रामगोपाल पर तिलमिलाए मुलायम, बरसे अपने छोटे भाई पर

ram-gopal-mulayamलखनऊ। समाजवादी पार्टी के सांसद प्रोफेसर रामगोपाल यादव की चर्चित चिट्ठी से सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव तिलमिला गए हैं. अगर पारिवारिक सूत्रों की माने तो मुलायम सिंह यादव इस चिठ्ठी से इतने आग बबूला थे कि वो शनिवार की शाम सीधे दिल्ली के लोधी एस्टेट स्थित अपने चचेरे भाई रामगोपाल के बंगले पहुँच गए.

सूत्रों के मुताबिक मुलायम सिंह अपने छोटे भाई पर देर तक बरसे और यहाँ तक कहा कि उन्होंने चिठ्ठी लिखने का इतना साहस कैसे जुटा लिया. रामगोपाल पर गुस्सा उतारने  के बाद शनिवार की शाम ही मुलायम विमान से लखनऊ रवाना हो गए. मुलायम और रामगोपाल के  इस एनकाउंटर  के बाद  सपा में दो फाड़ और साफ़ हो गया है. अब एकतरफ रामगोपाल और अखिलेश यादव हैं तो दूसरी तरफ शिवपाल और मुलायम. दरअसल रामगोपाल ने ये चिठ्ठी खुद ही मीडिया को लीक कर दी थी जिसे लेकर मुलायम और बिफर पड़े.

रामगोपाल ने इस चिठ्ठी में अपने भाई से गुजारिश की थी कि वो अखलेश यादव के ही नेतृत्व में 2017 का चुनाव लड़े. प्रोफेसर रामगोपाल ने मुलायम को ये भी प्रवचन दिया कि  पार्टी में अखिलेश के अलावा मुख्यमंत्री के काबिल अब कोई दूसरा नही बचा है. प्रोफेसर की इस चिठ्ठी ने  नसीहत कम नफरत बढ़ाने का काम ज्यादा किया है.

सूत्रों के मुताबिक पिता मुलायम और बेटे अखिलेश के बीच खींची तलवारों को वापस मयान में डालने के लिए कई प्रभावी लोग मध्यस्ता में जुटे हैं. दो राष्ट्रीय हिंदी चैनल के मालिकों के अलावा हिंदी पत्रकार वेद प्रताप वैदिक और पार्टी सांसद नरेश अग्रवाल  भी सुलह कराने में जुटे हैं. लेकिन कुछ बातों को लेकर पिता और पुत्र में सहमति नही बन पा रही है.

दरअसल अखिलेश चाहतें हैं कि उम्मीदवारों के टिकट से लेकर चुनाव के हर बड़े फैसले वे खुद ले. यहीं नही अखिलेश प्रदेश पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी से हटाए जाने को लेकर अबतक बिफरे हुए हैं. उधर मुलायम सिंह चाहते हैं कि दीपक सिंघल को दुबारा मुख्य सचिव बनाया जाए और अधिकतर ट्रांसफर पोस्टिंग के फैसले सपा सुप्रीमो के हाथों लिए जाए.अखिलेश ने जिस तरह अपने पिता के वफादार अफसरों और नेताओं को एक एक कर छांट दिया है उससे मुलायम काफी समय से खासे नाराज़ हैं.

दूसरी और मुलायम के अंध भक्त शिवपाल की कोशिश है कि चुनाव से पहले अखिलेश सपा के दो फाड़ ना करें. शिवपाल जानते  है कि अखिलेश न सिर्फ पार्टी के सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं बल्कि सत्ता में रहकर वो अगर नई पार्टी बनाते  हैं तो पलड़ा अखिलेश का भारी रहेगा. बहरहाल सपा अपनी सिल्वर जुबली मना पाती है या उससे पहले  ही पार्टी टूट जाती  है इस त्रासद और भावुक परिस्थितियों से बचने के लिए सपा के पुराने नेता मुलायम और अखिलेश में समझौते के अंतिम प्रयास कर रहे हैं.

 

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