योगी के कौन-कौन मंत्री ट्रांसफर-पोस्टिंग से कमा रहे माल, PMO ने IB से मांगी रिपोर्ट

लखनऊ। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भले ही ईमानदार छवि हो। जनता का पैसा न तो करोडों की लग्जरी कार खरीदने में और न ही आलीशान बंगल में सुख-सुविधाओं के लिए बहाना पसंद है,  मगर उनके ही कुछ मंत्रियों का आचरण एकदम विपरीत है। भगवा सरकार में भी उनका ढर्रा सपा-बसपा सरकार के मंत्रियों जैसा हैं। खबर है कि लखनऊ में एक बार फिर से ट्रांसफर-पोस्टिंग के धंघे की शुरू हुई सुगबुगाहट ने  पीएमओ तक हलचल मचा दी है।

पीएमओ तक कई शिकायतें पहुंचीं हैं। कहा गया है कि निजी सचिव और अन्य करीबियों के जरिए मंत्री महकमे में क्लास वन और टू अफसरों की पोस्टिंग के लिए रेट फिक्स कर दिए हैं। ये वही मंत्री हैं, जो चुनाव से पहले भगवा लहर देख नए-नए भाजपाई बने और भाग्य ने साथ दिया तो मंत्री पद के साथ मलाईदार महकमे भी हासिल हो गया। और अब मौका मिलते ही लूट-खसोट शुरू कर दिए। जिससे योगी सरकार की छवि पर बट्टा लगना तय है। और अगर ऐसा हुआ तो मोदी के मिशन 2019 को पलीता लग सकता है।

इस पर यूपी से दो गुमनाम चिट्ठियां पीएमओ पहुंच गई। जिसे संज्ञान में लेते हुए इंटेलीजेंस ब्यूरो को योगी सरकार में संदिग्ध आचरण वाले मंत्रियों का काला-चिट्ठा तैयार करने को कहा गया है। आइबी के वरिष्ठ अधिकारी ने इस आदेश की पुष्टि भी की है, हालांकि और डिटेल्स देने से मना कर दिया।

यूपी में संगठन और सरकार से मोदी को पिछले एक महीने से गोपनीय फीडबैक सही और सटीक रूप से मिलना बंद हो गया। कहा तो यह भी जा रहा है कि संगठन मजबूत करने के लिए जिनके कंधों पर जिम्मेदारी है, वे भी ट्रांसफर-पोस्टिंग के धंधे में फीलगुड करने में लग गए। इसे देखते हुए मोदी और उनकी टीम ने पीएमओ के जरिए आइबी को मौखिक रूप से आदेश दिया कि वह योगी सरकार के कुछ खास मंत्रियों की हरकतों पर नजर रखे।

एक अफसर का कहना है कि योगी सरकार में क्लास वन अफसरों की इधर बीच काफी ट्रांसफर-पोस्टिंग हुई है।  चुनाव से पहले गैरभाजपाई पृष्ठिभूमि के मंत्रियों ने इसमें धनउगाही का जरिया बना लिया। क्योंकि योगी आदित्यनाथ के आदेश के चलते हर अहम प्रोजेक्ट की फाइल उनकी आंखों के सामने रखनी पड़ती है। योगी के संतुष्ट होने पर ही फाइल आगे बढ़ती है। ऐसे में किसी प्रोजेक्ट और ठेका देने में कमाई की गुंजाइश कम दिख रही। जिससे सपा-बसपा से दलबदलकर बने मंत्री बने लोग अब ट्रांसफर-पोस्टिंग को ही कमाई का जरिया बना लिए हैं।

चिट्ठियों में क्लास वन के अफसरों की तैनाती 25 से 50 लाख रुपये का जिक्र है। ऐसे ही तहसील और ब्लाकस्तर के अफसरों के रेट भी खोला गया है। आधे दर्जन मंत्रियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग में शामिल करने का जिक्र है। पैसे के दम पर अयोग्य अफसर अहम पटल न हथिया ले और हरकतों से सरकार की छवि न धूमिल कर दे, इस चिंता से केंद्र सरकार वाकिफ है। ऐसे में मोदी और शाह ने पीएमओ के बड़े अफसर को टॉस्क दिया है कि वह आइबी को इस दिशा में लगाकर पूरा फीडबैक उपलब्ध कराएं।

सपा-बसपा राज में ट्रांसफर-पोस्टिंग बन गई थी इंडस्ट्री

सपा सरकार में आईएएस-पीसीएस सहित अन्य लेवल के अफसरों की तैनाती में खूब पैसा चलता था। आइएएस अशोक कुमार ने तो पोल ही खोल दी थी। कहा था कि अगर 70 लाख रुपये उनके पास होते तो आज वे किसी जिले के डीएम होते न कि सचिवालय में सचिव बनकर कुर्सी तोड़ते।  रिटायर्ड आइएएस अफसर प्रभात चंद्र चतुर्वेदी बताते हैं कि एनडी तिवारी के समय तक अफसरों को काबिलियत के दम पर कुर्सी मिलती थी। मगर जैसे ही यूपी में 90 के दशक में मुलायम सिंह की सरकार का दौर शुरू हुआ तो ट्रांसफर-पोस्टिंग धंधा बन गई, जो बाद में तो इंडस्ट्री में बदल गई। यह दीगर बात है कि बीच में कल्याण सिंह ने फिर से काबिलियत के दम पर अफसरों को तैनात करना शुरू किया। हालांकि जब वे दोबारा सीएम बने तो फिर पोस्टिंग में धनउगाही शुरू हो गई थी।

 

 

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