राहुल के गढ़ में भिड़ गए भाजपा के राजा और ‘ई’रानी, CM योगी परेशान

लखनऊ। जैसे-जैसे ठंड नजदीक आ रहीराहुल गांधी के गढ़ अमेठी में सियासत गरम हो रही। रोचक बात यह है कि इस बार भाजपाई ही आपस में भिड़ गए हैं। यहां के रजवाड़े से नाता रखने वाले विधायक  मयंकेश्वर सिंह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के बीच तगड़ा शीतयुद्ध चल रहा है। राजनीतिक वर्चस्व की जंग में कमजोर पड़ रहे राजा ने ईरानी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भाजपा के अंदरखाने चल रही लड़ाई पर यहां के कांग्रेसी और सपाई  खूब मजे ले रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री के हस्तक्षेप से परेशान राजा ने पार्टी में में उपेक्षा से परेशान होकर  विधायकी छोड़ देने की बात कही। इस बीच सीएम योगी से मुलाकात के बाद कुछ हद तक मामला थमा। मगर राजा मयंकेश्वर के तेवर तल्ख हैं, रुख बागी हो चला है। उन्होंने  रैली के जरिए इलाके में अपने शक्ति प्रदर्शन की तैयारी शुरू कर दी है। इस लड़ाई से भाजपा नेतृत्व खासा परेशान है। चूंकि मामला स्मृति ईरानी से जुड़ा है तो भाजपा के नेता समझ नहीं पा रहे हैं कि पूरे प्रकरण को कैसे हैंडल करें।

तिलोई क्षेत्र से राजा मयंकेश्वर सिंह विधायक हैं। वह चौथी बार विधायक बने हैं। सोच रहे थे योगी सरकार में मंत्री बन जाएंगे। मगर उनकी जगह भाजपा नेतृत्व ने  जगदीशपुर सीट से पहली बार विधायक बने  सुरेश पासी को मंत्री बना दिया। यह बात मयंकेश्वर सिंह को नागवार गुजरी है। मंत्री होने के नाते अफसर सुरेश पासी को भाव दे रहे हैं।  मयंकेश्वर सिंह खुद को उपेक्षित मान रहे हैं। कह रहे हैं कि -डीएम हों या एसपी। कोई उनकी आजकल सुन नहीं रहा। सब राज्यमंत्री के दबाव में काम कर रहे हैं। जिससे जनता में उनकी खिल्ली उड़ रही है। मयंकेश्वर कहते हैं कि-‘ऐसी विधायकी से क्या लाभ कि वह जनता का कोई काम-धाम न करा सकें, वह 1.25 लाख रुपये सेलरी लेने के लिए विधायक नहीं बने हैं।’  

इलाकाई सियासत के जानकार बताते हैं कि सुरेश पासी कभी राजा मयंकेश्वर के ही वफादार रहे। किसी समय में मयंकेश्वर की वजह से ही सुरेश की पत्नी ब्लॉक प्रमुख रहीं। मगर पहली बार विधायक बनने के बाद जैसे ही सुरेश पासी मंत्री बने तो अपने आका को ही भूल गए। यह राजा मयंकेश्वर को नागवार गजरने लगा। हद तो तब हो गई जब सुरेश पासी की सिफारिशों के आगे अमेठी के आला अफसर राजा की सिफारिशों को किनारे करने लगे।

सुरेश पासी की ताकत के पीछे केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का हाथ बताया जा रहा। पार्टी सूत्र बता रहे हैं कि टिकट भी स्मृति ईरानी की सिफारिश पर सुरेश पासी को मिला और मंत्री पद भी। जबकि अमेठी से ही चार बार विधायक होते रहे राजा मयंकेश्वर ताकते रह गए। एक वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि- ‘स्मृति ईरानी जब अमेठी दौरे पर आतीं हैं तो राजा मयंकेश्वर का कहीं अता-पता नहीं रहता, मगर सुरेश पासी छाये की तरह सेवा में मौजूद रहते हैं। इस सेवा का मेवा तो मिलना लाजिमी है। स्मृति ईरानी खुलकर सुरेश पासी को प्रमोट कर रहीं हैं।’ मंचों से कहतीं हैं कि-देखिए, सुरेश पासी जैसे सामान्य इंसान आज कहां से कहां तक पहुंच गए।

यह कहने के पीछे ईरानी का मकसद रहता है कि-जनता तक संदेश जाए कि उनकी कृपा से कौन कहां तक पहुंच सकता है। केंद्रीय मंत्री के साथ खड़े होने से सुरेश पासी की अमेठी से लेकर लखनऊ तक हनक है। ऐसे में वर्चस्व की जंग में कमजोर पड़ना राजा मयंकेश्वर को चुभ रहा। जब राजा मयंकेश्वर से सवाल होता है क्या-आपकी उपेक्षा के पीछे स्मृति ईरानी का हाथ है, इस पर राजा सीधे तौर पर नाम नहीं लेते, मगर कहते हैं कि-उन्हें भी तो फिर से 2019 का चुनाव लड़ना है। मयंकेश्वर की बात से पता चलता है कि वह ईरानी को संदेश दे रहे हैं कि-अगर उनके साथ गलत हुआ तो वह भी 2019 में गलत करेंगे।

पिछला चुनाव भले ही अमेठी में ईरानी हार गईं। मगर नेतृत्व ने उन्हें  अमेठी के मोर्चे पर लगा रखा है। समय-समय पर ईरानी का दौरा इसका सुबूत है। ईरानी समझतीं हैं कि राहुल गांधी के वर्चस्व वाली अमेठी में पैठ बनाने के लिए दलित वोटों का एकमुश्त जुगाड़ जरूरी है। सवा लाख दलित वोटर हैं। इसमें पासी जाति की तादाद भी अच्छी-खासी है। इस नाते स्मृति ईरानी सुरेश पासी को आगे बढ़ाकर अपने राजनीति मकसद को साधने में जुटीं हैं।

यही वजह है कि उन्होंने तिलोई निवासी सुरेश पासी को पहले जगदीशपुर से टिकट कराया फिर और सशक्त करने के लिए मंत्री पद भी दिलाया। मंत्री बनने के बाद प्रशासनिक मशीनरी पर सुरेश पासी के हावी होने से राजा मयंकेश्वर का दबदबा लगातार कम हो रहा है। एक स्थानीय पत्रकार कहते हैं कि-‘ अब राजा के दरबार में भीड़ भी कम होती है। जनता में संदेश चला गया है कि सुरेश पासी ज्यादा ताकतवर हैं, लोग शिकायतें लेकर वहीं पहुंच रहे हैं। लिहाजा राजा का परेशान होना लाजिमी है।’

 

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