राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग, विपक्ष के लिए आखिर क्या है संदेश?

नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव में संख्याबल शुरू से ही बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए के पक्ष में था, लेकिन विपक्ष ने इस चुनाव का उपयोग 2019 के आम चुनाव से पहले अपनी एकता की जोर-आजमाइश के लिए करने का ऐलान किया। सोनिया गांधी के नेतृत्व में बड़ी रणनीति बनी, लेकिन चुनाव से पहले ही यह कोशिश पटरी से उस समय उतर गई जब वाईएसआर कांग्रेस, टीआरएस, बीजेडी, एआईडीएमके जैसे दलों ने रामनाथ कोविंद के साथ जाने का ऐलान कर दिया। रही सही कसर नीतीश की पार्टी जेडीयू ने पूरी कर दी, जिसने विपक्षी एकता से अलग होकर कोविंद के पक्ष में जाने की घोषणा की।

इसके बावजूद गुरुवार को सबसे अधिक उत्सुकता थी कि क्या जिन दलों ने मीरा कुमार को सपॉर्ट देने का ऐलान किया था, उनके सांसद और एमएलए एकजुट रहे या नहीं। देर शाम नतीजे आए तो विपक्ष को बड़ा झटका लगा। कोई ऐसा राज्य नहीं, जहां उनके विधायकों ने पार्टी लाइन तोड़ वोट एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में न किया हो। क्रॉस वोटिंग का शिकार सबसे अधिक कांग्रेस हुई। अधिकतर विधायक इनके दल से ही टूटे हैं। ऐसे में 2019 के आम चुनाव से पहले एकजुट होने की कोशिश कर रहे विपक्ष को इस नतीजे ने साफ संदेश दिया कि पहले वह अपना घर दुरुस्त और एकजुट कर ले, फिर आगे की लड़ाई के बारे में सोचे।

गुजरात में बड़ा झटका
सबसे अधिक नजर गुजरात पर थी, जहां कांग्रेस शंकर सिंह वाघेला की बगावत को झेल रही है। वहां साल के अंत में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। वहां के 9 कांग्रेस विधायकों ने कोविंद के पक्ष में वोट दिए। यह विधानसभा चुनाव के साथ 8 अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव में भी चिंता की बात है क्योंकि अगर इतने ही विधायकों ने क्रॉस वोटिंग उस दिन भी की तो कांग्रेस को अपने उम्मीदवार और सीनियर नेता अहमद पटेल को जितवाने में कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ सकता है।

आप का कुनबा बचा
नजर इस बार दिल्ली पर भी थी, जहां नगर निगम चुनाव और विधानसभा उपचुनाव में मिली हार और कपिल मिश्रा के साथ हुए विवाद के बाद आशंका थी कि आम आदमी पार्टी के कई एमएलए क्रॉस वोटिंग करेंगे, लेकिन पार्टी के अधिकतर विधायकों ने नेतृत्व की पसंद के अनुरूप ही मीरा कुमार को वोट डाला। दिल्ली में कोविंद को 6 जबकि मीरा कुमार को 55 वोट मिले। हालांकि बीजेपी के चार ही विधायक हैं पर दो एमएलए जरूर टूटे। 6 वोट रद्द किए गए।

महाराष्ट्र में भी बड़ा झटका
विपक्षी एकता को महाराष्ट्र में बड़ा झटका लगा। वहां कोविंद के पक्ष में उम्मीद से कहीं अधिक वोट पड़े। वहां कोविंद को 208, जबकि मीरा कुमार को 77 वोट मिले। महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना के 185 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस-एनसीपी के 83 विधायक हैं। हालांकि विपक्षी दलों ने बातचीत में कहा कि यह परिणाम संतोषप्रद है। इनका तर्क है कि अमित शाह की अगुआई में बीजेपी ने पूरी ताकत लगा दी थी कि वह 2012 में प्रणव मुखर्जी से अधिक वोट लाएं लेकिन ऐसा नहीं कर सके। इनका तर्क है कि इस चुनाव से उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।

कांग्रेस की परेशानी का सबब

  • गुजरात में कांग्रेस के 57 और एनसीपी के 2 विधायक हैं, लेकिन मीरा कुमार को मात्र 49 वोट मिले। यहां 10 क्रॉस वोट पड़े।
  • यूपी में एनडीए के 325 एमएलए हैं, लेकिन रामनाथ कोविंद को 10 अधिक वोट मिले।
  • शिवपाल गुट वाले एसपी विधायकों के वोट बंटने की चर्चा है।
  • मध्य प्रदेश में भी बीजेपी को अपनी संख्या से 6 अधिक वोट मिले।
  • हरियाणा में भी एक कांग्रेस एमएलए ने क्रॉस वोटिंग की।
  • पश्चिम बंगाल में कोविंद को 5 अधिक वोट मिले।
  • गोवा में कांग्रेस के पांच विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की।
  • असम, त्रिपुरा में भी विपक्ष के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर रामनाथ कोविंद को वोट डाला।
  • 21 सांसदों और 56 विधायकों के वोट रद्द हुए। इस बार सबसे अधिक वोट रद्द हुए।
 

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