राफेल सौदा: कांग्रेस का दावा दूसरे देशों ने दिया कम पैसा, सरकार बताए कितने में हुई डील?

नई दिल्ली। राफेल डील को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर मोदी सराकर पर हमला बोला है. इस बार कांग्रेस ने एक नई दलील के साथ भारत को बेचे गए राफेल की कीमत की तुलना मिस्र और कतर के साथ हुई डील के साथ की. इसके साथ ही कांग्रेस ने बीजेपी पर दोहरे स्कैम का आरोप मढ़ दिया.

इस बार मीडिया के सामने मोर्चा संभालने राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद आए. कांग्रेस ने इस बार मोदी सरकार को घेरने के लिए विमान बनाने वाली दसॉल्ट एविएशन कंपनी की सालाना रिपोर्ट का हवाला दिया. जिसके मुताबिक दसॉल्ट कंपनी ने मिस्र और कतर को 48 राफेल विमान बेचे. मिस्र को 24 और कतर को भी 24 जेट की सप्लाई हुई, जहां एक विमान की कीमत 1319 करोड़ रुपये बतायी गई.

कांग्रेस इसी रिपोर्ट की बुनियाद पर मोदी सरकार से सवाल पूछ रही है. कांग्रेस के मुताबिक जब मिस्र और कतर को 1319 करोड़ रुपये में एक विमान बेचा गया तो मोदी सरकार ने 1670 करोड़ रुपये के हिसाब से राफेल की डील क्यों की.

यहां कांग्रेस ने आरोप लगाया कि दिसंबर 2012 में यूपीए की डील में एक राफेल की कीमत 526 करोड़ पड़ी थी. पहली बार कांग्रेस ने ये आरोप भी लगाया कि राफेल की खरीद में मोदी सरकार ने देश की सुरक्षा से भी समझौता किया. कांग्रेस के मुताबिक जब सीमाओं की सुरक्षा के लिए कम से कम 126 लड़ाकू विमानों की जरूरत बतायी गई तो मौजूदा सरकार ने विमानों की संख्या 36 क्यों की.

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी लगातार राफेल के मुद्दे पर मोदी सरकार से सवाल करते रहे हैं, जिसमें ये मुद्दा भी गरमाया रहा. राहुल गांधी आरोप लगा रहे थे कि HAL को हटाकर रिलायंस को क्यों शामिल किया गया?

मोदी सरकार राफेल डील में विमान की कीमतों का खुलासा करने से इनकार कर चुकी है. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी ये साफ कर चुकी है कि नया सौदा दो सरकारों के बीच समझौता है और इसमें गोपनीयता बरतने की शर्त लागू है. ये भी कि नए सौदे में विमान को 2012 के मुकाबले अपग्रेड किया गया है.

 

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