यूपी चुनाव से ठीक पहले मुलायम ने फोड़ा शिवपाल की ‘आज़ादी का बम’, शिवपाल ने दिया दो-दो बार इस्तीफा

mulayam-1लखनऊ। आज़ादी की 70वीं सालगिरह पर मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ में बम फोड़ दिया. ये बम शिवपाल यादव की आज़ादी का है. समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम ने कहा कि शिवपाल के खिलाफ साजिश हो रही है और उन्हें काम नहीं करने दिया जा रहा है।

मुलायम ने जब कहा कि “शिवपाल यादव एक नहीं बल्कि दो-दो बार इस्तीफा देने आये थे, मैंने उन्हें रोका” तो सब हैरान रह गए. समाजवादी पार्टी ऑफिस में मुलायम सिंह को तिरंगा फहराते देखने आये लोगों को अचानक सांप सूंघ गया. सब एक-दूसरे से पूछने लगे “ये क्या कह रहे है नेता जी” ?

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‘आधे लोग उधर चले जाएंगे और आधे मेरे साथ’

समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अपने सुप्रीमो मुलायम सिंह को नेताजी कहते है. मुलायम यही नहीं रुके. वे बोले “अगर शिवपाल चले गए और मैं खड़ा हो गया तो आधे लोग उधर चले जाएंगे और आधे मेरे साथ.”

बगल में बैठें थे अखिलेश

मुलायम सिंह यादव जब लखनऊ के समाजवादी पार्टी दफ्तर में ये सब कह रहे थे, यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उनके बगल में बैठे थे. अखिलेश चुपचाप मुलायम को देखते रहे. वे बहुत असहज हो गए थे.

“यहां प्रेस वाले भी हैं”

मुलायम सिंह यादव कुछ और बोलते उससे पहले उनके निजी सचिव और अखिलेश के ओएसडी अरविंद यादव ने उनके सामने कागज़ की एक पर्ची रख दी. उस पर लिखा था, “यहां प्रेस वाले भी है.” लेकिन मुलायम भला कहां मानने वाले थे?

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अखिलेश के मंत्री सिर्फ गिनते हैं पैसा

मुलायम सिंह ने हाथ से नोट गिनने का इशारा करते हुए कहा अखिलेश के मंत्री सिर्फ पैसा गिनते है. वे समाजवादी पार्टी पर बोझ है. मुलायम ने कहा अगर ऐसे लोग नहीं सुधरे तो मैं उन सबको पार्टी से निकाल दूंगा.

मुलायम सिंह के परिवार में सब कुछ ठीक नहीं है. ये सब जानते है. चाहे वह घर वाले हों या पार्टी वाले भी. लेकिन पहली बार मुलायम सिंह ने मंच से घर के झगड़े की बात बाहर कर दी. वर्ना अब तक किसे पता था कि शिवपाल यादव दो बार इस्तीफा देने की कोशिश कर चुके है.

पार्टी के यूपी प्रभारी भी हैं शिवपाल

मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष है. उनके बड़े बेटे अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के सीएम है और पार्टी के यूपी अध्यक्ष भी. मुलायम के सबसे छोटे भाई शिवपाल यादव राज्य के सबसे ताकतवर मंत्री है और पार्टी के यूपी प्रभारी भी हैं.

मुलायम के चचेरे भाई रामगोपाल यादव राज्य सभा के सांसद है पार्टी के महासचिव भी. जिस दिन अखिलेश मुख्यमंत्री बने उसी दिन से झगड़ा शुरू हो गया. किसी ना किसी बहाने. कभी अफसरों की तैनाती को लेकर तो कभी किसी नेता को सरकार या पार्टी में पद देने पर. एक दो मौकों को छोड़ कर रामगोपाल और अखिलेश एक साथ रहे जबकि शिवपाल दूसरे खेमे की अगुवाई करते रहे.

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‘अफसर हमारी नहीं सुनते हैं’

बीते रविवार को शिवपाल यादव बोले “पार्टी के ही कई नेता ज़मीन कब्जा करने में लगे है, अफसर हमारी सुनते नहीं है. नेता थाने की दलाली करते है, क़ानून व्यवस्था नाम की चीज नहीं है, हालात नहीं सुधरे तो मैं इस्तीफा दे दूंगा.” शिवपाल की ये बात जब लखनऊ पहुंची तो सबके होश उड़ गए. मुलायम सिंह ने अब बात इसके आगे बढ़ा दी है.

मुलायम सिंह के घर का झगड़ा पहली बार बाहुबाली नेता मुख्तार अंसारी के बहाने बाहर आया. दो महीने पहले ही शिवपाल यादव ने मुख्तार की पार्टी कौमी एकता दल का विलय करा दिया था. लेकिन अखिलेश यादव ने इसका विरोध कर दिया.

अखिलेश की जिद के आगे विलय रद्द

गुस्से में उन्होंने इस विलय का समर्थन करने वाले मंत्री बलराम यादव को बर्खास्त कर दिया. वो भी मुलायम को बिना बताये. अखिलेश की जिद के आगे मुख्तार की पार्टी का समाजवादी पार्टी में विलय रद्द हो गया. बलराम को फिर से मंत्री बना दिया गया. लेकिन नाराज शिवपाल यादव शपथ ग्रहण कार्यक्रम में नहीं आये और वे आज भी नाराज ही है.

पिछले ही महीने दीपक सिंघल यूपी के मुख्य सचिव बनाये गए. अखिलेश यादव को वे रत्ती भर भी पसंद नहीं है. लेकिन शिवपाल ने मुलायम सिंह से दवाब बनवा कर अपने सबसे चहेते अफसर सिंघल को कुर्सी दिलवा दी. अखिलेश मन मसोस कर रह गए.

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अखिलेश और शिवपाल में ठनी है

समाजवादी पार्टी अब तक डेढ़ सौ से अधिक विधानसभा चुनाव का टिकट बांट चुकी है. अखिलेश और शिवपाल में इस बात को लेकर ठनी है कि ‘कौन कितने अपने लोगों के लिए टिकट का जुगाड़ करता है?’

घर वापसी के खिलाफ थे रामगोपाल यादव

अमर सिंह झगडे की एक और वजह है. समाजवादी पार्टी में उनकी घर वापसी के रामगोपाल यादव सख्त खिलाफ थे. अखिलेश यादव भी ऐसा ही चाहते थे. लेकिन शिवपाल यादव ने मुलायम को अमर सिंह के लिए राजी कर लिया. अब वे राज्य सभा भी पहुंच गए.

अखिलेश बनाम शिवपाल के झगडे वाली कहानी के कई और क़िस्त है. हरी अनंत हरिकथा अनंता जैसा मामला है. गतांक के आगे अभी और भी बहुत कुछ है.

 

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