यूपी में BJP को हराने के लिये कांग्रेस, सपा-बसपा और आरएलडी का महागठबंधन, सीटें भी हुईं तय : सूत्र

लखनऊ। 2019 के लोकसभा चुनावों में सीटों के लिहाज से सबसे बड़े राज्‍य यूपी में बीजेपी को घेरने के लिए विपक्षी महागठबंधन की जमीन तैयार हो गई है. गोरखपुर, फूलपुर, कैराना लोकसभा उपचुनावों में इस तरह के प्रयोग के सफल होने के बाद विपक्षी सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद ने गठबंधन का ऐलान तो एक तरह से पहले से ही कर रहा है लेकिन सीटों के मसले पर पेंच फंसा हुआ था. राज्‍य में 80 में से पिछली बार अपने सहयोगी के साथ 73 सीटें जीतने वाली बीजेपी भी बार-बार यही सवाल उठा रही है कि विपक्षी महागठबंधन की बात सिर्फ हवा में हो रही है लेकिन धरातल पर इसका उतरना बहुत मुश्किल है. इसी पृष्‍ठभूमि में मीडिया रिपोर्ट्स में इस तरह की खबरें आ रही हैं कि सूबे के चारों प्रमुख विपक्षी दलों ने मोटेतौर पर सीट-शेयरिंग फॉर्मूला तैयार कर लिया है.

इसके तहत इन रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि सूबे में विपक्षी गठबंधन की कमान सपा-बसपा के हाथों में रहेगी और कांग्रेस एवं अजित सिंह की पार्टी राष्‍ट्रीय लोकदल (रालोद) सहयोगी पार्टी की भूमिका में रहेगी. कहा जा रहा है कि सबसे ज्‍यादा 35 सीटों पर बसपा चुनाव लड़ेगी. उसके बाद 35 सीटें सपा के खाते में होगी लेकिन इस कोटे से तीन सीटें रालोद को दी जाएंगी. यानी सपा 32 सीटों पर अपने प्रत्‍याशी उतारेगी. कांग्रेस के लिए 8-10 सीटें छोड़ दी जाएंगी. हालांकि विपक्षी महागठबंधन में कांग्रेस शामिल होगी इस पर सस्‍पेंस बरकरार है.

कांग्रेस का सवाल
दरअसल सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के खेमे में एक तबका विधानसभा चुनावों के अनुभव के आधार पर सपा-बसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने के मूड में नहीं है. दरअसल इस तबके को लगता है कि ऐसा होने की स्थिति में कांग्रेस को पसंद करने वाला परंपरागत वोटबैंक पार्टी से छिटक सकता है. सपा से गठबंधन के कारण 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अपेक्षित सफलता नहीं मिलने की बड़ी वजह यही मानी जाती है. इस तबके का मानना है कि सपा से हाथ मिलाने के कारण ये वोटबैंक कांग्रेस से बिदक गया. ऐसे में सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस, सपा और बसपा के साथ सीधेतौर पर गठबंधन नहीं करना चाहती बल्कि रणनीतिक सौदेबाजी करना चाहती है. यानी कांग्रेस इन दलों के साथ गठबंधन नहीं करेगी लेकिन रणनीति के तहत ये दल कांग्रेस के खिलाफ अपने उम्‍मीदवार नहीं उतारेंगे.

शरद पवार ने की मायावती से मुलाकात
इस बीच पिछले दिनों राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार और बसपा सुप्रीमो मायावती के बीच मुलाकात हुई. ‘रिश्तों की तल्खी’ खत्म करने के लिए हुई बैठक से दोनों दलों के बीच गठबंधन होने की संभावना जताई जाने लगी है. पवार ने बुधवार को मायावती और उनके निकट सहयोगी सतीश चंद्र मिश्रा से मुलाकात की थी. पवार ने ट्वीट कर लिखा है कि कुमारी मायावती और राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्रा से मुलाकात अच्छी रही. बसपा ने हालांकि इस पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि करीब एक घंटे चली बैठक का उद्देश्य ‘रिश्तों की तल्खी’ खत्म करना था. इससे पहले मायावती ने महाराष्ट्र में राकांपा के साथ गठबंधन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.

इस बार चीजें अलग थीं और बैठक सकारात्मक रही क्योंकि दोनों दल भाजपा का मुकाबला करने के लिए 2019 चुनावों की तैयारियां कर रहे हैं. रामदास अठावले नीत रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) का कांग्रेस-राकांपा के साथ काफी समय तक गठबंधन रहा था और महाराष्ट्र के दलित समुदाय के बीच उनकी अच्छी पहुंच है. आरपीआई अब भाजपा के साथ गठबंधन में है.

सूत्रों ने बताया कि बसपा के साथ गठबंधन से राकांपा को महाराष्ट्र और खासकर विदर्भ क्षेत्र में फायदा मिल सकता है. गौरतलब है कि 2019 के आम चुनाव को देखते हुए देशभर में राजनीतिक पार्टियां महागठबंधन करने के लिए प्रयास कर रही हैं. महागठबंधन बनाने की शुरुआत के प्रयास कर्नाटक सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में एक साथ करीब 13 पार्टियों के बड़े नेताओं ने साथ आकर की थी.

 

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