रोहिंग्या: भारत को सुरक्षा की चिंता, चीन निवेश को परेशान

दांव पर लगे हैं अरबों, रोहिंग्या को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा नहीं बनने देना चाहता चीन

पेइचिंग। रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर भारत ने अपना रुख सुरक्षा को ध्यान में रखकर तय किया है, लेकिन चीन के लिए तो उसका व्यापार ही सबसे ऊपर है। भारत की तरह चीन भी रोहिंग्या के मुद्दे पर म्यांमार को समर्थन दे रहा है साथ ही वह नहीं चाहता कि यह वैश्विक मुद्दा बने। हालांकि इसके पीछे उसका अपना व्यापारिक हित है। तीन विशेषज्ञों ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि हिंसाग्रस्त रखाइन प्रांत में चीन इन्फ्रास्ट्रक्चर और सहित अन्य प्रॉजेक्ट्स में 7.3 अरब डॉलर के निवेश में जुटा है।

रखाइन प्रांत में भारी हिंसा हो रही है। अगस्त से इसमें वृद्धि के बाद बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में जाकर शरण ली है। भारत ने सुरक्षा कारणों की वजह से इन्हें देश में आने की इजाजत नहीं दी है, हालांकि 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान भारत में पहले से ही रह रहे हैं।

सिंगापुर के राजारथनम स्कूल ऑफ इंटरनैशनल स्टडीज (RSIS) में चाइना प्रोग्राम के असोसिएट रिसर्च फेलो आइरिनी चेन ने कहा, ‘चीन रखाइन के डीप सी पोर्ट में 7.3 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है। उसका प्लान इस क्षेत्र में एक इंडस्ट्रियल पार्क और स्पेशल इकनॉमिक जोन विकसित करने का भी है। मैं मानता हूं कि चीन के लिए यह निवेश मानवीय मुद्दों से ऊपर है।’

रॉयटर्स ने रिपोर्ट दी थी कि चीन के आधिकारिक डॉक्युमेंट्स से पता चलता है कि चीन के CITIC कॉर्पोरेशन की अगुआई वाला संघ डीप सी पोर्ट में 70 से 85% शेयर चाहता है, जोकि उसके वन बेल्ट वन रोड (OBOR) परियोजना को आगे बढ़ाएगा और उसे बंगाल की खाड़ी से जोड़ देगा। यह मुख्य वजह है कि चीन रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ म्यांमार सरकार की कार्रवाई को समर्थन दे रहा है। 

वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर इंटरनैशनल स्टडीज ऐंड स्ट्रैटिजिक साउथ ईस्ट एशिया प्रोग्राम के डेप्युटी डायरेक्टर मरी हीबर्ट कहते हैं कि चीन म्यांमार और संयुक्त राष्ट्र को यह बता रहा है कि वह म्यामांर को उसकी संप्रभुता की रक्षा का समर्थन दे रहा है। इसके अलावा चीन सक्रियता के साथ उन देशों के ऐसे प्रयासों को रोकेगा जो सिक्यॉरिटी काउंसिल द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ ऐक्शन रोकने के लिए म्यामांर पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे।

हीबर्ट ने कहा, ‘चीन निश्चित रूप से इस समय सिक्यॉरिटी काउंसिल में ऐसा कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं करेगा। मैं नहीं जानता कि यदि प्रस्ताव की भाषा के मुताबिक चीन अपना रुख बदल सकता है, लेकिन वह किसी पॉलिटिकल या डायरेक्ट ऐक्शन के खिलाफ म्यामांर सरकार के साथ खड़ा होगा।’

हिंसा में कम से कम 400 रोहिंग्या मारे जा चुके हैं और करीब 4 लाख पड़ोसी बांग्लादेश पलायन कर चुके हैं। कई पश्चिमी देश रोहिंग्या के खिलाफ हिंसा की निंदा कर रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र द्वारा म्यांमार पर दबाव डालने की कोशिश में जुटे हैं।

लंदन के किंग्स कॉलेज में चाइनीज स्टडीज के प्रफेशर कैरी ब्राउन TOI द्वारा भेजे गए ईमेल के जवाब में कहा, ‘चीन के लिए इसकी अपनी छवि है। चीन म्यामांर के नेतृत्व से यह कह सकता है कि वे स्थिरता बनाए रखें, लेकिन इस तरीके से भी वह गैर हस्तक्षेपकारी ही रहेगा।’

 

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