यूपी जीतने के चक्कर में अमित शाह ने राज्य सरकारों की आर्थिक रीढ़ तुड़वा दी

नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब के बाद अब कर्जमाफी वाले राज्यों में कर्नाटक भी शामिल हो गया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुधवार को कर्ज माफी का ऐलान किया। मुख्यमंत्री की घोषणा के मुताबिक, इस कर्ज माफी का फायदा उन लोगों को मिलेगा, जिन्होंने कॉपरेटिव बैंक से लोन लिया है। सरकार ने 50,000 रुपये तक का लोन माफ करने का ऐलान किया है।

कांग्रेस शासन वाले राज्य कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया जो वित्त मंत्री भी हैं, ने घोषणा की कि 20 जून को बकाया राशि वाले सभी 22,27,506 किसानों को राज्य में सहकारी बैंकों से 50,000 रुपये तक की अल्पावधि ऋण छूट दी जाएगी। इस महीने के शुरुआत में एक पार्टी के आयोजन में राहुल गाँधी ने कहा था कि कर्नाटक को एक किसान समर्थक छवि पेश करनी चाहिए।

कर्नाटक में 2018 में विधानसभा चुनाव होने हैं। जो कांग्रेस के भाग्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। दूसरी ओर किसानों का लोन माफ़ करने के पीछे राजनीतिक लाभ भी है क्योंकि बीजेपी शाषित महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश ने पहले की किसानों की कर्जमाफी का ऐलान कर दिया है। कर्नाटक में बीजेपी अध्यक्ष बीएस यदुरप्पा ने पहले ही किसानों की कर्जमाफी को लेकर आगामी 7 जुलाई से धरने की धमकी दी थी।

बीजेपी और कर्जमाफी की प्रतिस्पर्धा 

बीजेपी ने कहा उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र में किसानों की कर्जमाफी का ऐलान किया है तो वहीँ पंजाब और कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने कर्जमाफी का करके मुकाबला 2-2 से बराबर कर लिया है। कर्जमाफी का सिलसिला सबसे पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने यूपी विधानसभा चुनावों से की। जिसके बाद यह मांग अन्य राज्यों में भी बढ़ी। केंद्र सरकार और वित्त मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि यह इसमें राज्यों की कोई मदद नहीं करेंगे। अर्थशास्त्री भी मानते हैं कि कर्जमाफी से अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि “किसानों को पता है कि हम उनके साथ हैं, हम उनके साथ थे और हम उनके साथ रहेंगे। उन्होंने कहा कर्नाटक को दो साल सूखे से गंभीर संकट का सामना करना पड़ा और जहाँ भी मैं गया था, लोगों ने मुझे अपने ऋणों को माफ़ करने का अनुरोध किया। मैंने उनकी याचिका सुनी और उनके लिए 8,165 करोड़ रुपए का ऋण माफ कर दिया है।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्नाटक के किसानों ने 1,16,006 करोड़ रुपये के लिए ऋण लिया था, जिनमें से लघु अवधि के ऋण` 52,577 करोड़ के लिए थे राज्य सहकारी बैंकों से लघु ऋण `10,734 करोड़ रुपए या ऋण का 20% था, जबकि 41,483 करोड़ रुपए राष्ट्रीयकृत और ग्रामीण बैंकों से लिया गया था, जो कि 80% है।

इसे पहले सिद्धारमैया ने चिट्ठी लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली से उन कर्जों को माफ करने की मांग थी, जो कर्नाटक के किसानों ने राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिया है। यह राज्य के किसानों के कुल 50,000 करोड़ के कर्ज का 80 फीसदी है। उन्होंने कहा था कि वह किसानों द्वारा कोऑपरेटिव बैंकों से लिए लोन को माफ करने के लिए तैयार हैं”।

 

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