यूपी विधान परिषद: 26 को नहीं होगी वोटिंग, आज ही होगा सदस्यों का ऐलान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव के लिए नामांकन वापस लेने की आज अंतिम तारीख है. विधान परिषद की 13 सीटों के लिए 13 प्रत्याशी ही मैदान में हैं, इसलिए सभी प्रत्याशियों का निर्विरोध चुना जाना तय है. लेकिन, तकनीकी आधार पर नामांकन वापस लेने का वक्त समाप्त होने के बाद ही इसका औपचारिक ऐलान किया जाएगा. नामांकन वापस लेने का वक्त दोपहर 3 बजे तक है. 3 बजे के बाद सभी प्रत्याशियों के निर्विरोध चुने जाने की घोषणा कर दी जाएगी. 13 में से बीजेपी गठबंधन के पास 11, सपा और बसपा के एक-एक सदस्य उच्च सदन के लिए चुने जाने वाले हैं.

सपा और बसपा के एक-एक सदस्य
13 विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल 5 मई को समाप्त हो रहा है, जिसके बाद नव निर्वाचित सदस्यों का शपथ ग्रहण कार्यक्रम होगा. 13 में से बीजेपी के 10, सहयोगी अपना दल के एक, सपा के एक और बसपा के एक सदस्य हैं. 10 नए सदस्य चुने जाने के बाद उच्च सदन में बीजेपी के सदस्यों की संख्या 21 हो जाएगी. इसके बावजूद, उच्च सदन में बहुमत समाजवादी पार्टी के पास ही होगी.

 

बीजेपी ने सपा के तीन बागियों को दिया मौका
बीजेपी ने 10 में चार बागियों को टिकट दिया है. समाजवादी पार्टी से तीन नेता- बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह और सरोजिनी सिंह बीजेपी में शामिल हुई थीं. इनके अलावा बसपा के MLC जयवीर सिंह ने भी पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था. बीजेपी ने इन चारों नेताओं को उच्च सदन के लिए टिकट दिया है. इनके अलावा दो वर्तमान मंत्री जो उच्च सदन से आते हैं- डॉ महेंद्र सिंह और मोहसिन रजा को फिर से उच्च सदन भेजने के लिए टिकट दिया गया है. बीजेपी ने चार टिकट संगठन के लोगों को दिया है. प्रदेश के तीन महामंत्री विजय बहादुर पाठक, अशोक कटारिया और विद्यासागर सोनकर के अलावा पार्टी के पूर्व प्रदेश कोषाध्यक्ष रह चुके अशोक धवन को टिकट दिया गया है.

अपना दल की तरफ से आशीष सिंह मैदान में
बीजेपी ने सहयोगी अपना दल को भी एक टिकट दिया है. अपना दल की तरफ से पार्टी के अध्यक्ष आशीष सिंह खुद उच्च सदन जा रहे हैं. इनके अलावा समाजवादी पार्टी की तरफ से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम और बसपा की तरफ से भीमराव आंबेडकर को उच्च सदन भेजा जा रहा है. भीमराव आंबेडकर को बसपा ने राज्यसभा प्रत्याशी के तौर पर उतारा था. लेकिन, बीजेपी की चाल से बसपा के प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा. जिन सदस्यों का कार्यकाल 5 मई को खत्म हो रहा है, उनमें पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी शामिल हैं.

 

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