लीकर किंग विजय माल्या की शुरू हुई उलटी गिनती, ED ने जब्त की प्रापर्टियां
नई दिल्ली। लीकर किंग विजय माल्या की 4,234.84 करोड़ रुपये की संपत्ति प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को जब्त कर ली। ईडी ने भारतीय स्टेट बैंक की शिकायत पर यह कार्यवाही की है. दरअसल स्टेट बैंक ने माल्या द्वारा कर्ज अदा न करने की शिकायत की थी, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है.
शराब व्यवसायी विजय माल्या की जिन संपत्तियों को जब्त किया गया है, उनमें माल्या का मुंबई के अलीबाग स्थित मंडावा फार्म हाउस (25 करोड़), बेंगलुरू के किंगफिशर टॉवर के फ्लैट (565 करोड़), एचडीएफसी बैंक का फिक्स डिपाजिट (10 करोड़), यूएसएल, यूबीएल और मैकडॉवेल होल्डिंग और युनाइटेड वेबरीज के शेयर और उनकी परिसंपत्तियां (3,635 करोड़) शामिल हैं।
ईडी के एक अधिकारी ने एक बयान जारी कर कहा है कि जब्त की गई संपत्तियों की बाजार में वर्तमान दर लगभग 6,630 करोड़ रुपये है। अब तक ईडी की मुंबई शाखा ने माल्या और उसकी कंपनियों की 8,000 रुपये से ज्यादा मूल्य की संपत्तियां जब्त की हैं। अधिकारी ने कहा कि ईडी इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के साथ मिलकर कर रहा है, जिसने 13 अगस्त को माल्या के खिलाफ मामला दर्ज किया था. एसबीआई की अगुवाई में 13 बैंकों के समूह ने माल्या के खिलाफ 6,027 करोड़ रुपये के नुकसान को लेकर मामला दर्ज कराया है।
ईडी ने माल्या, किगफिशर एयरलाइंस, यूबीएचएल और अन्य के खिलाफ मनी लांडरिंग कानून (पीएमएलए) 2002 के तहत ताजा मामला दर्ज किया है। इससे पहले ईडी ने माल्या और किंगफिशर एयरलाइंस और उसके सीएफओ के खिलाफ 2016 में आईडीबीआई बैंक के 750 करोड़ रुपये के कर्ज को नहीं चुकाने के मामले में मामला दर्ज किया था। प्राथमिकी के मुताबिक, माल्या और यूबीएचएल ने निजी गारंटी और कॉरपोरेट गारंटी पर किंगफिशर एयरलाइंस और उसकी संपत्तियों को गिरवी रखकर कर्ज लिया, जब कंपनी घाटे में थी।
अधिकारी ने कहा है कि माल्या, किंगफिशर एयरलाइंस और यूबीएचएल के अनुरोध पर दिसंबर 2010 में कर्ज की रकम का बकाया 5,575.72 करोड़ रुपये कर दिया गया, जिसे उन्होंने समय-समय पर चुकाने का आश्वासन दिया था। लेकिन आरोपी उसके बाद सहमति की रकम चुकाने में नाकाम रहा, यहां तक कि गारंटी का पालन भी नहीं किया। अधिकारी ने कहा है कि इसके बजाए आरोपी ने बैंकों के खिलाफ अदालत में मामला दर्ज करा दिया और कहा कि उससे गारंटी जबरदस्ती ही वसूली जा सकती है। इसलिए बैंकों के समूह ने सीबीआई के पास शिकायत दर्ज कराई है।
ईडी की जांच में पता चला है कि बैंकों से कर्ज ली गई इस रकम का बड़ा हिस्सा (3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा) देश से बाहर किराया अदा करने या विमानों के मेंटनेंस के नाम पर भेज दिया गया। किसी किराए या मेंटनेंस का कोई दस्तावेजी सबूत मुहैया कराने में वे नाकाम रहे, साथ ही और भी कई अनियमितताएं पाई गईं। इस जांच में यह भी पता चला कि माल्या ने अपने परिवार या डमी निदेशकों के नाम पर कई नकली कंपनियां खड़ी कर रखी थी। अधिकारी ने बताया है कि इन कंपनियों का कोई कारोबार नहीं था और न ही उनकी आय का कोई स्रोत था, लेकिन उनके पास पर्याप्त चल-अचल संपत्ति थी।
माल्या ने बैंकों को अपनी संपत्ति के बारे में जो ब्योरा दिया था, उसमें उसने भारत और विदेशों की अपनी सारी संपत्तियों का खुलासा नहीं किया था। हालांकि उसकी सभी संपत्तियों पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसका ही नियंत्रण था। माल्या इस साल दो मार्च को लंदन भाग गए, जब उन्हें कर्ज देने वाले बैंक अपने 9,431.65 करोड़ रुपये की वसूली के लिए अगले दिन उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटानेवाले थे।
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