योगी जी…तख्त मिला, ताज मिल गया, फिर क्यों नहीं संभल रहा सूबा

लखनऊ।  बयान 1-” गुंडे, अराजक तत्व और माफिया प्रदेश छोड़कर चले जाएं नहीं तो उन्हें सही जगह पहुंचा दिया जाएगा।” बयान 2-”अपराधियों की पुरानी आदतें जल्दी छूटने वाली  नहीं हैं, लेकिन अपराधी यूपी में अपना भविष्य खुद तय करें। ”

पहला बयान योगी ने तब दिया, जब सीएम बनने के बाद पहली बार संसदीय क्षेत्र गोरखपुर पहुंचे। दूसरा बयान विधानसभा में दिया, जब बदहाल कानून व्यवस्था पर घेरना शुरू किया। इन बयानों से यह तो झलकता है कि योगी कानून-व्यवस्था को लेकर चिंतिंत हैं, गंभीर हैं, मगर जब आप सीएम की कुर्सी पर हो, तब आम आदमी की तरह चिंता जताने से काम नहीं चलता, जनता जानना चाहती है कि कानून का इकबाल बुलंद करने के लिए आपके पास क्या एक्शन प्लान है

सरकार तो बदली मगर सिस्टम नहीं नई सरकार के दो महीने के कार्यकाल में कानून-व्यवस्था उसी तरह है, जैसे सपा सरकार में थी। अब तक एक दर्जन बड़े अपराधों से सूबा थर्रा उठा है, मगर बयानों से आगे बात बढ़ती नहीं दिख रही। हालांकि खुद सीएम योगी और उनकी पार्टी कानून-व्यवस्था को उतना खराब नहीं मानती। पार्टी प्रवक्ता कहते हैं कि घटनाओं को तूल ज्यादा दिया जा रहा। विपक्ष दुष्प्रचार फैला रहा।  इसके पीछे भाजपा साजिश होने की आशंका भी जाहिर करती है। सवाल है कि किसी घटना को बढ़ाचढ़ाकर दिखाया जा सकता है, मगर इस बात से क्या इन्कार है कि घटनाएं नहीं हो रहीं हैं। कहीं व्यापारी दुकान में ही छलनी कर दिए जा रहे तो कभीं बुलंदशहर की तरह फिर हाईवे गैंगरेप की घटना दोहराई जाती है। वो भी तब, जब उस योगी आदित्यनाथ का राज है, जो योगी डंके की चोट पर कहते थे कि हमें दे दीजिए यूपी-हम बदल देंगे यूपी। आखिर कहां बदल रहा है यूपी।

शाह के दावे की इज्जत रख पाएंगे योगी यूपी की हर चुनावी रैली में भाजपा जंगलराज का मुद्दा उठाकर अखिलेश सरकार को घेरती रही। खुद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हर चुनावी रैलियों में कल्याण सिंह जैसा शासन यूपी के देने का सपना दिखाते रहे। दरअसल कल्याण सिंह का शासनकाल यूपी में कानून-व्यवस्था के लिहाज से काफी सख्त माना जाता रहा है। धारणा रही कि कल्याण सिंह के दौर के बाद यूपी की कानून-व्यवस्था बिगड़ती रही। यह दीगर बता रही कि मायावती ने प्रशासनिक मशीनरी को खुली छूट देकर कुछ हद तक इस मोर्चे पर सफल दिखीं। सवाल उठता है कि जिस तरह से यूपी की कानून-व्यवस्था बिगड़ रही है, उससे आखिर कैसे योगी आदित्यनाथ अमित शाह के दावे को धरातल पर उतारकर कल्याण सिंह जैसा शासनकाल स्थापित कर पाएंगे।

सुलग रहा सहारनपुर जुलूस को लेकर शुरू हुए बवाल के बाद से सहारनपुर अशांत चल रहा है। वहां तो भाजपा सांसद के समर्थकों ने एसएसपी के आवास पर ही धावा बोल दिया था। बाद में एसएसपी लव कुमार का ट्रांसफर कर दिया गया। फिर सहारनपुर जातीय संघर्ष की आग में झुलस रहा है। भीम आर्मी नामक संगठन अस्तित्व में आकर नए जातीय संघर्ष को हवा देने में लगा है। तर्क दिया जा रहा है कि सवर्णों के अत्याचार से आजिज दलितों को संरक्षण देने की यह कोशिश कर रहा। हालांकि सहारनपुर के जातीय संघर्ष के कई पहलू उभरकर सामने आ रहे हैं। योगी सरकार का कहना है कि सहारनपुर में विपक्ष की साजिश है।

कहीं व्यापारी की हत्या, कहीं हाईवे पर गैंगरेप यूपी के बुलंदशहर की घटना अभी लोग भूले भी नहीं थे कि योगी राज में भी फिर से हाइवे पर हैवानियत हो गई। दिल्ली से सटे गौतमबुद्धनगर में वाहन रुकवाकर चार महिलाओं से गैंगरेप की घटना सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार देर रात करीब डेढ़ बजे यह दुस्साहसिक घटना हुई।  कार सवार परिवार के साथ जेवर-बुलंदशहर हाईवे पर बदमाशों ने लूटपाट व गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया। इतना ही नहीं दरिंदगी की हद पार करते हुए पुरुषों के सामने ही परिवार की चार महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। इससे पहले बीते 15 मई को मथुरा में फिल्मी अंदाज में आए बदमाशों ने शॉप में बैठे दो व्यापारियों को मौत के घाट उतार दिया। यह घटना सीसीटीवी में कैद हुई और इसका वीडियो वायरल हुआ तो वह सिहरा देने वाला था।

योगी राज में हुई आपराधिक घटनाएं

17 मई, 2017: लखनऊ में कर्नाटक कैडर के आईएएस अफसर का मर्डर 15 मई, 2017: मथुरा के ज्वेलरी शॉप में आठ नकाबपोश बदमाशों द्वारा 4 करोड़ की लूट एंड मर्डर 15 मई, 2017: मुजफ्फरनगर में किसान की हत्या से हड़कंप 13 मई, 2017: कौशांबी में नवविवाहिता की रेप के बाद हत्या 12 मई, 2017: अलीगढ़ में गोकशी के आरोप में 6 लोगों की पीट-पीटकर हत्या 9 मई, 2017: लखनऊ में रिटायर्ड सूबेदार की दो बेटियों की हत्या 5 मई, 2017: ग्रेटर नोएडा में गोकशी के आरोप में 2 लोगों की पिटाई 24 अप्रैल, 2017: इलाहाबाद में माता-पिता और दो बेटियों की हत्या 5 अप्रैल, 2017: मुजफ्फरनगर में बीजेपी नेता की गोली मारकर हत्या

 

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