लखनऊ : चौथे स्तंभ के प्रहरियों को स्वास्थ्य बीमा जैसा लाली पॉप…

लखनऊ : पत्रकारों के लिए सरकारी घोषणा की गई है जबकि इसकी मुनादी भी जमकर करवाई जा रही है। हालांकि सरकार की तरफ से हुई घोषणा पर गौर करें तो पत्रकारों को भी समान अनुपात में बांट कर घोषणा किया गया है, जिसके तहत सरकारी घोषणा के अनुसार महज राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त या ज़िला मान्यता प्राप्त पत्रकार ही कवर किये जायेंगे।

सरकारी घोषणा के अनुसार गौर करें तो स्वास्थ्य बीमा की अदायगी रकम 5 लाख रुपयों की होगी। जबकि कोरोना से उसकी मृत्यु होती है तो 10 लाख रुपये होंगे। अब बात पर्दे के पीछे की करते है कोई कर्मचारी चाहे वो पुलिस का हो स्वास्थ्य का हो या फिर किसी एसेंशियल सर्विस का उसको सरकार की तरफ से कोरोना में इलाज निःशुल्क मिलता है.

मृत्यु पर रैंक का अनुसार अलग अलग स्लैब में धन परिजनों को दिया जाता है। इस स्लैब में सबसे कम जो कि समूह ग या घ कर्मचारी को मिलती है वो 20 लाख रुपये है। अब कोरोना हो या कोई दैवीय आपदा के समय एक पत्रकार लोगो को खबरों से रूबरू करवाने के लिए हर वक़्त मुस्तैदी से काम करता है।

सरकार की योजनाओं का ताजा हाल उसकी उपयोगिता से लाभान्वित व्यक्ति के अलावा निचले स्तर के अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा उसका लूट हर प्रकार की खबरों को लेकर संजीदा रहता है। अब पत्रकार को कोई दिक्कत हो तो उसकी सुनवाई के लिए कोई फोरम नही होता।

अब बात करते है उन पत्रकारों की जो कि इस सरकारी घोषणा में कवर हो रहे है, सबसे पहली विसंगति वही है जहां पर कोरोना फ्रंटल टीम में अग्रणी भूमिका निभाने के बावजूद उसको स्वास्थ्य बीमा में ऊंट के मुह में जीरा के बराबर रकम दी जा रही है। दूसरी महत्वपूर्ण बात की राज्य मुख्यालय के कार्ड पर साफ अंकित होता है कि ये कार्ड धारक राज्य सरकार के राज्य कर्मचारियों की ही भांति ही मान्य है। फिर स्वास्थ्य बीमा देने में दो मुह वाला रवैया क्यों?

अब तुलना करते है पिछली सपा सरकार के समय पत्रकारों को मिलने वाली सुविधाओं की तो उस समय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की तरफ से इस बात के सख्त निर्देश होते थे कि किसी भी पत्रकार को अगर कोई असाध्य रोग या दुर्घटना में अंगभंग की स्थिति होती है तो उसके परिजनों और पीड़ित के इलाज को निःशुल्क करवाया जाता था।

मृत्यु के समय 25 लाख रुपये का अनुदान मिलता था जिसमे 20 मृतक की पत्नी को और 5लाख माता पिता को दिए जाते थे। पूर्ववर्ती समाजवादी सरकार के समय मुलायम सिंह यादव ने पत्रकारों ज़मीनों का आवंटन किया, पत्रकारों के नाम से एक विकसित और आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित गोमतीनगर में कॉलोनी बसाया था, पत्रकारों के हित पर ध्यान देते हुए सस्ते दामो में रिहायशी फ्लैट की सुविधा उपलब्ध करवाई थी, रेल में कोटा या आधे दामो में सीट आवंटन मुलायम सिंह यादव की ही देन थी, जिसको इस सरकार ने खत्म कर दिया है।

अब योगी सरकार मध्यप्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़ हरियाणा एवं अन्य राज्यो सरकारों द्वारा घोषणा हो जाने के बाद बड़ी मुश्किल से तो स्वास्थ्य बीमा की घोषणा किया लेकिन कोरोना बीमारी से ही मौत होगी तो 10 लाख की घोषणा करके उन्होंने संविधान के चौथे स्तम्भ के मजबूत प्रहरियों को स्वयं सोचने को मजबूर कर दिया है।

 

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