ललित मोदी के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी

lalit-modi2तहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि,नई दिल्ली। एक विशेष अदालत ने बुधवार को पूर्व आईपीएल प्रमुख ललित मोदी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामले में गैर-जमानती गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ललित मोदी को भेजे गए समन पर कोई जवाब नहीं देने पर मनी लॉन्ड्रिंग रोकने को गठित विशेष अदालत की शरण ली थी।
मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून से जुड़ी अदालत के विशेष जज पीआर भावके ने वॉरंट जारी करते हुए कहा कि ईडी का आवेदन स्वीकार किया जाता है। ईडी ने पिछले हफ्ते ललित मोदी के खिलाफ विशेष अदालत में आवेदन दायर कर गैर-जमानती गिरफ्तारी वॉरंट जारी किए जाने का आग्रह किया था। ईडी ने यह कदम तब उठाया जब ललित मोदी ने समनों का जवाब नहीं दिया। प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों के अनुसार, यह वॉरंट विदेश मंत्रालय भेजा जाएगा, जो इसे ब्रिटेन भेजेगा। ईडी द्वारा 2009 में अपने खिलाफ जांच शुरू किए जाने के तुरंत बाद ही ललित ने देश छोड़ दिया था। हालांकि जांच एजेंसी के लिए गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट हासिल करना बहुत आसान नहीं रहा क्योंकि जज ने सबसे पहले ईडी के सामने वॉरंट मांगने में देरी का प्रश्न उठाया और बाद में अधिकारक्षेत्र का मुद्दा भी उठाया। अदालत ने यह भी जानना चाहा कि एजेंसी ललित मोदी को गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है। साथ ही यह भी पूछा कि क्या जांच के दौरान वॉरंट जारी किया जा सकता है।
पिछले महीने अदालत ने मामले में मदद मांगते हुए सिंगापुर और मॉरीशस को आग्रह पत्र भेजा था। बीसीसीआई ने एमएसएम सिंगापुर (जो सोनी चैनल की मालिक है) तथा डब्ल्यूएसजी मीडिया के बीच एक सौदे को लेकर 2010 में ललित मोदी के खिलाफ चेन्नै में एफआईआर दर्ज कराई थी। वर्ष 2008 में बीसीसीआई ने डब्ल्यूएसजी को 91 करोड़ 80 लाख डॉलर में 10 साल के लिए मीडिया अधिकार बेचे थे। डब्ल्यूएसजी ने तब सोनी को आधिकारिक प्रसारक बनाने के लिए एमएसएम के साथ एक सौदा किया। बाद में करार नौ साल के सौदे के रूप में हुआ, जहां एमएसएम ने 1.63 अरब डॉलर का भुगतान किया। वर्ष 2009 में ईडी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत जांच शुरू की थी। फेमा के तहत जांच के दायरे में आए आरोपों के अनुसार, एमएसएम सिंगापुर की ओर से डब्ल्यूएसजी को किए गए 425 करोड़ रुपए के सुविधा शुल्क का भुगतान गैर-कानूनी तरीके से किया गया था। ईडी के वकील हितेन वेणगांवकर ने कहा कि चूंकि ललित मोदी भारत में नहीं है, इसलिए गैर-जमानती वॉरंट जारी किया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया था कि ललित मोदी ने वर्ष 2009 से उन्हें जारी किए गए समनों का अनुपालन नहीं किया है। जज ने पूछा था कि चूंकि ईडी ने ललित मोदी के खिलाफ आरोप पत्र दायर नहीं किया है, ऐसे में क्या ललित मोदी अदालत के समक्ष आरोपी है? जज भावके ने कहा था कि गैर-जमानती वॉरंट जारी करने के लिए व्यक्ति का अदालत के समक्ष आरोपी होना जरूरी है। ईडी के वकील ने कहा था कि यह मामला जांच के पूर्व चरण में है और सुप्रीम कोर्ट ने पिछले फैसले में कहा था कि गैर जमानती वॉरंट जांच के दौरान जारी किया जा सकता है।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button