रोडरेज केस: 30 साल बाद नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

नई दिल्ली। 30 साल पुराने रोडरेज केस में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को आईपीसी की धारा 323 के तहत दोषी माना है. वहीं आईपीसी की धारा 304 के तहत दर्ज केस से उनको बरी कर दिया गया है. धारा 323 के तहत किसी के साथ मारपीट करके जख्मी करने और धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का केस चलता है.

इस केस में निचली अदालत ने सिद्धू को बरी कर दिया था, लेकिन पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसले को पलटते हुए उनको गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया और तीन साल कैद की सजा सुना दी थी. सिद्धू ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. 27 दिसंबर 1988 को पटियाला में गुरनाम सिंह (65) की मुक्का मारने से मौत हो गई थी.

रोडरेज केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गैर इरादतन हत्या मामले से बरी किए जाने पर कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, ‘मैं पंजाब की जनता को धन्यवाद देता हूं. उनकी दुआओं और प्रार्थना की वजह से मैं बरी हो सका हूं. मैंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को मैसेज किया है कि मेरा जीवन अब उनका है.’

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I want to thank the people of Punjab, because of their prayers I have come out ten feet tall. I have sent a message to Rahul Gandhi ji & Priyanka Gandhi ji that my life is yours: Navjot Singh Sidhu, Punjab Minister after being acquitted under Section 304 in road rage case.

मृतक के परिजनों ने पिछली सुनवाई के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा 2012 में एक चैनल को दिए इंटरव्यू को सबूत के तौर पर पेश किया था. इसमें सिद्धू ने स्वीकार किया था कि उनकी पिटाई से ही गुरनाम सिंह की मौत हुई थी. 12 अप्रैल को सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सिद्धू ने झूठ बोला कि वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे.

इस बयान ने बढाई सिद्धू की परेशानी

पंजाब सरकार ने जवाब दाखिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 30 साल पुराने रोडरेज केस में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू को दोषी ठहराए जाने का फैसला सही है. सिद्धू अभी पंजाब सरकार में पर्यटन एवं संस्कृति और स्थानीय निकाय मंत्री हैं. सरकार के कोर्ट में दिए इस बयान ने सिद्धू की परेशानी बढ़ा दी थी.

30 साल पहले गुरनाम की हुई मौत

पंजाब सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सिद्धू द्वारा मुक्का मारने से पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत हुई थी. उन्होंने ये भी कहा कि ट्रायल कोर्ट ने गलत फैसला सुनाया था कि गुरनाम सिंह की मौत हृदयगति रुकने से हुई थी, न कि ब्रेनहैमरेज से. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यही वजह है कि हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला पलट दिया था.

अपनी ही सरकार सिद्धू के खिलाफ

बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट में फैसले मद्देनजर कांग्रेस ने पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू से पहले से ही किनारा करना शुरू कर दिया. पहले खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि हाईकोर्ट से सिद्धू को जो सजा दी गई, वो बिल्कुल सही है. इसके बाद कर्नाटक चुनाव प्रचार के स्टार प्रचारकों की लिस्ट से उनका नाम बाहर कर दिया गया.

पीपीसीसी से मिला सिद्धू को झटका

इतना ही नहीं सिद्धू को एक नया झटका पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी से मिला. पीपीसीसी यानी पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अपनी को-आर्डिनेशन कमेटी और अन्य कई कमेटियों की घोषणा की थी. इनमें पंजाब के तमाम नेताओं को ओहदे और जिम्मेदारियां दी गईं, लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू का नाम किसी भी को-आर्डिनेशन कमेटी में मौजूद नहीं था.

 

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