राहुल गांधी ने 5 महीने में 4 बार बदली राफेल विमान की कीमत

नई दिल्ली। यूपीए कार्यकाल में एक राफेल विमान की असल में कीमत कितनी थी? जवाब अस्पष्ट है क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुद ही इस बारे में पूरी तरह आश्वस्त नजर नहीं आते. बीते 5 महीने में राहुल गांधी विभिन्न मौकों पर यूपीए कार्यकाल में राफेल की चार अलग-अलग कीमतों का हवाला दे चुके हैं.

ऐसी सूरत में जब कांग्रेस राफेल विमान डील को सबसे बड़ा घोटाला बताते हुए मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है. राहुल गांधी की ओर से यूपीए कार्यकाल में राफेल की अलग-अलग कीमतों का हवाला देना, पार्टी के लिए परेशानी का कारण बन सकता है. इसे लेकर सोशल मीडिया पर कांग्रेस अध्यक्ष को निशाना भी बनाया जा रहा है.

राहुल गांधी के अप्रैल, 2018 से दिए गए भाषणों को खंगाला. सबसे पहले 29 अप्रैल को नई दिल्ली में जनाक्रोश रैली में राहुल गांधी ने राफेल विमान की यूपीए कार्यकाल के दौरान रही कीमत की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में कीमत से तुलना की. राहुल दिखाना चाहते थे कि किस तरह खरीदे जाने वाले राफेल की कीमत मोदी सरकार के कार्यकाल में बेतहाशा बढ़ा दी गई.

इस रैली में राहुल ने कहा, ‘जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब एक राफेल विमान 700 करोड़ रुपए का पड़ता. लेकिन नरेंद्र मोदी फ्रांस गए और प्रत्येक विमान की कीमत बढ़कर 1500 करोड़ हो गई. सीधे दुगनी…’

अगले दो महीने तक राहुल गांधी इसी कीमत का उल्लेख करते रहे. 3 मई को कर्नाटक के बीदर में राहुल गांधी ने चुनावी सभा में इसी कीमत का हवाला दिया.

(29 अप्रैल को दिल्ली के रामलीला मैदान में जनाक्रोश रैली के दौरान राहुल गांधी का भाषण. वीडियो में 44.25 से 45.23 के बीच राहुल ने जिक्र किया कि मनमोहन सिंह सरकार ने राफेल के लिए 700 करोड़ में करार किया जबकि मोदी सरकार ने एक राफेल के लिए 1,500 करोड़ में समझौता किया, सीधे-सीधे डबल)

(3 मई, 2018 को कर्नाटक के बीदर में भाषण के दौरान वीडियो में 35.25 से 36.50 के बीच राहुल गांधी अपने पिछले भाषण पर बने रहे. )

20 जुलाई को लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल ने अपने चर्चित भाषण में राफेल डील को लेकर पीएम मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर तीखे प्रहार किए. इस भाषण में राहुल ने यूपीए कार्यकाल के दौरान राफेल की कीमत 520 करोड़ रुपए बताई.

साथ ही कहा कि मोदी के फ्रांस दौरे के बाद विमान की कीमत 1600 करोड़ तक बढ़ गई. जहां राहुल ने यूपीए कार्यकाल में राफेल की कीमत पहले खुद ही बताई 700 करोड़ से घटाकर 520 करोड़ कर दी वहीं मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में विमान की कीमत 100 करोड़ और बढ़ाकर बताई.

(20 जुलाई को संसद में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राहुल ने अपने भाषण के दौरान कीमतों में अंतर कर दिया. मनमोहन सिंह सरकार के दौर में 520 करोड़ की डील हुई जबकि मोदी सरकार के काल में 1,600 करोड़ की डील की बात कही. वीडियो में 11.20 से 11.58 के बीच इसका जिक्र)

संसद में भाषण के तीन हफ्ते बाद राहुल ने छत्तीसगढ़ के रायपुर में जनसभा को संबोधित करते राफेल विमान की कीमतें बताने में फिर बदलाव किया. यहां उन्होंने यूपीए कार्यकाल में राफेल की कीमत 520 करोड़ से 20 करोड़ बढ़ाकर यानी 540 करोड़ बताई.

(10 अगस्त को रायपुर में राहुल गांधी की जुबान फिसली, 540 करोड़ और 1,600 करोड़ की डील का जिक्र किया. वीडियो में 00.20 से 01.33 के बीच जिक्र)

एक दिन बाद ही 11 अगस्त को जयपुर में कांग्रेस अध्यक्ष ने एक ही भाषण में राफेल की यूपीए कार्यकाल की दो अलग-अलग कीमत बताई. दो मिनट के अंतराल में ही राहुल ने एक बार 520 करोड़ और दूसरी बार 540 करोड़ रुपए कीमत का हवाला दिया.

11 अगस्त को राहुल गांधी के भाषण में 36.22 से 37.00 के समय डील की कीमत 520 करोड़ बताई तो इसी भाषण के दौरान 39.10 से 39.35 के बीच इस करार को 540 करोड़ बता दिया.

आप ये सोचना शुरू कर दें कि राफेल की यूपीए कार्यकाल में कीमत 520 करोड़ थी या 540 करोड़ तो ठहरिए. कहानी में अभी और ट्विस्ट है. राहुल ने कर्नाटक के बीदर में सोमवार को रैली को संबोधित किया तो उन्होंने यूपीए कार्यकाल में राफेल की कीमत 526 करोड़ रुपए बताई.

(13 अगस्तर को हैदराबाद में भाषण के दौरान मनमोहन सिंह सरकार के समय डील की रकम 526 करोड़ बताई)

 

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