रेलवे की नई पॉलिसी: बिल नहीं तो मुफ्त में खाएं रेलयात्री

नई दिल्ली। इंडियन रेलवे ने ‘नो बिल, फ्री फूड पॉलिसी’ लॉन्च की है यानी खाने का बिल नहीं तो पैसा नहीं. यह नई पॉलिसी इंडियन रेलवे द्वारा इस वजह से लाई गई है क्योंकि रेलवे में कई बार खाना खरीदने पर बिल नहीं दिया जाता है. रेल यात्रियों की यह भी शिकायत है कि उनसे खाने की तय दाम से अधिक कीमत वसूली जाती है. रेलवे के इस फैसले से उम्मीद है अब यात्रियों से ट्रेनों में खाने की अधिक कीमत वसूली नहीं जाएगी. रेलवे ने कहा है कि यात्री अब खाना लेने के बाद इसका बिल मांगें और अगर कोई वेंडर बिल देने से मना करता है तो खाने के पैसे न दें.

इस नई पॉलिसी का नोटिस को उन सभी ट्रेनों में 31 मार्च से लगाया जाएगा जिन ट्रेनों में यात्री यात्रा के दौरान खाना खरीदते हैं. यह नई योजना ठीक से काम कर रही है या नहीं इसके लिए रेलवे इंसपेक्टरों को बहाल करेगी जो इस बात की निगरानी करेंगे कि यात्रियों से तय दाम के मुताबिक पैसे लिए जा रहे हैं या नहीं और इसका सही-सही बिल दिया जा रहा है या नहीं दिया जा रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक रेलवे के अफसरों ने इस पॉलिसी को लाने की मुख्य वजह बताते हुए कहा है कि खाना देने वाले वेंडर यात्रियों को मांगने के बावजूद खाने की बिल नहीं देते हैं. पिछले साल अप्रैल से अक्टूबर के बीच रेलवे को खाने की अधिक कीमत वसूले जाने संबंधी 7000 से अधिक शिकायतें मिली थीं. यह कदम रेलमंत्री पीयूष गोयल के उस निर्देश के बाद उठाया गया है जिसमें उन्होंने रेलवे से ऐसे वेंडरों और खाना देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. रेलमंत्री ने यह भी आदेश दिया है कि अगर कोई वेंडर खाने के बॉक्स के ऊपर कीमत को नहीं लिखता है तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाना चाहिए. पिछले साल रेलवे ने दो कैटररों के कॉन्ट्रेक्ट को अधिक कीमत वसूलने की शिकायत की वजह से रद्द कर दिया था. साथ ही कई कैटरर्स पर भारी जुर्माना भी लगाया गया.

 

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