रेप मामलों में समझौते की बात गलत, महिला का शरीर मंदिर: सुप्रीम कोर्ट
तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को शादी का झांसा देकर रेप करने वाले मामलों में किसी भी प्रकार की मध्यस्थता और समझौते पर आपत्ति जताई है। एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”महिला का शरीर मंदिर जैसा है। रेप के मामलों में कोई मध्यस्थता या समझौता नहीं हो सकता।” सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला मध्य प्रदेश में निचली अदालत द्वारा रेप के आरोपी को बरी किए जाने के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया।
‘समझौता महिला के सम्मान के खिलाफ’
जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने कहा कि रेप के मामलों में आरोपी और पीड़िता के बीच समझौता कराना महिला के सम्मान के खिलाफ है। इस प्रकार के समझौतों में जो लोग मध्यस्थता करते हैं उनमें संवेदनशीलता की कमी होती है। अदालत ने कहा कि इन मुद्दों पर नरम रुख नहीं अपनाया जा सकता।
मद्रास हाईकोर्ट के जज ने नाबालिग से रेप के दोषी को समझौते के लिए दी थी बेल
हाल में एक चर्चित मामले में मद्रास हाईकोर्ट के जज ने नाबालिग से रेप के दोषी और सात साल की सजा पाए एक व्यक्ति को ‘मध्यस्थता के जरिए समझौता’ करने के लिए उसे जमानत दी थी। जस्टिस डी. देवदास ने कहा था, ”वह पीड़िता के नाम पर 1 लाख रुपए की एफडी भी करवाए। पीड़िता के माता-पिता का निधन हो चुका है और वह रेप के बाद जन्मे बच्चे की मां है।” उस व्यक्त्ि को निचली अदालत ने 2002 में सात साल की कैद और दो लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।
हाल में एक चर्चित मामले में मद्रास हाईकोर्ट के जज ने नाबालिग से रेप के दोषी और सात साल की सजा पाए एक व्यक्ति को ‘मध्यस्थता के जरिए समझौता’ करने के लिए उसे जमानत दी थी। जस्टिस डी. देवदास ने कहा था, ”वह पीड़िता के नाम पर 1 लाख रुपए की एफडी भी करवाए। पीड़िता के माता-पिता का निधन हो चुका है और वह रेप के बाद जन्मे बच्चे की मां है।” उस व्यक्त्ि को निचली अदालत ने 2002 में सात साल की कैद और दो लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।
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