लीबिया में चार भारतीय टीचर्स अगवा, ISIS पर शक

isis-membersत्रिपोली। लीबिया में चार भारतीयों के अगवा होने की खबर है। टीवी रिपोर्ट्स में भारतीय विदेश मंत्रालय के हवाले से यह बताया गया है। खबर के मुताबिक, चारों टीचर हैं और एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं। इन्हें सिरते से अगवा किया गया है। इनके अपहरण के पीछे आतंकी संगठन आईएसआईएस पर शक है। बीबीसी के मुताबिक, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने भारतीयों के अगवा होने की बात कबूली है। विदेश मंत्रालय इनकी और जानकारी जुटा रहा है। सुरक्षा कारणों से चारों की पहचान छिपाई गई है। विदेश मंत्रालय के एक अफसर के मुताबिक, फिलहाल किसी तरह की फिरौती की मांग नहीं की गई है। गौरतलब है कि भारत सरकार ने पिछले साल एडवाइजरी जारी करके जंग से प्रभावित लीबिया से भारतीयों को निकलने कहा था। आईएसआईएस ने इराक के शहर मोसुल में 39 भारतीयों को अगवा कर लिया था। विदेश मंत्रालय इनके सुरक्षित होने का दावा करता आया है, हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इनके मारे जाने की खबर आई थी। नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल ने नवंबर में ही आगाह कर दिया था कि पीओके के मामले में सरकार को रणनीतिक नजरिया अपनाना चाहिए। वहां आतंकियों के बढ़ रहे मूवमेंट के मद्देनजर उसके संभावित नतीजों के लिए तैयार रहना चाहिए। डोभाल ने एक लीडरशिप समिट में कहा था- देश के किसी भी धार्मिक मुस्लिम नेता ने आईएसआईएस का सपोर्ट नहीं किया है। सभी ने आईएस और अलकायदा के खिलाफ फतवे जारी किए हैं। आईएसआईएस और अलकायदा देश में आतंकी हमले कर हिंसा फैला सकते हैं लेकिन हमारा देश इतना मजबूत कि वह ऐसे संगठनों से निपट लेगा। मार्च में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जयपुर में कहा था कि देश में आईएसआईएस का असर नहीं है। भारतीय मुस्लिम युवकों को आकर्षित करने मेंआईएसआईएस नाकाम रहा है। मुंबई के कल्याण से भागकर आईएसआईएस में शामिल होने गए अरीब मजीद के खिलाफ मई में नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी (एनआईए) ने चार्जशीट दायर की थी। इसमें एनआईए ने कहा था कि हो सकता है कि आईएस आने वाले समय में भारत विरोधी आतंकी समूहों से रिश्ते बढ़ा ले। आईएस यह साजिश रच रहा है कि कैसे भारतीय युवकों और एनआईआर लोगों को संगठन से जोड़कर इराक-सीरिया के साथ भारत और अन्य एशियाई देशों में आतंकी हमलों को अंजाम दिया जाए। जून में भाजपा सांसद तरुण विजय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस आयुक्त को भेजी शिकायत में कहा कि उन्हें जिहाद के खिलाफ लेख लिखने के लिए आईएसआईएस से जान से मारने की धमकी मिली है। उन्होंने कहा था कि उनका ईमेल आईडी 15 दिन में दो बार हैक हो गया था। इसी में उन्हें धमकी मिली। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जून के आखिर में ही गृह मंत्रालय में सेक्रेटरी एल.सी. गोयल ने स्पेशल सेक्रेटरी (इंटरनल सिक्युरिटी) अशोक प्रसाद को एक नोट भेजा। इसमें उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के युवक तेजी से कट्टरपंथी की तरफ जा रहे हैं। इसे रोकने के लिए एक्शन प्लान बनाया जाना चाहिए ताकि जाहिर तौर पर और खुफिया तरीके से अभियान चलाया जा सके। इसकी वजह यह है कि आईएसआईएस के कारण जम्मू कश्मीर में खतरा बढ़ गया है। जम्मू कश्मीर में इस साल कई मौकों पर आईएसआईएस के झंडे देखे गए हैं। बताया जाता है कि आईएस के झंडे रखने वाले 11 युवकों को सर्विलांस पर रखा गया है।

isis-effectआईएसआईएस : आतंक का एक साल, 6500 बेकसूरों की मौत
 आईएसआईएस चीफ अबु बक्र अल बगदादी ने एक साल पहले यानी 29 जून 2014 को खुद को नया खलीफा घोषित किया था। पिछले साल जून में हीआईएसआईएस इराकी शहर मोसुल पर कब्जा कर सुर्खियों में आया था। तब से अब तक यह आतंकी समूह 6500 से ज्यादा लोगों की हत्या कर चुका है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल स्टीव वाॅरेन के मुताबिक, आईएसआईएस ने एक साल में अपना 25 फीसदी इलाका अमेरिकी, सीरियाई और इराकी सुरक्षा बलों से लड़ाई में खो दिया। लेकिन उसने अपनी दहशत कई गुना बढ़ा दी है। आईएसआईएस ने तुर्की से लेकर इराक के कोबानी तक 400 किलोमीटर लंबी ऐसी बॉर्डर बना ली है, जिसे तोड़ पाना मुश्किल है।
 आईएस हर दिन कमा रहा 10 लाख डॉलर, उसके खिलाफ लड़ाई पर 3 देश हर दिन लगा रहे 91 लाख डॉलर
– आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई में अब अमेरिका, इराक और सीरिया के सुरक्षा बलों को हर दिन 91 लाख डॉलर का खर्च आ रहा है। अमेरिका को अब तक इस ऑपरेशन की कुल लागत 3 अरब डॉलर आ चुकी है।
– आईएसआईएस ने 2014 में अवैध वसूली कर, तेल के कुएं हथिया कर और बैंक लूटकर 1.5 अरब डॉलर कमाए। इसमें से 60 करोड़ डॉलर सिर्फ अवैध वसूली कर बटोरे। पिछले साल सितंबर में आईएसआईएस हर दिन 30 लाख डॉलर कमा रहा था। अब वह सिर्फ 10 लाख डॉलर प्रतिदिन कमा रहा है।
– आईएचएस जेन्स टेररिज्म एंड इनसर्जेंसी सेंटर के मुताबिक, आईएसआईएस ने सालभर में इराक-सीरिया में 3095 हमले किए हैं। इनमें 6546 आम नागरिकों की मौत हुई है। मई 2015 में ही आईएसआईएस ने 90 हमले किए। आईएस के 10 हजार आतंकी पिछले एक साल में मारे जा चुके हैं। लेकिन अभी भी इसके लड़ाकों की संख्या 50 हजार के आसपास है।
कहां-कहां मौजूद है आईएसआईएस?
 यह आतंकी संगठन इराक और सीरिया में सबसे ज्यादा सक्रिय है। इसके अलावा यह तुर्की, लीबिया और इजिप्ट में भी अपनी जड़ें फैला रहा है। सऊदी अरब में भी इसने अपने कई आतंकी भर्ती कर रखे हैं। मंगलवार को ही इस आतंकी समूह ने तालिबान लड़ाकों को ननगरहर प्रांत से खदेड़ दिया।
इराक और सीरिया यहां यह आतंकी समूह सबसे ज्यादा सक्रिय है।
लेबनान आईएसआईएस ने यहां अरसाल शहर पर अगस्त 2014 में ही कब्जा कर लिया था।
लीबिया अक्टूबर 2014 में आईएस ने लीबिया के डर्न्स पर कब्जा कर लिया। फरवरी 2015 में आईएस ने यहां त्रिपोली में 21 ईसाइयों की हत्या कर दी। अप्रैल 2015 में दो दूतावासों पर हमले किए।
सऊदी अरब सीमाई इलाके अरार पर आईएस के आतंकियों ने जबर्दस्त फायरिंग की। कई आतंकी घुसपैठ में कामयाब रहे।
नाइजीरिया बोको हराम ने मैडुगुरी से संदेश जारी कर आईएस से हाथ मिलाने का एलान किया।
कुवैत बीते शुक्रवार यहां सबसे बड़ी मस्जिद पर नमाजियों पर आईएस का फिदायीन हमला हुआ। 25 मौतें हुईं।
अफगानिस्तान आईएस के आतंकी तालिबान पर भारी पड़ रहे हैं। मंगलवार को ये अफगानिस्तान के एक प्रांत पर कब्जा कर चुके हैं।
 

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