लाखों हिंदुओं के हत्यारे कुतुबुद्दीन ऐबक को एनसीईआरटी के किताब में लिखा गया है कि उसने ‘हिंदुओं के साथ किया अच्छा सलूक

लखनऊ। बच्चों को पढ़ाई जाने वाली इतिहास की किताबों में वामपंथी और कांग्रेसी इतिहासकारों के झूठ की चर्चा तो अक्सर होती रहती है, लेकिन अक्सर इनमें से कुछ बातें चर्चा का विषय बन जाती हैं। अभिनेत्री रवीना टंडन ने अपनी बेटी को पढ़ाते वक्त उसकी इतिहास की किताब में एक ऐसी बात गौर की, जिसे उन्होंने ट्विटर पर शेयर कर दिया। एनसीईआरटी की किताब में ये चैप्टर कुतुबुद्दीन ऐबक के बारे में है। रवीना टंडन ने इसकी तस्वीर ट्विटर पर शेयर की और इस बात की शिकायत की कि लाखों हिंदुओं के इस हत्यारे के बारे में लिखा गया है कि ‘हिंदुओं के साथ अच्छा सलूक किया।’ जबकि सच्चाई इसके एकदम उलट है। एनसीईआरटी की ये और ऐसी तमाम किताबें लिखने वाले वामपंथी इतिहासकारों की करतूतों का ये एक बड़ा नमूना है। हैरानी की बात है कि इन बातों का जिक्र करने भर से कांग्रेस और वामपंथी दलों के सेकुलर समर्थकों ने ट्विटर पर रवीना टंडन के खिलाफ गालियों की बौछार शुरू कर दी।

हत्यारे कुतुबुद्दीन का महिमामंडन

किताब में लिखा गया है कि “कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली सल्तनत की स्थापना की। उसने 1206 से 1210 तक कुल चार साल के लिए दिल्ली पर राज किया।” जबकि सच्चाई यह है कि राज करने के बजाय वो इस दौरान अलग-अलग इलाकों में लूटमार करने में व्यस्त था। किताब में कुतुबुद्दीन ऐबक को ‘न्यायप्रिय और उदार’ राजा बताया गया है। साथ ही कहा गया है कि वो प्रजा का भरपूर ख्याल रखता था। उसे लाखबख्श यानी लाखों रुपये देने वाला बताया गया है साथ ही बताया गया है कि उसने ‘हिंदुओं के साथ अच्छा सलूक किया।’ चैप्टर की अगली ही लाइन में कुतुबुद्दीन ऐबक ने कई पुराने मंदिर तुड़वाए ताकि वो मस्जिद और दूसरे मकबरे वगैरह बनाने के लिए धन इकट्ठा कर सके। इस बात को ऐसे लिखा गया है मानो मस्जिद बनाने के लिए पुराने मंदिरों को तुड़वाना उसकी मजबूरी थी। कांग्रेसी-वामपंथी इतिहासकारों की ऐसी धूर्तता कई जगहों पर देखने को मिलती है।

सबसे बर्बर लुटेरा था कुतुबुद्दीन

बच्चों की इतिहास की किताबों में पढ़ाई जा रही बातों के उलट कुतुबुद्दीन ऐबक की सच्चाई पहले से सबके सामने है। दिल्ली का कुतुबमीनार उसकी बर्बरता की गवाही दे रहा है। 1194 में उसने यहां पर 27 प्राचीन हिंदू मंदिरों और वेधशालाओं को तुड़वाकर उनकी जगह पर कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद बनवाई थी। ये मस्जिद कुतुबमीनार के परिसर में ही बनी हुई है। मस्जिद के आसपास के इलाकों में उन मंदिरों के टुकड़े आज भी देखे जा सकते हैं। (नीचे देखें तस्वीरें) मस्जिद बनाते वक्त कुतुबुद्दीन ऐबक ने ये कहते हुए कई पुराने खंभों को जस का तस रहने दिया ताकि हिंदुओं की आने वाली पीढ़ियां अपनी हार की निशानियों को देख सकें। हैरानी की बात है कि ऐसी तमाम बातों का जिक्र तक इतिहास की किताबों से गायब कर दिया गया है।

  • ऐबक इतना बर्बर था कि उसने कोल (आज का अलीगढ़) की लड़ाई में हिंदुओं के काटे गए सिरों को कुत्तों के खाने के लिए फिंकवा दिया था।
  • अजमेर में कुतुबुद्दीन ऐबक ने राजा विशालदेव के संस्कृत विद्यापीठ को तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया था। जिसे आज अढ़ाई दिन का झोपड़ा के नाम से जानते हैं।
  • 1202 में कलिंजर के युद्ध में कुतुबुद्दीन ऐबक ने वहां बने कई मंदिरों को मस्जिद में बदलवा दिया था। यहां पर युद्ध के बाद 50 हजार हिंदुओं को गुलाम बनाकर वो अपने साथ ले गया था।
  • 1196 में उसने प्राचीन गुजरात की राजधानी अन्हिलवाड़ के राजा को पराजित किया था। युद्ध के बाद पकड़े गए 50 हजार हिंदुओं की कुतुबुद्दीन ऐबक ने गर्दन कटवा दी थीं और 20 हजार लोगों को गुलाम बनाकर अपने साथ ले गया था।

ऊपर जो बातें हमने आपको बताई हैं उनका जिक्र 12वीं शताब्दी के पारसी इतिहासकार हसन निजामी ने अपनी किताब में किया है। इसके बावजूद ये सारी बातें स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली एनसीईआरटी की किताबों से गायब करवा दी गईं ताकि देश की नई पीढ़ी को इस गलतफहमी में डाला जा सके कि तुर्क और मुगल कोई लुटेरे नहीं, बल्कि भारत का उद्धार करने आए थे और उनके आने से पहले हम असभ्य लोग थे। समझना बहुत मुश्किल नहीं है कि क्यों जब भी इतिहास की किताबों में पढ़ाई जा रही इन कमियों की तरफ ध्यान दिलाया जाता है तो सेकुलर ब्रिगेड आक्रामक हो उठती है।

 

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