राज्यपाल ने फिर सरकार को वापस भेज दी लोकायुक्त नियुक्ति की फाइल

ram2तहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार और राजभवन के रुख के चलते नए लोकायुक्त के चयन का मामला और उलझता जा रहा है। जहाँ प्रदेश सरकार रवींद्र सिंह के नाम पर ही मुहर लगवाने पर अड़ी है वहीँ, राज्यपाल राम नाईक भी चयन समिति के सदस्यों की आम सहमती के बिना उनके नाम को मंजूरी देने को तैयार नहीं है| सूत्रों की माने तो गवर्नर राम नाईक ने सरकार से नए नाम का प्रस्ताव मांगा है।

राज्यपाल ने मंगलवार को चौथी बार लोकायुक्त नियुक्ति की फाइल सरकार को बैरंग लौटा दी। 20 दिनों के अन्दर यह चौथी बार है जब गवर्नर ने राज्य सरकार को चौथी बार लोकायुक्त नियुक्ति की फाइल वापस कर दी। फाइल वापसी पर सूत्रों का कहना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रवींद्र सिंह का कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव के साथ एक कार्यक्रम में मंच साझा करने पर भी आपत्ति जताई गयी है।

हालांकि,जस्टिस रवींद्र सिंह की साफ़ छवि 1 साल में सबसे अधिक फैसले सुनाने वाले न्यायाधीशों में बनी हुई है। परन्तु,राज्यपाल का कहना है कि फाइल में जस्टिस रवींद्र सिंह की नियुक्ति के लिए दिए गए तर्कों के सभी कानूनी पहलुओं का परीक्षण कराने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जायेगा।

उधर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकान्त बाजपेई ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना हो रही है,उन्होंने यह भी कहा कि मुलायम सिंह यादव बार-बार अपने रिश्तेदारों का नाम ही लोकायुक्त पद हेतु प्रेषित कर रहे है। बाजपेई का कहना है कि विधान मंडल दल के नेता और सभी दलों के नेताओं की सामूहिक बैठक में लोकायुक्त नियुक्ति का फैसला किया जाना चाहिए।

कौन है जस्टिस रविंद्र सिंह यादव

जस्टिस रविंद्र सिंह यादव का जन्म दो जुलाई 1953 को मैनपुरी में हुआ था। उन्होंने 1974 में आगरा यूनिवर्सिटी से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। साल 1977 में एलएलबी की पढ़ाई इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पूरी की। उन्होंने बतौर एडवोकेट अपना रजिस्ट्रेशन 21 दिसंबर 1978 को कराया था। इसके बाद वे तब से बतौर क्रिमिनल लॉयर काम करते रहे। इस दौरान वे सरकारी वकील और एडिशनल एडवोकेट जनरल भी बने।

इन्हें 24 सितम्बर 2004 को बार से बेंच में एलिवेट करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का एडिशनल जज बनाया गया। जस्टिस यादव ने 18 अगस्त 2005 को बतौर इलाहाबद हाईकोर्ट के परमानेंट जज के रूप में शपथ ग्रहण किया था। बतौर हाईकोर्ट जज उनकी रिटायरमेंट एक जुलाई 2015 को है।

 

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