रीता के बाद प्रमोद तिवारी भी छोड़ने की तैयारी में हैं कांग्रेस
नई दिल्ली। यूपी कांग्रेस को पहले रीता बहुगुणा जोशी ने झटका दिया और अब खबर है कि दूसरे बड़े ब्राह्मण नेता प्रमोद तिवारी भी पार्टी को झटका दे सकते हैं। तो क्या यूपी में कांग्रेस के ब्राह्मण कार्ड का दांव उल्टा पड़ गया है? यहां पर 9 से 11 फीसदी तक ब्राह्मण वोट हैं। इसलिए पीके यानि प्रशांत किशोर की राय पर शीला दीक्षित के रूप में वहां पर ब्राह्मण चेहरे को सीएम उम्मीदवार बनाया गया, लेकिन उनसे नाराजगी कम नहीं हो रही ।
इस बारे में जब पार्टी नेता और शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि ये बात मुझसे मत पूछिए। सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोसायटी एंड पॉलिटिक्स के निदेशक अनिल कुमार वर्मा कहते हैं कि इस समय यूपी में कांग्रेस का कोई कार्ड नहीं चल रहा है। किसी भी जाति का वोट किसी एक पार्टी के साथ हमेशा नहीं रह सकता।
वर्मा कहते हैं कि अब ब्राह्मणों को ही लीजिए, पहले वो कांग्रेस के साथ थे, फिर भाजपा के खेमे में आ गए। वर्ष 2007 में वह सतीश मिश्र की वजह से बसपा के साथ आ गए। अब उन्हें तय करना है कि इस बार किसके साथ जाएंगे। ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता कि कांग्रेस का ब्राह्मण कार्ड चलेगा ही चलेगा। वैसे भी उसके ब्राह्मण चेहरे छोड़कर जा रहे हैं।
यूपी कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा प्रमोद तिवारी हाशिए पर हैं। सिर्फ शीला दीक्षित और पार्टी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर की चल रही है। प्रमोद तिवारी प्रतापगढ़ के रामपुर खास सीट से 1980 से लगातार नौ बार चुनाव जीतकर अपने नाम रिकॉर्ड दर्ज करा चुके हैं। अब यह विरासत उनकी बेटी संभाल रही हैं। वह इस समय राज्यसभा सांसद हैं। लेकिन उन्हें उतनी तवज्जो नहीं मिल रही है।
बताया जा रहा है कि तिवारी भी पार्टी से नाराज हैं। इसको हवा इस बात से भी मिलती है कि प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय लखनऊ में बुधवार को प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर के कार्यक्रम में तिवारी नहीं पहुंचे। उपेक्षा से नाराज कुशीनगर के खड्डा से विधायक विजय कुमार दुबे भी पार्टी छोड़ चुके हैं। इस बारे में जब यूपी कांग्रेस में संचार विभाग के चेयरमैन सत्यदेव त्रिपाठी से बात की तो नाराजगी भरे अंदाज में बोले, मुझे इस बारे में कोई जवाब नहीं देना है।
सितंबर में बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र गोरखपुर में ब्राह्मण भाईचारा सम्मेलन कर चुके हैं। उन्होंने दावा कि बसपा में ही ब्राह्मणों को उचित स्थान मिला है। हालांकि भाजपा नेता कह रहे हैं कि बसपा में ब्राह्मणों के नाम पर सिर्फ सतीश मिश्रा का परिवार है।
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