योगी जी उत्तर प्रदेश में कानून ब्यवस्था के साथ साथ सरकारी अस्पतालों की ब्यवस्था भी चरमराई, पीजीआई में जिला जज भी नहीं बख्शा गया तो मंत्री को नशे मे धुत मिले सीएमएस

लखनऊ। योगीराज के इन दो महीनों में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों का बहुत ही बुरा हाल है। यह बदहाली उस स्थिति में है, जबकि स्वयं मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ अब तक कई मेडिकल कालेजों और सरकारी अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर सख्त हिदायतें दे चुके हैं। प्रदेश के स्वास्थ्य मत्री सिद्धार्थ सिंह से तो लोगों को जबरदस्त निराशा हो रही है। पेश है इसकी कुछ चुनिंदा मिसालें।

सरकारी डाक्टरों के अराजक रवैये का शिकार होने वालों में लखनऊ के अपर जिला एवं सत्र न्यायाघीश रमेंश कुमार भी है। इनका आरोप है कि लखनऊ का शीर्ष चिकित्सा एवं शोध संस्थान संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट चिकित्सा संस्थान(पी.जी.आई) के डाक्टरों ने उनके साथ इस हद तक बदसलूकी की है कि उन्हें अपनी लगभग 70 वर्षीया बीमार माँ कलावती को वहां से इलाज कराये बिना ही वापस घर ले आना पडा है। इनका कहना है कि पहले तो उनकी माँ को प्राइवेट वार्ड से जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। इस पर आपत्ति जताने पर डाक्टर ने उनके साथ बडी अभद्रता से पेश आते हुए कहा कि इनका इलाज यहां नहीं हो सकता है। उन्हें इलाज करना मत सिखाओ। इसे एम्स दिल्ली ले जाओ। इतना ही नहीं, इसके बाद उन पर धौंस जमाते हुए यहां तक कह दिया गया कि पीजीआई में उन लोगों का अपना राज है। यहां दूसरा कोई कुछ भी नहीं कर सकता है। चाहे वह कोई भी हो। इसकी शिकायत जब निदेशक से करने की कोशिश की गयी तो पहले तो वह कुछ भी सुनने के लिये तैयार नहीं हुए। फिर बडी बेरुखी से कहा कि लिख कर दो। यह बात जब शासन तक पहुंची, तो उसके दबाव के चलते पीजीआई के डाक्टरों के माफी मांगने के बाद एडीजे की माँ को दूसरे दिन इलाज के लिये भर्ती किया गया।

इस संबंध में दूसरी चैंका देने वाली खबर यह है कि इसी रविवार को सोनभद्र जिले के दौरे पर गयीं राज्य मंत्री अर्चना पाण्डेय ने जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण किया, तो उन्हें सीएमएस ही नशे में धुत मिले। इसी रविवार की रात में मार्गदुर्घटनाग्रस्त रायबरेली के रमाशंकर तिवारी को लोहिया अस्पताल से ट्रामा वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था। आरोप है कि यहां डाक्टर ने उन्हें सिरदर्द निवारक इंजेक्शन व ड्रिप लगाकर भगवान भरोसे छोड दिया था। रात में ही इनकी कई बार हालत बिगडी, मगर बुलाने पर भी कोई डाक्टर नहीं आया। हालत बहुत ज्यादा गंभीर हो जाने पर सोमवार की सुबह इन्हें ओ.टी. ले जाया गया। मगर यहां भी डाक्टर नदारद थे। हालत इतनी गंभीर थी कि इनकी सांस उखडती ही जा रही थी। इसके बावजूद, प्लास्टर रूम के स्टाफ ने इन्हें बिना आक्सीजन सपोर्ट के ही ट्रामा वार्ड ले जाने को कहा। इस दौरान कोई भी डाक्टर नही था। लिहाजा, कुछ ही देर में उनकी मौत हो गयी।

राजधानी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाली का आलम यह है कि अधिकारियों के औचक निरीक्षण के बावजूद इनमें अधिकोश डाक्टर ड्यूटी से नदारद ही मिलते हैं। सी.एम.ओ. डा.जी.एस.वाजपेयी को कल रेडक्रास सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के औचक निरीक्षण मे डा0 नीलम टंडन गैरहाजिर मिली थी। मरीजों की सुविधा के लिये सरकारी एंबुलेंस की व्यवस्था में भी भारी घोटाले का खुलासा हुआ है। इस संबंध में राजधानी लखनऊ सहित तीस जिलों की रैंडम जांच से पता चला है कि ये सरकारी एंबुलेंस सिर्फ कागजों पर ही मरीजों को ढो रही थीं।

 

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