राजस्थान चुनाव 2018: कांग्रेस ने बदली अपनी पुरानी रणनीति, नहीं उतारेगी पैराशूट उम्मीदवार

जयपुर। राजस्थान में सत्ता के महासमर में इस बार फतह हासिल करने के लिए कांग्रेस हर दांव हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है. कांग्रेस की रणनीति बताती है कि इस बार पैराशूट के जरिये उम्मीदवार नहीं उतारे जाएंगे. बल्कि योग्य व्यक्ति को ही टिकट मिलेगा. इसके लिए राजस्थान में 200 विधानसभा सीटों पर दो बार सर्वे का काम हो चुका है और तीसरा सर्वे जारी है. मतलब साफ है कि राजस्थान विधानसभा में टिकट वितरण में इस बार पुराने परंपरागत सिस्टम नियम-कायदे नहीं चलेंगे बल्कि कांग्रेस एक एक टिकट ठोक बजाकर ही देने का काम होगा.

योग्य उम्मीदवार की तलाश के लिए 6 महीने पहले ही दिल्ली स्तर से एक एजेंसी के जरिए राजस्थान में सर्वे करवाया जा चुका है. इसके अलावा राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे के नेतृत्व में 4 सह प्रभारियों को 50-50 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी गई है जिसकी रिपोर्ट भी सौंपी जा चुकी है.. इसके अलावा एक तीसरा सर्वे राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की ओर से भी करवाया जा रहा है जिसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है..

इन तीनों सर्व सर्वे रिपोर्ट में जो कॉमन नाम होंगे उन नामों की सूची बनाकर फिर जातिगत समीकरणों के आधार पर कैंडिडेट की उपयोगिता उसके अनुभव और पुराने ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए ही नाम को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया की जाएगी. इस सूची के बाद फिर स्क्रीनिंग कमेटी और दिल्ली स्तर पर उम्मीदवारों को हरी झंडी मिल पाएगी. कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी के चेयर पर्सन शैलजा का कहना है कि टिकट वितरण का भी कोई फार्मूला तैयार नहीं हो पाया है लेकिन यह तय है कि इस बार कांग्रेस परंपरागत तरीकों के बजाय नए तरीके से उम्मीदवार का चयन करने जा रही है. जिस का एकमात्र मकसद यही होगा कि केवल जिताऊ उम्मीदवार को ही टिकट दिया

गांव-गांव ढाणी में हुआ इस बार कांग्रेस का सर्वे
उड़ीसा कांग्रेस के प्रभारी जितेंद्र सिंह का कहना है जो सर्वे हुआ है वह किसने किया है कैसे हुआ है किसी को कोई जानकारी नहीं है. केवल केंद्र में सीधा अशोक गहलोत और राहुल गांधी को ही रिपोर्ट सौंपी गई है. इसके अतिरिक्त इस बार विधानसभा क्षेत्र में शहर के साथ-साथ गांव ढाणियों में भी सर्वे किया गया है.

पूर्व चुनाव में ऑब्जरर्वर की रिपोर्ट ही होती थी अहम
आमतौर पर पूर्व के चुनाव में 3 महीने पहले आब्जर्वर की रिपोर्ट के आधार पर तैयार 3 सदस्य पैनल में से स्क्रीनिंग कमेटी की सहमति से 1 नाम दिल्ली स्तर पर तय किया जाता रहा है. लेकिन इस बार कांग्रेस ने राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों के लिए योग्य उम्मीदवार की खोज 6 महीने पहले ही शुरू कर दी थी लेकिन यह दौड़ अभी तक खत्म नहीं हो पाई है. बड़े नेताओं वाली 25 विधानसभा सीटों को छोड़ दिया जाए अभी भी कोई उम्मीदवार दावे के साथ यह नहीं कह सकता कि उसे टिकट मिलना तय हैं.

अभी तक कांग्रेस केवल एक ही बात कह रही है कि केवल जिताऊ उम्मीदवार को ही टिकट दिया जाएगा. कोई सिफारिश कोई पुराना अनुभव नेता का कद काम नहीं आएगा. दरअसल कुछ सर्वे रिपोर्ट के आधार पर राजस्थान कांग्रेस के नेताओं को सत्ता में वापसी का पूरा यकीन हो चुका है यही कारण है कि इस बार टिकट के दावेदारों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है 200 विधानसभा सीटों के टिकट को लेकर दावेदारों की संख्या 1000 से अधिक हो चली है यानी स्थिति एक अनार सौ बीमार वाली है. ऐसे में कांग्रेस को जल्द ही टिकट वितरण के किसी एक फार्मूले पर पहुंचना होगा अन्यथा टिकट वितरण के समय बड़ी बगावत होने की पूरी पूरी संभावना है.

 

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