राष्ट्रीय मुद्दे सुलझाने के महारथी बनते जा रहे हैं राजनाथ सिंह, पहलीबार विदेशी अखबारों ने भी की गृहमंत्री की सराहना

नई दिल्ली। घाटी जाने से पहले आठ सितंबर को राजनाथ सिंह ट्वीट करते हैं- “मैं खुले मन से जम्मू-कश्मीर जा रहा हूं। हर किसी से मिलने के लिए तैयार हूं, जो कोई कश्मीर समस्या सुलझाने में मदद करने को तैयार हो।” यह ट्वीट घाटी की आम अवाम के लिए संकेत था कि केंद्र कश्मीर समस्या को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है। घाटी में बिताए चार दिनों के दौरान राजनाथ सिंह की जो देहभाषा थी, वह काफी सकारात्मक रही। चाहे प्रेस कांफ्रेंस हो या फिर तमाम प्रतिनिधिमंडलों  से मुलाकात। या फिर सरकारी बैठकें। हर जगह राजनाथ काफी आत्मविश्वास में दिखे। घाटी की समस्या के स्थाई समाधान के लिए राजनाथ सिंह ने 5 सी फार्मूला सुझाया। बोले- सहानुभूति, संवाद, सहअस्तित्व, विश्वास बहाली और स्थिरता.. से ही समस्या सुलझ सकती है। कश्मीर की आम-आवाम की मन से तमाम आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की। संदेश दिया कि कश्मीरियत, इंसानियत वाली बाजपेयी की  नीति ही केंद्र सरकार अपनाएगी। किसी तरह की जुल्मोज्यादिती नागरिकों पर हरगिज नहीं होगी।

कश्मीर से दिल का नाता जोड़ने की बात कहकर निकले राजनाथ कितने सफल रहे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि धुरविरोधी उमर अब्दुल्ला भी उनके प्रयास की तारीफ करने उतर पड़े। पहली बार विदेशी अखबारों ने भी केंद्र और खासकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह की इस पहल की सराहना की। जानकार भी मान रहे हैं कि जिस ढंग से राजनाथ बैटिंग कर रहे हैं, उससे अब समस्या सुलझती दिख  रही है।

भाजपा के एक बड़े नेता कहते हैं कि- राजनाथ को अगर छूट मिले तो वह कश्मीर समस्या को बहुत जल्द सुलझाने में कामयाब रहें। राजनाथ की सहजता ही उनकी सफलता में सबसे बड़ा कारक है। वे बाकी नेताओं की तरह ईगोइस्ट नहीं हैं। जरूरत पड़ने पर कठोर भी होते हैं और मामले की नजाकत भांपकर लचीलापन भी लाते हैं। एक नेता की हर खूबी राजनाथ में हैं। संवेदनशील मुद्दों पर जिस ढंग से बहुत नाप-तौलकर राजनाथ बोलते हैं, उससे पता चलता है कि कितने सुलझे हुए नेता हैं।

एक वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि राजनाथ भांप गए कि बहुत सख्त नीति से कश्मीर समस्या नहीं सुलझाई जा सकती। यही वजह है कि इस दौरे पर उन्होंने कश्मीरियों के मन से तमाम आशंकाएं दूर करने की कोशिश की। उन्हें आश्वस्त किया कि धारा 35 ए आदि चीजों से कोई छेड़छाड़ सरकार नहीं करने वाली। चार दिन के दौरे के दौरान राजनाथ सिंह ने आम कश्मीरियों तक संदेश दिया कि दिल्ली कश्मीर और कश्मीरियत दोनों के साथ है।

कश्मीर नीति में बदलाव के संकेत

राजनाथ सिंह का चार दिनी दौरा कई मायनों में खास रहा। कश्मीर पर मोदी सरकार के रुख में नरमी आने के संकेत दिख रहे हैं। कश्मीर नीति में बदलाव की आहट साफ सुनाई देने लगी है। हालांकि राजनाथ के दौरे से पहले ही मोदी ने लाल किले की प्राचीर से इस नरमी का इजहार कर दिया था। जब मोदी ने कहा था-‘कश्मीर समस्या न तो गाली से सुलझने वाली है, न गोली से। यह समस्या हर कश्मीरी को गले लगाकर सुलझने वाली है। सवा सौ करोड़ का यह देश इसी परंपरा में पला-बढ़ा है।’

राजनाथ ने समझी मौके की नजाकत

देश में हवा का रुख भांप लेने वाले चंद नेताओं में राजनाथ सिंह माने जाते हैं। गृहमंत्री बनने के बाद से ही राजनाथ को समझ में आ गया था कि आक्रामक नहीं बल्कि अटल बिहारी बाजपेयी की नीति से ही कश्मीर समस्या हल हो सकती है। यही वजह है कि कश्मीर में जहां धारा 370, 35 ए आदि विषयों पर भाजपा के तमाम नेता आक्रामक बयानबाजी कर रहे थे, वहीं राजनाथ इस लाइन से काफी दूर रहे। चाहे चैनलों का संवाद कार्यक्रम हो घाटी में प्रेस कांफ्रेंस। हर जगह राजनाथ सिंह का रुख नरम रहा। हर बार उनकी बातों में कश्मीरियों से पूरी तरह सहानुभूति ही झलकी। वो भी तब जब अशांत घाटी में पत्थरबाजी से सरकार का इकबाल सवालों के घेरे में रहा। जब महबूबा मुफ्ती ने भी दिल्ली पहुंचकर साफ कह दिया कि गोली से हल नहीं निकलने वाला तो फिर राजनाथ सिंह  ने नरम रुख से कश्मीर मोर्चा फतह कहने की कोशिश की।

100 डेलीगेशन से मुलाकात

मई में जब राजनाथ सिंह कश्मीर गए थे, तब भी उन्होंने खुद से मिलने के लिए हर घाटीवासी के लिए दरवाजा खोल दिया था। इस बार भी जब आठ सितंबर से चार दिन के दौरे पर राजनाथ घाटी पहुंचे तो उन्होंने करीब सौ प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की। अपनी सिक्योरिटी में भी ढील दी। उनसे घाटी की समस्याओं और समाधान पर बातचीत की। सेक्शन ऑफ सोसाइटीज को मुतमईन कर दिया कि केंद्र कश्मीरियों के हितों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाएगा। अफवाहों पर ध्यान दें। राजनाथ सिंह ने यह कहकर कश्मीरी समस्या के समाधान की प्रतिबद्धता जताई कि वह जरूरत पड़ने पर 50 बार कश्मीर आने को तैयार हैं।

दबे भी नहीं राजनाथ

दौरे के दौरान ऐसा भी नहीं था कि राजनाथ सिंह किसी दबाव में रहे हों। उन्होंने साफ कर दिया कि कश्मीरियत की भावना का ख्याल नागरिकों के लिए रखा जाएगा। बाकि अलगाववादी नेताओं पर दबिश जारी रहेगी, लेकिन उन्हें कानूनी रूप से पकड़ा जाएगा। एनआईए और ईडी उन नेताओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार सभी एजेंसियों को इनके खिलाफ जांच को तीन महीने में पूरी कर चार्जशीट दाखिल करने को कहा है। आतंकियों के खिलाफ मिलिटरी ऑपरेशन भी जारी रहेगा। इस साल अब तक 150 से अधिक आतंकी मारे जा चुके हैं जो पिछले 10 सालों में सबसे अधिक है, जबकि अभी साल बीतने में 3 महीने बाकी हैं। सरकार ने साफ निर्देश दिया है कि घाटी में कोई पुराना आतंकी संगठन न रह पाए और जैसे ही खुफिया सूत्रों से नए संगठन के सक्रिय होने की सूचना मिले, उसे उखाड़ फेंका जाए।

नाजुक समय में हुआ गृहमंत्री का दौरा

गृह मंत्री राजनाथ सिंह का चार दिनी दौरा बहुत नाजुक समय में हुआ।  जब श्रीनगर में एनआईए की छापेमारी के खिलाफ अलगाववादी नेता बंद, विरोध-प्रदर्शन का आव्हान किए हुए है। इस सिलसिले में जेकेएलएफ के प्रमुख यासीन मलिक को शुक्रवार आधी रात में गिरफ्तार किया गया। कई अन्य वरिष्ठ अलगाववादियों को भी नजरबंद किया है।

श्रीनगर के पुराने इलाके और शहर-ए-खास क्षेत्र में सुरक्षा कारणों से लगायी गयीं कर्फ्यू जैसी पांबदिया आज दूसरे दिन भी जारी हैं। पुलिस के बताया कि किसी तरह के प्रदर्शन को रोकने के लिए मौसुमा और सिविल लाइंस से लगे क्षेत्रों में भी आज कर्फ्यू जैसी पाबंदियां लगा दी गयी। हालांकि आज किसी संगठन ने हड़ताल अथवा प्रदर्शन करने की घोषणा नहीं की है। लेकिन गृहमंत्री की यात्रा के विरोध में हुर्रियत कांफ्रेंस के दोनों धड़ों और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट ने रविवार को आम हड़ताल की घोषणा की है।

 

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