रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की कोशिशों पर UN की निंदा का भारत ने दिया सख्त जवाब

नई दिल्ली। देश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों पर भारत के रुख और मानव अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे लोगों को धमकी मिलने के आरोप पर संयुक्त राष्ट्र की निंदात्मक टिप्पणी का भारत ने विरोध किया है.

गौरक्षकों के हमले और पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर संयुक्त राष्ट्र में मानव अधिकारों से जुड़ी संस्था की टिप्पणी पर भारत के प्रतिनिधि ने असहमति व्यक्त करते हुए कड़े शब्दों में जवाब दिया है. भारत की ओर से कहा गया, ‘किसी एक घटना के आधार पर देश के सामाजिक हालात पर टिप्पणी की गई है. भारत अपनी स्वतंत्र न्यायपालिका, प्रेस की स्वतंत्रता, नागरिक समाज और कानून व मानव अधिकारों के प्रति सम्मान पर गर्व करता है.’

संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजीव के. चंदर ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन के उच्चायुक्त जीद राद अल हुसैन  की ओर से की गई टिप्पणियों से हम आहत हैं.’

अल हुसैन ने कहा था, ‘मैं ऐसे समय में रोहिंग्या मुसलमानों को उनके देश वापस भेजे जाने के लिए भारत द्वारा उठाए जा रहे कदमों की कड़ी निंदा करता हूं, जब उनके देश (म्यांमार) में उन पर जुल्म हो रहे हों.’ अल हुसैन ने कहा कि भारत में 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थी हैं, जिनमें से 16 हजार रोहिंग्या लोगों ने संयुक्त राष्ट्र से शरणार्थी प्रमाण-पत्र ले लिए हैं.

राजीव चंदर ने कहा कि अन्य देशों की तरह ही भारत भी अवैध प्रवासियों को लेकर चिंतित है. इनकी संख्या बढ़ने से देश के लिए सुरक्षा चुनौतियां बढ़ सकती हैं. देश में कानून लागू कराने का अर्थ किसी वंचित समाज के प्रति दया भाव में कमी आना नहीं है.

भारत के गृह मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश को अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान करने के लिए एडवाइजरी जारी की जा चुकी है. अब भारत मे अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या की पहचान कर बाहर निकाला जाएगा. एडवाइजरी में रोहिग्या मुसलमानों से खतरे की बात भी कही गई थी.

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button