ये हैं वो 10 मुद्दे जिसपर देश चाहता था कि प्रधानमंत्री जरुर बोले लेकिन …………

नई दिल्ली। बीजेपी के नेतृत्व में केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए सरकार को चार साल पूरे होने जा रहे हैं. इन चार सालों के दौरान कई मौके ऐसे आए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लीक से हटकर काम किए. इनमें उनका बहुचर्चित रेडियो कार्यक्रम- ‘मन की बात’ भी शामिल है. इसके अलावा उन्होंने कई और मौकों पर भी देश को संबोधित भी किया.

इसके बावजूद ऐसे कई मौके रह गए जब देश को पीएम के बोलने का इंतजार था और वह नहीं बोले. अपनी सरकार के विवादित फैसलों और कई मुद्दों पर पीएम नहीं बोले या घुमाफिरा कर बोले या इतनी देर से बोले कि उनकी प्रासंगिकता खत्म हो चुकी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पूर्ववर्ती पीएम मनमोहन सिंह को मौनी बाबा कहते थे, लेकिन सत्ता में आने पर वह भी कई अहम मामलों पर मौन साध गए.

नीरव मोदी और पीएनबी घोटाला

साल 2018 में पंजाब नेशनल बैंक में करीब 12 हजार करोड़ रुपये के फ्रॉड के आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को लेकर देश मोदी से बोलने की आस लगाए रहा, लेकिन पीम चुप्पी साधे रहे. इस दौरान मोदी का एक पुराना वीडियो भी सामने आया, जिसमें वह मेहुल चोकसी को ‘मेहुल भाई’ कहकर संबोधित कर रहे थे. नीरव मोदी के इस फ्रॉड की 2016 में ही पीएमओ से शिकायत हो चुकी थी लेकिन 2018 में पीएम के दावोस दौरे पर नीरव मोदी उनके साथ एक फोटो में नजर आए. इस पर भी पीएम आलोचनाओं के केंद्र में रहे. पीएम ने फरवरी 2018 में बिना नीरव या मेहुल का नाम लिए कहा कि उनकी सरकार वित्तीय अनियमितताओं पर नकेल कसने वाला कानून लाएगी.

नोटबंदी के बाद 100 मौतें8 नवंबर 2016 को पीएम ने देश को संबोधित कर नोटबंदी (500 और 1000 के नोट बंद करने) की घोषणा की थी. अचानक हुई इस घोषणा और पुराने नोटों को बदलने की जल्दबाजी से देश भर के लोग कतारों में खड़े हो गए. सरकार के पास नए नोट भरपूर मात्रा में न होने से अफरातफरी का माहौल बन गया. इस दौरान 100 से ज्यादा लोगों की मौत भी हुई. उसी दौरान यूपी विधानसभा चुनावों से पहले मोदी ने कई रैलियों को संबोधित किया. लेकिन इस फैसले पर कुछ नहीं कहा. बाद में अपने भाषणों में उन्होंने कहा कि लोगों को इस फैसले से थोड़ी तकलीफ तो हुई लेकिन कालाधन डूब गया. हालांकि, इसके पुख्ता आंकड़े भी सरकार नहीं दे सकी.

न्यायपालिका में हस्तक्षेप

मौजूदा सरकार पर न्यायपालिका को प्रभावित करने को लेकर गंभीर आरोप लगे. ताजा मामला जज लोया की मौत से जुड़ा और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के रोस्टर पर सवाल उठाने और उनके खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया से जुड़ा है. इस सरकार पर न्यायपालिका से टकराव लेने या इसे प्रभावित करने के आरोप 2015 से ही लगने लगे जब जजों की नियुक्ति के लिए सरकार की ओर से कलीजियम के बजाए एनजेएसी का प्रस्ताव दिया गया. यह प्रस्ताव पास नहीं हो सका. हाल ही में विपक्ष द्वारा सीजेआई के खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को सरकार और न्यायपालिका से निराशा मिली. विपक्ष इस मामले पर पीएम मोदी से बोलने की मांग करता रहा, लेकिन पीएम कुछ नहीं बोले.

दादरी का अखलाक हत्याकांड

सितंबर 2015 में उत्तर प्रदेश के दादरी में अखलाक नामक शख्स की रेफ्रिजरेटर में बीफ होने के आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. इसके बाद देश भर में असहिष्णुता को लेकर बहस छिड़ गई और देश भर के लेखकों और बुद्धिजीवियों ने सरकार की चुप्पी के विरोध में अपने पुरस्कार वापस करने का अभियान भी चलाया. बाद में बिहार के नरवादा जिले की रैली में पीएम ने बिना नाम लिए बस इतना कहा कि देश को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के कहे ‘विविधता और सहनशीलता’ का ध्यान रखना चाहिए.

व्यापम घोटाला और मौतें

मध्य प्रदेश व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) द्वारा कॉलेज और सरकारी नौकरियों की प्रवेश परीक्षा में गड़बड़ी को व्यापम घोटाला कहा जाता है. मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार के दौरान सामने आए व्यायम घोटाले में कम से कम 40 संदिग्ध मौतें हुईं. इसमें कई गवाहों और विसलब्लोअर की मौत भी शामिल है. यह मामला भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में छाया रहा. विपक्ष लगातार पीएम मोदी से इस मामले में सफाई और एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान की बर्खास्तगी की मांग करता रहा. हालांकि, पीएम इस मामले में चुप्पी ही साधे रहे.

राफेल डील का विवाद

पीएम मोदी ने अप्रैल 2015 में फ्रांस के दौरे पर राफेल डील यानी फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद की घोषणा की. 58 हजार करोड़ की नई राफेल डील सितंबर 2016 में जाकर हुई. इससे पहले यूपीए सरकार ने 126 राफेल विमानों को खरीदने की डील की थी, जिसे रद्द कर दिया गया. 2018 में विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि उनके सत्ता में रहने के दौरान (2012 में) इसके एक तिहाई दाम पर विमान खरीदने का समझौता हुआ था. कांग्रेस ने नई डील में उद्योगपति निजी कंपनियों को भी अनुचित फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया. हालांकि फ्रांस ने कांग्रेस के महंगी डील के आरोपों को नकारा. भारत सरकार की ओर से रक्षा मंत्री इस मामले पर बोलीं, लेकिन विपक्ष पीएम से सफाई मांगता रहा. कांग्रेस ने इस मामले को चुनावों में भी उछाला, पर मोदी इस पर कुछ नहीं बोले.

चीन के साथ डोकलाम विवाद

जून 2017 में भारत, चीन और भूटान की सीमा के पास डोकलाम में भारत और चीन की सीमाओं में करीब 72 दिनों तक जबरदस्त गतिरोध बना रहा. इस दौरान चीन की ओर से केवल 8 घंटे में ल्हासा से चुंबा वैली तक करीब 500 किमी. लंबी सड़क बनाने की बात भी सामने आई. इससे पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत आए थे और इस विवाद के बाद पीएम मोदी चीन गए. हालांकि, वह इस मामले पर कुछ नहीं बोले. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत समूचे विपक्ष ने डोकलाम मामले पर पीएम मोदी की चुप्पी की आलोचना की, लेकिन मोदी कभी कुछ नहीं बोले.

ललित मोदी की मदद

क्रिकेट प्रशासक ललित मोदी को वित्तीय अनियमितताओं और कई गैरकानूनी फैसलों के बाद भारत से भागकर लंदन में शरण लेनी पड़ी थी. जून 2015 में सुषमा स्वराज जैसी वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री और सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के ललित मोदी की मदद करने के मामले सामने आए. इस मामले को लेकर विपक्ष ने संसद की कार्यवाही भी स्थगित की. विपक्ष इस मामले पर पीएम से सफाई मांगता रहा, लेकिन मोदी इस मामले पर भी कुछ नहीं बोले. उन्होंने मन की बात कार्यक्रम में भी इस पर कुछ नहीं कहा.

दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन

नवंबर 2017 में तमिलनाडु से आए सैकड़ों किसानों ने सांकेतिक तौर पर चूहे और घास खाकर, सड़क पर खाना खाकर और आत्महत्या किए किसानों के नरमुंडों की माला पहनकर दिल्ली में प्रदर्शन किया. इस मामले की राष्ट्रव्यापी चर्चा हुई. ये किसान 40 हजार करोड़ के सूखा राहत फंड और कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड की मांग को लेकर दिल्ली आए थे. इस दौरान भी कई किसानों ने आत्महत्या की. इस मामले पर भी पीएम मोदी चुप्पी साधे रहे.

जय शाह और बीजेपी की संपत्ति

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी के नोटबंदी के दौरान एक साल में 50 हजार रुपये से 80 करोड़ कमाने का मामला मीडिया में और विपक्षी नेताओं की जुबान पर छाया रहा. नोटबंदी के दौरान 2016-17 में ही बीजेपी की संपत्ति में 81 फीसदी का उछाल यानी 1,034 करोड़ की बढ़ोतरी हुई. इस दौरान कांग्रस को सिर्फ 225 करोड़ मिले. इस मामले पर भी विपक्षी दलों ने पीएम मोदी से बोलने की मांग की, लेकिन वह मौन ही साधे रहे.

 

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