लिफ्ट में मौत मामला: मेंटेनेंस के नाम पर करोड़ों डकार रहा अस्पताल प्रशासन

kgmuतहलका एक्सप्रेस, लखनऊ। केजीएमयू में बुधवार को लिफ्ट में मरीज की मौत के मामले को गंभीरता से लेते हुए वीसी प्रो रविकांत ने जेई इलेक्ट्रिक, पीआरओ और इलेक्ट्रीशियन को निलंबित कर दिया है| साथ ही राजकीय निर्माण निगम की लिफ्ट डिवीजन और ओटिस कंपनी को खराब सर्विस के लिए नोटिस जारी की गई है| ओटिस कंपनी को केजीएमयू हर साल 54 लाख रुपये मेंटेनेंस के लिए देता है लेकिन कंपनी द्वारा लिफ्ट में रखरखाव सही ढंग से नही किया जाता है| जिसके चलते यह घटना हुई| यही हाल लोहिया, सिविल और बलरामपुर अस्पताल में लिफ्ट सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों का भी है| यह कंपनियां लाखों रुपए प्रति वर्ष गटकने के बावजूद लिफ्टों की समयगत मरम्मत नही कर रही हैं| इसके लिए अस्पताल प्रशासन भी पूरा जिम्मेदार है|

हजरतगंज स्थित सिविल अस्पताल में कुल पांच लिफ्ट हैं। इनके संचालन के लिए सात लिफ्ट मैन है, लेकिन ड्यूटी पर ये कम ही नजर आते हैं। वहीं इनकी लिफ्टों की मरम्मत के लिए संबंधित कंपनी हर साल तीन लाख रुपए लेती है। बावजूद लिफ्ट में न तो अलॉर्म है, न ही इमरजेंसी लाइट। वहीँ, गोमती नगर स्थित लोहिया अस्पताल में चार लिफ्ट हैं| पांच मंजिला तक सफर करने वाली इन लिफ्टों में पावर बैकअप का कोई इंतजाम नहीं है। यानि की बिजली गई तो लिफ्ट फंसी। यही नहीं लिफ्ट का एआरवी सिस्टम भी खराब है। यह हाल तब है जब यहां का भी मेंटीनेंस बजट ढाई लाख रुपए के आसपास है।

गोलागंज स्थित बलरामपुर अस्पताल का हाल भी कुछ ऐसा ही है। यहां 35 वर्ष पुरानी लिफ्ट संचालित हैं। न्यू बिल्डिंग में लगी ये लिफ्ट कब थम जाएं, इसका कुछ भी भरोसा नहीं है। अस्पताल में विभिन्न कंपनियों की कुल सात लिफ्ट हैं। इसमें डीलक्स वार्ड में एक, एसएस ब्लॉक में दो, इमरजेंसी में एक, न्यू प्राइवेट में एक, न्यू बिल्डिंग में दो लिफ्ट हैं। इनके मेंटीनेंस के लिए प्रति वर्ष करीब पौने पांच लाख का बजट निर्धारित है, फिर भी लिफ्ट सेवा का कोई भरोसा नहीं है।

गौरतलब है कि केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में बुधवार सुबह तीन बजे लिफ्ट में फंसने से एक महिला मरीज की मौत हो गई थी। क्वीन मेरी में भर्ती लखीमपुर निवासी कृष्णकुमार की पत्नी शिवकांती को रात को 11.30 बजे प्रसव हुआ था। अचानक रक्तस्राव से उसकी स्थिति गंभीर हो गई। शिवकांती को ऑक्सीजन सपोर्ट देकर बचाने की कोशिश की गई। स्थिति नहीं सुधरी तो ट्रॉमा सेंटर की वेंटीलेटर यूनिट में शिफ्ट करने का फैसला लिया गया। रात 2.30 बजे उसे लेकर तीन रेजीडेंट डॉक्टर, एक लेबर रूम का कर्मचारी और मरीज का परिवारीजन ट्रॉमा सेंटर के लिए निकले थे।

वहां पहुंचने के बाद मरीज को लेकर लिफ्ट से थर्ड फ्लोर पर स्थित वेंटीलेटर यूनिट जाने के दौरान अचानक सेकंड व थर्ड फ्लोर के बीच लिफ्ट फंस गई।लिफ्ट बंद होते ही अंदर फंसे सभी लोग घबराने लगे। हर तरफ से बंद होने के कारण घुटन होने लगी। अंदर फंसे लोगों ने पहले एलार्म बजाया मगर 10 मिनट तक कोई मदद उन्हें नहीं मिली। लिफ्ट के अंदर मोबाइल नेटवर्क भी काम नही कर रहा था|

किसी प्रकार से लिफ्ट के छत पर लगी जाली से मोबाइल निकालकर डॉ. अनामिका ने इसकी सूचना क्वीनमेरी की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसपी जैसवार और डॉ. उर्मिला सिंह को दी। इस सूचना के बाद केजीएमयू में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में आला अधिकारी ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। जैसे-जैसे लिफ्ट को ठीक करने में देरी हो रही थी अंदर फंसे लोगों की हालत बिगड़ रही थी। घुटन के कारण डॉ. अनामिका बेहोश होने लगी। जब लिफ्ट को संचालित करने के सभी उपाय फेल हो गए तो कर्मचारियों ने कटर से लिफ्ट का दरवाजा काटा और एक-एक कर सबको बाहर निकाला। लेकिन इस दौरान शिवकांती को नहीं बचाया जा सका| उनकी दम घुटने से मौत हो गई|

 

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