रियल और वर्चुअल दुनिया में मोदी की जबरदस्त लोकप्रियता का क्या है राज?

अखिलेश मिश्र 

प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति का अपना कार्यकाल खत्म होने के मौके पर 23 जुलाई 2017 को आयोजित विदाई समारोह में कहा था, ‘वह पूरे जोश और ऊर्जा के साथ देश में अहम बदलाव के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं. मैं राष्ट्रपति के तौर पर उनके साथ बिताए गए वक्त व उनके गर्मजोशी भरे और मिलनसार व्यवहार की यादों को संजोकर रखूंगा.’

उस वक्त राष्ट्रपति पद पर मौजूद प्रणब मुखर्जी दरअसल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफों में इस तरह की बातें कर रहे थे. मोदी को देश के सबसे ऊंचे ऑफिस से तारीफ और वाहवाही मिल रही थी. यह तारीफ एक ऐसा शख्स कर रहा था, जिसने राष्ट्रपित पद संभालने से पहले अपना पूरा राजनीतिक जीवन उस पार्टी में बिताया था, जो हमेशा से मोदी के खिलाफ थी और अब भी है.

मोदी अपने साथ संवाद करने वाले हर शख्स के साथ निजी और आत्मीय रिश्ता बना लेते हैं. उनकी यह क्षमता शायद उनकी सबसे अहम खूबियों में से एक है. लोग उन्हें सुनते हैं, उनके साथ संवाद करते हैं, उनसे प्रेरित होते हैं और जोरदार तरीके से तमाम लोगों के बीच उनके संदेशों को साझा करते हैं. यहां तक कि कई लोग तो मोदी की तरह ही बनना चाहते हैं. साथ ही, कई अन्य उनसे सीखना चाहते हैं. यह बात न सिर्फ भारतीय संदर्भ में सच है, बल्कि ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर भी इसकी पुष्टि हुई है. इसका नमूना ‘द वर्ल्ड लीडर्स ऑन फेसबुक (फेसबुक पर दुनिया के नेता)’ नामक स्टडी में भी देखने को मिला है. यह स्टडी बर्सन कोहन एंड वोल्फे ने की है और इसे 2 मई 2018 को ट्विटर और सोशल मीडिया से जुड़ी अन्य साइट्स पर जारी किया गया.

फेसबुक पर लोकप्रियता में मोदी से काफी पीछे हैं ट्रंप

इस स्टडी में पाया गया है कि मोदी लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता हैं और उनके पर्सनल पेज पर 4.3 करोड़ लाइक आते हैं. यह आंकड़ा इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दूसरे सबसे लोकप्रिय नेता और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड को मिले लाइक के मुकाबले दोगुना है. मोदी ने फेसबुक पर भुवनेश्वर में मौजूद 11वीं सदी के लिंगराज मंदिर में पूजा-अर्चना करते हुए जो फोटो साझा की थी, वह 2017 में फेसबुक पर विश्व के किसी नेता द्वारा शेयर की गई सबसे पॉपुलर तस्वीर रही. इसके आदान-प्रदान का आंकड़ा 12 लाख रहा. दरअसल, 2017 में फेसबुक पर 5 सबसे ज्यादा लाइक की गई तस्वीरें मोदी की तरफ से ही पोस्ट की गई थीं. इनमें वह तस्वीर भी थी, जिसमें मोदी को नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रट से साइकिल प्राप्त करते हुए दिखाया गया है.

साल 2017 में फेसबुक पर संवाद के मामले में भी डोनाल्ड के ठीक पीछे मोदी दूसरे नंबर पर हैं और उनका इस बाबत आंकड़ा 11.36 करोड़ रहा. इस बात में कोई शक नहीं है कि ट्रंप फेसबुक पर मोदी के मुकाबले डबल पोस्ट डालते हैं. इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के साथ समुद्री तट पर बातचीत वाला मोदी का 44 सेकेंड का वीडियो 2017 में फेसबुक पर सबसे ज्यादा देखे जाने वाले वीडियो के मामले में तीसरे नंबर पर है. फेसबुक पर दुनिया के बाकी नेताओं द्वारा लाइक किए जाने वाले विश्व के नेताओं के मामले में टॉप 10 सूची में जगह बनाने वाले मोदी एकमात्र नेता हैं. वाइट हाउस पेज की तरह इस सूची में बाकी संस्थागत पेजों को ही जगह मिल पाई है.

अचानक से पैदा नहीं हुआ है मोदी से यह अटूट जुड़ाव

ऐसे में सवाल यह है कि वास्तविक जीवन और सोशल मीडिया दोनों स्तर पर आम लोगों से मोदी के इस जुड़ाव की क्या वजह है? इसका सीधा जवाब उनकी विश्वसनीयता है, जो उन्होंने पिछले कई दशकों में बनाई है. मोदी कुछ भी आधे-अधूरे मन से नहीं करते हैं और सिर्फ इसलिए कोई काम नहीं करते कि दूसरा ऐसा काम कर रहा है. इसके अलावा, वह इस कारण से भी कोई काम नहीं करते कि यह आसान काम है. मोदी के हर काम और प्रोजेक्ट में उनका दृढ़ विश्वास होता है.

सोशल मीडिया की ताकत और सार्वजनिक विमर्श को लोकतांत्रिक स्वरूप देने में इस माध्यम की क्षमता को पहचाने वाले वह पहले भारतीय नेता थे. अप्रसांगिक होने के डर से देश के बाकी नेताओं द्वारा सोशल मीडिया जॉइन करने के लिए मजबूर होने से काफी पहले मोदी ट्विटर और फेसबुक से जुड़े हुए थे. दरअसल, वह जनता और राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के बीच सीधा संवाद करने में यकीन करते थे. राष्ट्रीय नुमाइंदा और आवाज का दावेदार बनने से कई साल पहले मोदी ने ही सबसे पहले हर भारतीय को एक समान आवाज मुहैया कराने में तकनीक की ताकत की अहम भूमिका को पहचाना था.

साल 2014 में प्रधानमंत्री के बाद उनकी सबसे शुरुआती और अहम पहल MyGov थी, जो जनता की भागीदारी वाले गर्वनेंस से जुड़ा अपनी तरह का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है. मोदी ने संचार और संवाद के नए उभरते माध्यमों को जल्द से जल्द अपनाने में देश के बाकी राजनेताओं को पूरी तरह से पछाड़ दिया. उन्होंने इन राजनेताओं को यह सबक भी दिया कि किस तरह से पुराने मीडिया का भी बेहतर से बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है. इस सिलसिले में ऑल इंडिया रेडियो का उदाहरण दिया जा सकता है.

PM Modi Mann Ki Baat

अक्टूबर 2014 में उन्होंने रेडियो पर लोगों से हर महीने बातचीत करने का कार्यक्रम शुरू किया, जो लोगों के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के तौर पर उभरकर सामने आया. साल 2015 के मध्य में जब अन्य नेता सोशल मीडिया पर जगह बनाने के लिए अभी जद्दोजहद ही कर रहे थे, उसी दौरान मोदी ने नरेंद्र मोदी मोबाइल ऐप लॉन्च किया. यह ऐप अब दुनिया के तमाम नेताओं के संदर्भ में सबसे ज्यादा डाउनलोड किया जाने वाला ऐप है. इस ऐप की ताकत को इस तरीके से समझा जा सकता है कि वह अपनी पार्टी के देशभर के कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद के लिए इस ऐप का इस्तेमाल करते हैं.

लोगों के प्रभावित होने की वजह सिर्फ भाषण और बातें नहीं

इस पूरे घटनाक्रम को सतही नजरिये से देखने पर सीधे तौर पर कोई यह अनुमान लगा सकता है कि मोदी सिर्फ अपने भाषण या संवाद की कला के कारण लोकप्रिय हैं. हालांकि, उनके कई आलोचक इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं कि इस संवाद का अहम तत्व उनकी बातों और भाषणों का भरोसेमंद होना है. यह भरोसा उनके द्वारा दशकों से लोगों के बीच बनाई गई विश्वसनीयता के कारण पैदा हुआ है.

अगर मोदी कहते हैं कि वह भ्रष्टचार को लेकर कभी भी समझौता नहीं करेंगे, तो लोग उन पर विश्वास करते हैं. इसकी वजह तीन दशकों से भी ज्यादा के उनके राजनीतिक जीवन में उनकी बातों और काम के बीच समानता का होना है. मोदी अगर कुछ कहते हैं, तो इसका मतलब यह है कि वह इसे कर दिखाने की हर मुमकिन कोशिश करेंगे. अगर मोदी यह कहते हैं कि उनकी तमाम कोशिशों का मकसद आम आदमी की जिंदगी की सहूलियतों को बढ़ाना है, तो लोग इस राजनेता की तरफ से किए गए कामों के कारण उनकी बात पर यकीन करते हैं.

फॉलोअर्स को लगातार जोड़ना मोदी के एजेंडे में शामिल

पिछले 16 साल से भी ज्यादा से सत्ता में रहने के दौरान उनके द्वारा किए गए कामों के कारण मोदी का लोगों पर भरोसा है. अगर मोदी कहते हैं कि उनका मकसद ‘इंडिया फर्स्ट’ यानी सबसे पहले राष्ट्र है, तो लोग उन पर यकीन करते हैं. दरअसल, कोई भी अन्य राजनेता भ्रष्टाचार को खत्म करने की खातिर नोटबंदी लागू करने का जोखिम नहीं उठा सकता था, खासतौर पर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ऐन पहले की परिस्थिति में तो इस तरह का फैसला लेना और मुश्किल था.

अगर मोदी कहते हैं कि वह बिना ‘बिचौलियों’ के लोगों से सीधा जुड़ने के लिए सोशल मीडिया पर हैं तो लोग उन पर यकीन करते हैं. इसकी वजह यह है कि मोदी जब सोशल मीडिया से जुड़े थे, तो चुनाव प्रभावित करने के प्लेटफॉर्म के तौर पर इसे अहम बताने पर लोग इसको लेकर हंसते थे. अपने फॉलोअर्स को लगातार जोड़ते रहना उनके एजेंडे में प्रमुखता से शामिल है. मोदी में इसी भरोसे के कारण उनकी यह विश्वसनीयता जनता के बीच लोकप्रियता में तब्दील हो जाती है. चाहे वह राजनीतिक रैलियों का मैदान और मंच हो या सोशल मीडिया का वैश्विक मंच, लोकप्रियता के मामले में मोदी सबको काफी पीछे छोड़ देते हैं.

(लेखक ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के CEO हैं)

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Back to top button