए लेने जा रही है. मंत्री सिद्धार्थनाथ के मुताबिक़ पंद्रह महीनों के उनके कार्यकाल में प्राइवेट प्रैक्टिस करने पर अठारह डॉक्टर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जबकि तीस को सस्पेंड कर दिया गया है. सरकार के इस सख्त रवैये से तमाम सरकारी डॉक्टर्स वीआरएस लेने की तैयारी में जुट गए हैं. इससे सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स की और कमी होने की आशंका है. स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ के मुताबिक़ डॉक्टर्स की कमी की वजह से आम लोगों को इलाज कराने में दिक्कत न हो, इसके लिए वह प्राइवेट प्रैक्टिस के नियम को और आसान करना चाहते हैं. इसके साथ ही एनपीए यानी नान प्रैक्टिसिंग एलाउंस को भी वैकल्पिक बनाए जाने की तैयारी है.

सरकारी डॉक्टर्स को कुछ शर्तों के साथ प्राइवेट प्रैक्टिस करने की मिल सकती है छूट
कोशिश यह की जा रही है सरकारी डॉक्टर्स को कुछ शर्तों के साथ प्राइवेट प्रैक्टिस करने की भी छूट दे दी जाए. जो डॉक्टर्स प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करेंगे, उन्हें एनपीए दिया जाएगा और जो प्राइवेट प्रैक्टिस भी करेंगे, उन्हें नान प्रैक्टिस एलाउंस नहीं दिया जाएगा. मंत्री सिद्धार्थनाथ के मुताबिक़ तमिलनाडु की तर्ज पर नियम में बदलाव कर सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स की कमी दूर करने और गरीबों को हर हाल में मुफ्त इलाज मुहैया कराने की मंशा है.

शरई अदालत खोले जाने पर भी बोले सिद्धार्थनाथ सिंह

इलाहाबाद में सिद्धार्थनाथ सिंह ने आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा हर शहरों में शरई अदालत खोले जाने की हिमायत का विरोध करते हुए उसे गैर कानूनी करार दिया. उनके मुताबिक़ इस तरह की कोशिशों के बाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का कोई महत्व नहीं रह जाएगा. उनका कहना है कि शरई अदालतों की मांग संविधान विरोधी है और कतई इसका समर्थन नहीं किया जा सकता. उनके मुताबिक़ अदालत ने जब पर्सनल लॉ को ही गैर कानूनी घोषित कर दिया है, तो उसकी बातों का कोई महत्व भी नहीं रह जाता है.

 

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