यूपी, बिहार, दिल्ली समेत इन 9 राज्यों ने किया बाल गृहों के ऑडिट से मना

लखनऊ। पहले बिहार के मुजफ्फरपुर और फिर उत्तर प्रदेश के देवरिया में शेल्टर होम में बच्चियों के साथ रेप और यौन शोषण की खबरें सामने आईं. इन घटनाओं ने पूरे देश को शर्मसार कर के रख दिया. आए दिन इन घटनाओं से जुड़े नए खुलासे होते जा रहे हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया पर छपी खबर के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार जिस एजेंसी को पूरे देश भर में बाल गृहों का ऑडिट करना था, उसे यूपी और बिहार समेत 9 राज्यों में ऑडिट करने की अनुमति नहीं दी गई थी.

ये हैं वो राज्य जिन्होंने कराने दिया ऑडिट

यही नहीं इन राज्यों को नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा गया था. जिन राज्यों में अभी भी बच्चों के लिए बनाए गए शेल्टर होम्स का ऑडिट होना बाकी है, उनमें दिल्ली, चंडीगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, केरल और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी नहीं हुआ पालन

इससे पहले इस लिस्ट में ओडिशा का भी नाम शामिल था पर केंद्र के दखल के बाद आखिरकार यहां ऑडिट कराया जा सका. एनसीपीसीआर के आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक कुल 5,850 चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशंस हैं और 1,339 शेल्टर होम्स रजिस्टर्ड नहीं हैं. जब कि सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए पिछले साल यानी 31, दिसंबर, 2017 की आखिरी तारीख तय की थी.

किसे सौंपा गया था ऑडिट का काम

लखनऊ की एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज को अलग-अलग राज्यों में बाल गृहों के ऑडिट और मैपिंग का काम सौंपा गया था और करीब 3000 बाल गृहों की ऑडिट और मैपिंग की जा चुकी है. एनसीपीसीआर के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि ऑडिट एजेंसी को मार्च में काम सौंपा गया था और मई में जानकारी दी गई कि 10 राज्यों ने अपने बाल गृहों के ऑडिट करने की अनुमति नहीं दी है.

 

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