राजन ने भी माना, तेजी से आगे बढ़ रहा भारत

rajan26चेन्नै। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि भारतीय इकॉनमी शायद रिवाइवल की ओर बढ़ रही है। रुके हुए प्रॉजेक्ट्स पर काम फिर से शुरू हो गया है और अब तक मॉनसून की बारिश भी अच्छी रही है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इकनॉमिक ग्रोथ तेज करने के लिए और रिफॉर्म्स की जरूरत है।
राजन ने चेन्नै में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की बोर्ड मीटिंग के बाद गुरुवार को कहा, ‘इकॉनमी की रफ्तार बढ़ रही है। कैपिटल इन्वेस्टमेंट भी बढ़ रहा है। इसे जारी रखने की जरूरत है, जिस पर सरकार ध्यान दे रही है। कुछ रुके हुए प्रॉजेक्ट्स पर काम शुरू हुआ है।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘हालांकि, हमें अड़चनों को दूर करना होगा और उन क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा, जिनमें रिफॉर्म की जरूरत है। इससे इकनॉमिक रिकवरी टिकाऊ और मजबूत होगी।’ फाइनैंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने बुधवार को कहा था कि भारत को इकनॉमिक ग्रोथ को 6-8 पर्सेंट के लेवल से बढ़ाकर 8-10 पर्सेंट करने की जरूरत है। तभी देश में बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला जा सकेगा।राजन ने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भारतीय बॉन्ड में विदेशी निवेश की सीमा की साल में दो बार समीक्षा करेगा। इससे लिमिट में बढ़ोतरी की संभावना बन सकती है। अभी विदेशी निवेशक बॉन्ड में तय सीमा तक करीब-करीब निवेश कर चुके हैं। दरअसल, भारतीय बॉन्ड पर दूसरे देशों के मुकाबले काफी अधिक ब्याज मिल रहा है। इसलिए विदेशी निवेशक इसमें और पैसा लगाना चाहते हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की नजर जून-सितंबर के मॉनसून सीजन पर भी है, जिसका महंगाई पर काफी असर होगा। आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘महंगाई हमेशा चिंता की बात रही है। मॉनसून अब तक अच्छा रहा है। हम इस पर करीबी नजर बनाए रखेंगे।’ उन्होंने यह भी कहा कि मॉनसून के बारे में अलग-अलग अनुमान पेश किए गए हैं। इससे भी दिक्कत हो रही है। मौसम विभाग ने कहा कि बारिश कम हो सकती है, जबकि प्राइवेट वेदर फोरकास्टिंग एजेंसी स्काईमेट का कहना है कि मॉनसून सामान्य रहेगा और अच्छी बारिश होगी। राजन ने कहा, ‘पूर्वानुमान लगाना मुश्किल काम है और अभी बारिश के बारे में तरह-तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं।’ 2 जून की मॉनिटरी पॉलिसी में राजन ने कहा था कि आरबीआई आगे की नीति तय करने के लिए डेटा का इंतजार करेगी। उन्होंने कहा था कि इन सबमें मॉनसून डेटा का अहम रोल होगा। आरबीआई अब 4 अगस्त को मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू करेगी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बॉन्ड मार्केट को विदेशी निवेशकों के लिए और खोलने का भी वादा किया। राजन ने कहा, ‘हमने फैसला किया है कि अब साल में दो बार बॉन्ड में विदेशी निवेश की सीमा की समीक्षा की जाएगी। हमें बस इसकी तारीख तय करनी है। हम फॉरन इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स का इसमें निवेश लगातार बढ़ाना चाहते हैं।’भारत की फिक्स्ड इनकम सिक्यॉरिटीज में विदेशी निवेश की सीमा को सख्ती से कंट्रोल किया जाता है। उसकी वजह यह है कि किसी बुरी खबर के आने पर एफआईआई बॉन्ड डंप कर सकते हैं। हालांकि, 2013 में करंसी में उतार-चढ़ाव पीक लेवल पर पहुंचा था और उसके बाद इसकी लिमिट बढ़ाई गई। अगर आरबीआई इस सीमा को फिर से बढ़ाता है तो इससे बॉन्ड प्राइसेज में बढ़ोतरी हो सकती है। इस बारे में आईडीएफसी में ट्रेडिंग हेड पीयूष वाधवा ने कहा, ‘रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बॉन्ड लिमिट तय करने का एक सिस्टम बनाना चाहता है। अभी ऐड-हॉक बेसिस पर इस बारे में फैसला होता आया है। आरबीआई अब बॉन्ड लिमिट को साल में दो बार रिव्यू करेगा, इससे बॉन्ड लिमिट को लेकर अटकलें खत्म हो जानी चाहिए। अगर लिमिट में किसी तरह की बढ़ोतरी की जाती है तो इससे मार्केट में बुलिश मेसेज जाएगा।’ सरकारी बॉन्ड में दो साल पहले 30 अरब डॉलर की विदेशी निवेश की सीमा तय की गई थी, जो करीब-करीब पूरी हो गई है। विदेशी निवेशकों के पास 39.27 अरब डॉलर के कॉर्पोरेट बॉन्ड भी हैं। इसके लिए लिमिट 51 अरब डॉलर है यानी वे कॉर्पोरेट बॉन्ड में भी 77 पर्सेंट लिमिट का इस्तेमाल कर चुके हैं।भारत के सरकारी बॉन्ड की यील्ड अभी 7.8 पर्सेंट से अधिक है। वहीं, अमेरिकी बॉन्ड पर यह 2.5 पर्सेंट और जर्मन बुंड्स पर 1 पर्सेंट से भी कम है। स्वीडन और स्विट्जरलैंड के बॉन्ड पर तो नेगेटिव रेट्स चल रहे हैं। पिछले दो साल में महंगाई दर आधी हो गई है। मैक्रो-इकॉनमी के फ्रंट पर भी काफी सुधार हुआ है। ऐसे में इनवेस्टर्स को बॉन्ड यील्ड में गिरावट की उम्मीद है, जिससे बॉन्ड प्राइसेस बढ़ेंगे।

 

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